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झारखंड के चौकीदार-दफादार भी अब आंदोलन की राह पर! जानिए, क्या है वजह

Watchmen and Dafadars protest in Ranchi. रांची में चौकीदार और दफादारों का प्रदर्शन झारखंड राज्य दफादार चौकीदार पंचायत के बैनर तले किया जा रहा है. अपनी छह सूत्री मांगों को लेकर वर्तमान और पूर्व चौकीदार और दफादार इस आंदोलन में शामिल हैं.

Protest of watchmen and dafadars in Ranchi
रांची में चौकीदार और दफादारों का प्रदर्शन
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 25, 2023, 2:56 PM IST

Updated : Nov 25, 2023, 3:06 PM IST

रांची में चौकीदार और दफादारों का प्रदर्शन

रांची: झारखंड में पहले से ही टेट पास सहायक अध्यापक, आहर्ता परीक्षा पास पारा शिक्षक, पंचायत स्वयंसेवक, कृषक मित्र का आंदोलन अलग अलग मांगों को लेकर चल रहा है. अब इसमें राज्य के चौकीदारों और दफादारों के एक वर्ग का नाम भी शामिल हो गया है.

झारखंड राज्य दफादार चौकीदार पंचायत के बैनर तले छह सूत्री मांगों को लेकर वर्तमान और पूर्व में चौकीदार की सेवा दे चुके लोग इस धरना प्रदर्शन में शामिल हैं. शनिवार के प्रदर्शन में शामिल गुमला जिले के चौकीदार शुभजगत गोप ने कहा कि चौकीदारों के लिए निर्धारित कार्य के साथ साथ पुलिस अधिकारी अलग-अलग तरह के काम दे दिया जाता है. हर दिन थाना आकर हाजिरी देने को कहा जाता है जो गलत है. एवजी नियुक्ति की प्रक्रिया पूर्व के अनुसार जारी रखने, सेवा विमुक्त किये गए चौकीदारों की पुनः नियुक्ति सहित छह सूत्री मांग के लिए राज भवन के समक्ष पिछले दो दिन से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.

झारखंड राज्य दफादार चौकीदार पंचायत की छह सूत्री मांगः राजभवन के समक्ष धरना प्रदर्शन कर रहे चौकीदारों दफादारों की मांगें इस प्रकार हैं. 01 जनवरी 1990 के पूर्व और बाद में जारी चौकीदार नियुक्ति प्रक्रिया को पूर्व की तरह जारी रखा जाये. राज्य में कोई न कोई कारण बताकर सेवा से विमुक्त किये गए करीब 450 चौकीदारों-दफादारों को सरकार फिर से बहाल करे. सरकार, एवजी नियुक्ति की प्रक्रिया में आने वाली कानूनी बाधा को दूर करने के लिए अध्यादेश लाये या फिर विधानसभा से झारखंड ग्राम चौकीदार संशोधन विधेयक- 2023 पारित कराए. राज्य के अलग अलग जिलों में एवजी चौकीदार के पदों पर सामान्य नियुक्ति की प्रक्रिया को रोक दी जाए और विज्ञापन रद्द किया जाए. नियमावली के अनुसार 100-120 आवासीय घरों को इकाई मानकर चौकीदार की नियुक्ति की जाए. झारखंड पुलिस के तरह पर राज्य के चौकीदारों-दफादारों को भी 12 की जगह 13 महीने का वेतन और 10 हजार सालाना वर्दी भत्ता दिया जाए. इसके अलावा कार्यरत चौकीदारों के लिए निर्धारित कार्यों से अधिक और अन्य काम लेने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए.

क्या है एवजी चौकीदार नियुक्ति और सेवा विमुक्ति का मामलाः दरअसल, चौकीदारों का यह मामला संयुक्त बिहार के समय से ही चला आ रहा है. समय समय पर तत्कालीन बिहार और बाद में झारखंड की सरकार ने इस पर अपने अपने हिसाब से फैसले लिए जिसका नफा नुकसान इन चौकीदारों-दफादारों को उठाना पड़ा. पहले चौकीदारी व्यवस्था में नए चौकीदार की बहाली वंशवादी व्यवस्था के तहत की जाती थी. जिसमें किसी चौकीदार की सेवा समाप्त होने या उनकी मृत्यु पर चौकीदार परिवार से ही कोई एक व्यक्ति चौकीदार हो जाता था.

1995 के बाद चौकीदार की नियुक्ति का विवाद पटना उच्च न्यायालय चला गया और उस विवाद में आये फैसले के अनुसार वंशवाद के आधार पर चौकीदारों की नियुक्ति की प्रक्रिया को गलत बताया गया. तब चौकीदार-दफादारों के आंदोलन के बाद सरकार ने सिर्फ एक बार के लिए चौकीदार नियुक्ति की सामान्य प्रक्रिया को रद्द कर सेवा निवृत्त हुए चौकीदार के द्वारा नामित किसी व्यक्ति को चौकीदार बनाने का फैसला लिया. इसी आधार में बिहार और बाद में झारखंड में भी नियुक्ति हुई. लेकिन बाद में कई कारण बताकर झारखंड के करीब 450 एवजी चौकीदारों को सरकार ने सेवा विमुक्त कर दिया और सेवा निवृत्त हुए चौकीदारों के अनुशंसा पर होने वाली नियुक्ति (जिसे एवजी चौकीदार कहा जाता है) पर रोक लगा दी.
आज करीब 5000 से अधिक संख्या ऐसे सेवा निवृत्त चौकीदार हैं जो बिहार के समय से चली आ रही एवजी चौकीदार बनने की प्रक्रिया के तहत अपने परिजन को चौकीदार बनाना चाहते हैं. लेकिन झारखंड सरकार ने उनकी नियुक्ति की जगह नई बहाली की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसका विरोध वर्तमान और सेवा निवृत्त चौकीदार कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- टेट पास सहायक शिक्षकों का वेतनमान की मांग को लेकर प्रदर्शन, झामुमो कार्यालय के सामने सुरक्षाबलों ने रोका

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रांची में चौकीदार और दफादारों का प्रदर्शन

रांची: झारखंड में पहले से ही टेट पास सहायक अध्यापक, आहर्ता परीक्षा पास पारा शिक्षक, पंचायत स्वयंसेवक, कृषक मित्र का आंदोलन अलग अलग मांगों को लेकर चल रहा है. अब इसमें राज्य के चौकीदारों और दफादारों के एक वर्ग का नाम भी शामिल हो गया है.

झारखंड राज्य दफादार चौकीदार पंचायत के बैनर तले छह सूत्री मांगों को लेकर वर्तमान और पूर्व में चौकीदार की सेवा दे चुके लोग इस धरना प्रदर्शन में शामिल हैं. शनिवार के प्रदर्शन में शामिल गुमला जिले के चौकीदार शुभजगत गोप ने कहा कि चौकीदारों के लिए निर्धारित कार्य के साथ साथ पुलिस अधिकारी अलग-अलग तरह के काम दे दिया जाता है. हर दिन थाना आकर हाजिरी देने को कहा जाता है जो गलत है. एवजी नियुक्ति की प्रक्रिया पूर्व के अनुसार जारी रखने, सेवा विमुक्त किये गए चौकीदारों की पुनः नियुक्ति सहित छह सूत्री मांग के लिए राज भवन के समक्ष पिछले दो दिन से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.

झारखंड राज्य दफादार चौकीदार पंचायत की छह सूत्री मांगः राजभवन के समक्ष धरना प्रदर्शन कर रहे चौकीदारों दफादारों की मांगें इस प्रकार हैं. 01 जनवरी 1990 के पूर्व और बाद में जारी चौकीदार नियुक्ति प्रक्रिया को पूर्व की तरह जारी रखा जाये. राज्य में कोई न कोई कारण बताकर सेवा से विमुक्त किये गए करीब 450 चौकीदारों-दफादारों को सरकार फिर से बहाल करे. सरकार, एवजी नियुक्ति की प्रक्रिया में आने वाली कानूनी बाधा को दूर करने के लिए अध्यादेश लाये या फिर विधानसभा से झारखंड ग्राम चौकीदार संशोधन विधेयक- 2023 पारित कराए. राज्य के अलग अलग जिलों में एवजी चौकीदार के पदों पर सामान्य नियुक्ति की प्रक्रिया को रोक दी जाए और विज्ञापन रद्द किया जाए. नियमावली के अनुसार 100-120 आवासीय घरों को इकाई मानकर चौकीदार की नियुक्ति की जाए. झारखंड पुलिस के तरह पर राज्य के चौकीदारों-दफादारों को भी 12 की जगह 13 महीने का वेतन और 10 हजार सालाना वर्दी भत्ता दिया जाए. इसके अलावा कार्यरत चौकीदारों के लिए निर्धारित कार्यों से अधिक और अन्य काम लेने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए.

क्या है एवजी चौकीदार नियुक्ति और सेवा विमुक्ति का मामलाः दरअसल, चौकीदारों का यह मामला संयुक्त बिहार के समय से ही चला आ रहा है. समय समय पर तत्कालीन बिहार और बाद में झारखंड की सरकार ने इस पर अपने अपने हिसाब से फैसले लिए जिसका नफा नुकसान इन चौकीदारों-दफादारों को उठाना पड़ा. पहले चौकीदारी व्यवस्था में नए चौकीदार की बहाली वंशवादी व्यवस्था के तहत की जाती थी. जिसमें किसी चौकीदार की सेवा समाप्त होने या उनकी मृत्यु पर चौकीदार परिवार से ही कोई एक व्यक्ति चौकीदार हो जाता था.

1995 के बाद चौकीदार की नियुक्ति का विवाद पटना उच्च न्यायालय चला गया और उस विवाद में आये फैसले के अनुसार वंशवाद के आधार पर चौकीदारों की नियुक्ति की प्रक्रिया को गलत बताया गया. तब चौकीदार-दफादारों के आंदोलन के बाद सरकार ने सिर्फ एक बार के लिए चौकीदार नियुक्ति की सामान्य प्रक्रिया को रद्द कर सेवा निवृत्त हुए चौकीदार के द्वारा नामित किसी व्यक्ति को चौकीदार बनाने का फैसला लिया. इसी आधार में बिहार और बाद में झारखंड में भी नियुक्ति हुई. लेकिन बाद में कई कारण बताकर झारखंड के करीब 450 एवजी चौकीदारों को सरकार ने सेवा विमुक्त कर दिया और सेवा निवृत्त हुए चौकीदारों के अनुशंसा पर होने वाली नियुक्ति (जिसे एवजी चौकीदार कहा जाता है) पर रोक लगा दी.
आज करीब 5000 से अधिक संख्या ऐसे सेवा निवृत्त चौकीदार हैं जो बिहार के समय से चली आ रही एवजी चौकीदार बनने की प्रक्रिया के तहत अपने परिजन को चौकीदार बनाना चाहते हैं. लेकिन झारखंड सरकार ने उनकी नियुक्ति की जगह नई बहाली की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसका विरोध वर्तमान और सेवा निवृत्त चौकीदार कर रहे हैं.

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Last Updated : Nov 25, 2023, 3:06 PM IST
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