रांची: राजस्थान के दौसा में इलाज के दौरान गर्भवती की मौत और उसके बाद रांची में पली बढ़ी डॉ अर्चना शर्मा पर 302 की प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इसके बाद डॉक्टर के दबाव में उसने आकर आत्महत्या कर ली. इस घटना के बाद से ही झारखंड के डॉक्टर आंदोलित है. झासा, आईएमए झारखंड और एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट हॉस्पिटल ऑफ इंडिया झारखंड के आह्वान पर राज्य भर के सभी चिकित्सकों ने कार्य बहिष्कार किया.
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कोडरमा में रो पड़ी पूर्व मंत्री नीरा यादव: राजस्थान के दौसा में डॉ अर्चना शर्मा की मौत के विरोध में कोडरमा के तमाम डॉक्टर आज हड़ताल पर रहे. डॉक्टरों के हड़ताल पर रहने के कारण जहां सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में ओपीडी बंद रही. वहीं इमरजेंसी सेवाएं जारी रखी गई. कोडरमा सदर अस्पताल में विधायक डॉ नीरा यादव की अगुवाई में उपस्थिति में जिले के तमाम चिकित्सकों ने बैठक की और विरोध प्रदर्शन किया. हाथों में तख्तियां लेकर डॉक्टरों ने झारखंड सरकार से मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग की. इस मौके पर चिकित्सकों को संबोधित करते हुए डॉ नीरा यादव भावुक हो उठी और डॉक्टर अर्चना की मौत पर उनकी आंखों से आंसू निकल आए. उन्होंने कहा कि कोई भी डॉक्टर लापरवाही से मरीज की मौत का जिम्मेदार नहीं होता है. इस मौके पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सचिव डॉ सुजीत राज ने कहा कि चिकित्सकों पर हो रहे हमले से उनका काम प्रभावित होता है और इलाज पर भी असर पड़ता है.
पलामू के एमएमसीएच में भी असर: राजस्थान के दौसा में डॉ. अर्चना शर्मा के आत्महत्या मामले की गूंज शनिवार को पलामू प्रमंडल में भी सुनाई दी. यहां के सभी अस्पतालों ने ओपीडी सेवा बाधित रही. ओपीडी सेवा बाधित रहने से मरीजों को परेशान होना पड़ा. सरकारी अस्पतालों में इमरजेंसी की सुविधा बहाल रही, जबकि ओपीडी की सेवा पूरी तरह से बंद रही. मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में प्रतिदिन 700 से 800 मरीजों को ओपीडी में इलाज होता है. समाचार लिखे जाने तक एमएमसीएच में मात्र 140 मरीजों का ही इमरजेंसी में इलाज हो सका था.
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पाकुड़ में कार्य बहिष्कार: राजस्थान के दौसा जिले में एक महिला चिकित्सक के फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिए जाने से पाकुड़ जिले के डॉक्टरों में काफी आक्रोश है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आह्वाहन पर गुरुवार को जिले के चिकित्सको ने कार्य बहिष्कार कर दिया और सदर अस्पताल परिसर में एक दिवसीय धरना दिया. डॉ अर्चना शर्मा की मौत के विरोध में धरना का नेतृत्व कर रहे डॉ अमित कुमार ने बताया कि राजस्थान के दौसा जिले के राजनीतिक दल व पुलिस प्रशासन द्वारा महिला चिकित्सक अर्चना शर्मा को मानसिक प्रताड़ित किया गया जिस कारण वह आत्महत्या कर ली. जिला के डॉक्टरों द्वारा कार्य बहिस्कार कर दिए जाने के कारण सरकारी एवं गैर सरकारी अस्पतालों में मरीज इलाज के लिए दिन भर इधर उधर घूमते रहे. सदर अस्पताल में आपातकालीन सेवा को छोड़ सभी सेवाएं बाधित रही.
रामगढ़ में भी प्रदर्शन: राजस्थान के दौसा में डॉ अर्चना शर्मा की आत्महत्या का मामला रामगढ़ तक पहुंच गया. इस घटना के विरोध में यहां के डॉक्टरों ने विरोध पर्दर्शन किया. डॉ अर्चना शर्मा की मौत के बाद से यहां के डॉक्टर काफी आक्रोशित है और आरोपियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. इनका कहना है कि भविष्य में इस तरह की घटना ना घटे इसलिए सरकार को मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करना चाहिए. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से पूरे झारखंड में आंदोलन हो रहा है.