रांचीः झारखंड को यूं ही राजनीति का प्रयोगशाला नहीं कहा जाता है. शायद इसीलिए इस राज्य में रघुवर सरकार के अलावा किसी भी मुख्यमंत्री ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया. राज्य में आए दिन ज्वलंत मुद्दों को लेकर सरकार बैकफुट पर दिखती है तो आंदोलनकारी लगातार सरकार को अपने विभिन्न मांगों को लेकर घेरने का काम करते रहते हैं. वर्तमान में पूरे राज्य में 1932 खतियान लागू करने को लेकर राजनीतिक माहौल सरगर्म है. इस ज्वलंत मुद्दे को सदन तक पहुंचाने के लिए सोमवार को सील्ली के पूर्व विधायक अमित महतो व पूर्व मंत्री गीता श्री उरांव ने विरोध मार्च निकाला, जिसको लेकर आंदोलनकारियों ने जगन्नाथपुर से विधानसभा जाने वाली सड़क को जाम कर दिया.
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पूर्व विधायक अमित महतो ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुनाव से पूर्व 1932 खतियान लागू करने का वादा कर चुके हैं. लेकिन अब वह अपने वादे से मुकर रहे हैं. जिसको लेकर झारखंड के स्थानीय लोगों में आक्रोश है. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मंत्रियों को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार स्थानीय नीति एवं नियोजन नीति से यहां के लोगों को लाभ पहुंचाने का काम नहीं करती है तो हेमंत सरकार कभी भी गिर सकती है.
अमित महतो ने कहा कि सदन में बैठे लोग खुद को महफूज न समझें. उन्होंने कहा कि सरकार यदि 1932 का खतियान लागू नहीं करती है तो सदन में बैठे विधायकों को अपने क्षेत्र में जाने से यहां के स्थानीय लोग रोक देंगे. इसीलिए जो खतियानी विधायक हैं वो कदम से कदम मिलाकर उनके आंदोलन में साथ दें. अमित महतो ने इशारों ही इशारों में यह भी कहा कि यदि मुख्यमंत्री यहां के स्थानीय लोगों की बात को नहीं मानेंगे तो यह सरकार कभी भी गिर सकती है.