रांची: झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव प्रकिया शुरू होते ही चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है. वहीं दूसरी तरफ त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का विरोध भी देखने को मिल रहा है और आज इसी कड़ी में राजभवन के समक्ष आदिवासी समाज की 22 पड़हा समिति ने भी धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान पड़हा समिति ने झारखंड में होने वाले पंचायती चुनाव का विरोध किया.
ये भी पढ़ें-Jharkhand Panchayat Election: जल्द हो सकता है तारीखों का ऐलान, पांच से सात चरणों में हो सकता है चुनाव
राजभवन के समक्ष त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का विरोध कर रहे छात्र संघ के केंद्रीय अध्यक्ष सुशील उरांव ने कहा कि राज्य में राज्यपाल पांचवीं अनुसूची के गार्जियन होते हैं और कानून के रक्षक भी होते हैं. इसलिए आदिवासियों के हितों की रक्षा की गुहार को लेकर राजपाल के समक्ष पहुंचे हैं. सुशील उरांव का कहना है कि पांचवी अनुसूची में पंचायती चुनाव कराने का प्रवधान नहीं है, जो हमारे पास स्वाशासन की व्यवस्था है उसी के आधार पर यहां काम हो.
जेएमएम पर बदलने का आरोप
सुशील ने कहा कि, जहां नगर निगम है वहां पर ऑटोनॉमस काउंसिल के माध्यम से व्यवस्था संचालित किए जाने का प्रवधन है, लेकिन राज्य सरकार चुनाव कराने की तैयारी में है. सुशील ने कहा कि हेमंत सोरेन की पार्टी जब विपक्ष में थी तो पंचायती चुनाव का विरोध करती थी, लेकिन दुर्भाग्य की बात है की राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार है और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराया जा रहा है.
वहीं दूसरी तरफ 22 पड़हा समिति का कहना है संविधान के अनुच्छेद 243, 19(5),46 में पांचवीं अनुसूची में आदिवासियों को कई विशेष अधिकार दिए गए हैं. इसके अनुसार पांचवी अनुसूची राज्य के अनुसूचित क्षेत्र में आदिवासी समाज के शैक्षणिक एवं आर्थिक हितों की रक्षा के लिए राज्यपाल को अध्यादेश जारी करने का अधिकार देती है. लेकिन राज्य में पंचायती चुनाव कर आदिवासियों की व्यवस्था का हनन किया जा रहा है और इसका दुष्परिणाम लैंड बैंक जैसी व्यवस्था लागू होने के रूप में आ रहा है.