रांचीः आदिवासी बहुल राज्य झारखंड की नई सरकार के गठन के एक साल पूरे होने को है. सरकार के इस कार्यकाल पर यहां के मतदाताओं की मिली-जुली राय सामने आ रही है. बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिनकी अपेक्षाओं पर सरकार खरी नहीं उतर रही है, जबकि कई लोग संतोष जताते दिखते हैं.
हेमंत सोरेन ने एक साल पहले 29 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. इधर राज्य गठन के 20 साल हो गए हैं, लेकिन गरीबी आज भी सरकार के सामने बड़ा सवाल बनी हुई है. सबसे चिंताजनक है शासन की योजनाओं का लोगों तक न पहुंचना. सरकार ने हड़िया बेचने वाली महिलाओं के लिए फूलो झानो योजना शुरू की है पर 10 रुपये में साड़ी देने की योजना पर काम नहीं हो सका है. रोजगार पर भी कोई उल्लेखनीय कदम नहीं उठाया जा सका है. रिक्शा चालक बनेश्वर लोहरा का कहना है कि सरकार की योजनाओं को गरीबों तक पहुंचने में काफी वक्त लग जाता है उन्होंने बताया कि उन्हें न तो साड़ी मिली और न ही पेंशन का. उन्होंने बताया कि जन वितरण प्रणाली से उन्हें 15 किलो चावल मिल जाता है.
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सरना धर्म कोड के प्रस्ताव पर सवाल
इधर आदिवासी पहचान राज्य के लोगों की भावनाओं से जुड़ा रहा है. ऐसे में मुख्यमंत्री आदिवासी समाज से हो तो लोगों की उम्मीदें बढ़ जाना लाजमी है. सरकार ने विधान सभा सत्र बुलाकर आदिवासी सरना धर्म कोड का प्रस्ताव पास कर केंद्र के पास भेजा है, लेकिन इस पर सरकार की नीयत पर सवाल उठाने वालों की कमी नहीं है. आदिवासी भाषाओं के विकास के लिए कदम न उठाए जाने से भी असंतोष है. आदिवासी सरना महासभा संयोजक देव कुमार धान का कहना है कि सरकार उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाई है.उनका कहना है कि प्रदेश सरकार विशेष सत्र बुलाकर जिस सरना आदिवासी धर्म कोड को अपनी उपलब्धि बता रही है. उसे 2015 में केंद्र सरकार खारिज कर चुकी है. ऐसे में विशेष सत्र बुलाकर इस प्रस्ताव को दोबारा भेजना आदिवासियों के साथ धोखा है.
वहीं आदिवासी मूलवासी के केंद्रीय अध्यक्ष कमलेश राम की मानें तो हेमंत सरकार ने चुनाव से पहले आदिवासियों के लिए कई घोषणाएं की थीं लेकिन तमाम घोषणाओं पर इस 1 वर्ष में हेमंत सरकार ने कोई काम नहीं किया. उल्टे कानून व्यवस्था और रोजगार को लेकर हालात बिगड़ गए.
सरकार को और समय देने की सलाह
ऐसा नहीं है कि प्रदेश के सभी लोग सरकार से असंतुष्ट हैं, तमाम लोग सरकार को और समय देना चाहते हैं. आदिवासी संस्कृति सरना धर्म रक्षा अभियान के संयोजक सह शिक्षाविद करमा उरांव ने कहा कि 1 वर्ष में आदिवासियों को लेकर झारखंड में लंबे समय से की जा रही सरना आदिवासी धर्म कोड की मांग को पूरा किया गया है. वैसे भी किसी सरकार को स्थापित होने के लिए एक वर्ष का समय कम है.