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जानिए बजट सत्र के छठे दिन सदन क्यों रहा हंगामेदार

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Published : Mar 7, 2022, 10:22 PM IST

झारखंड विधानसभा बजट सत्र के छठे दिन सोमवार को स्थानीय नीति, भाषा विवाद और नियोजन नीति को लेकर सदन गरमाया रहा. विपक्षी दल बीजेपी और आजसू के विधायक सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए सरकार को घेरते नजर आये.

Proceedings of sixth day of Jharkhand Legislative Assembly budget session
Proceedings of sixth day of Jharkhand Legislative Assembly budget session

रांची: झारखंड विधानसभा बजट सत्र के छठे दिन सोमवार को झारखंड विधानसभा में स्थानीय नीति, भाषा विवाद और नियोजन नीति का मुद्दा गरमाया रहा. भोजनावकाश के पहले मुख्यमंत्री प्रश्नकाल के दौरान जेएसएससी परीक्षा में हिन्दी को मान्यता नहीं मिलने पर सरकार की ओर से सफाई दी गई. आजसू प्रमुख सुदेश महतो सदन में माइंस एरिया में विस्थापितों की समस्या पर सवाल उठाते नजर आये और सरकार से इनकी समस्या दूर करने की मांग की.

ये भी पढ़ें- अपनी ही पार्टी के मंत्री बादल पर क्यों भड़के बंधु तिर्की, कृषि बजट पर हुई चौतरफा घेराबंदी

भोजनावकाश के बाद सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे शुरू हुआ. सदन में कृषि विभाग के बजट पर चर्चा हुई. कृषि विभाग के बजट पर बीजेपी के विधायक सरकार पर केन्द्र एवं राज्य सरकार के पूर्व में संचालित कृषि योजनाओं की राशि खर्च नहीं करने का आरोप लगाते हुए सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करते हुए वाक आउट कर गये. भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सरकार घोषणा के अनुरूप कार्य नहीं कर पा रही है. वहीं पूर्व कृषि मंत्री रणधीर सिंह, विधायक अनंत ओझा ने सरकार पर किसान विरोधी बताते हुए जमकर निशाना साधा.

इधर, संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि सरकार का जवाब सुनने के बजाय विपक्ष सदन से बाहर वाक आउट कर जाता है. उन्होंने कहा कि स्थानीय नीति को लेकर आवाज उठाने वाली भाजपा ने इस राज्य में 12 वर्षों तक शासन किया, मगर उलझाने के सिवा कुछ भी नहीं किया. जिसके कारण छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड ने अपनी नीति बना ली और झारखंड अभी भी इसको लेकर मशक्कत कर रहा है.

कृषि बजट सदन से हुआ पारित: कृषि बजट पर सरकार की ओर से उत्तर देते हुए कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने सदन में सरकार की उपलब्धियां गिनाई. कृषि मंत्री ने कहा कि आज की तारीख तक पिछले 2 वर्षों में 3,80,150 किसानों के 50,000 तक के लोन माफ हुए हैं. अब तक ऋण माफी मद में 1516 करोड़ 76 हजार दिए जा चुके हैं. जीएसडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान साल 2019-20 में 10.9% था जो अब 14.5% हो गया है. आईएफएससी कोड बदलने की वजह से 30,267 किसानों का ऋण भुगतान लंबित है. इस बीच सरकार के जवाब पर आपत्ति जताते हुए मुख्य विपक्षी दल भाजपा के विधायक सदन से वाकआउट कर गए. कृषि मंत्री ने कहा कि पूर्व की सरकार ने 5 साल में 47231 गाय का वितरण किया. इसमें से 15199 गाय देवघर जिले में वितरित की गई क्योंकि इसी जिले से तत्कालीन कृषि मंत्री थे.

ये भी पढ़ें- अपने ही सरकार पर विधायक सीता सोरेन ने उठाया सवाल, 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति लागू करने की मांग

कृषि बजठ पर सरकार के जवाब के दौरान कांग्रेस विधायक बंधु तिर्की ने झारखंड राज्य विपणन परिषद की सुनीता चौरसिया और राहुल कुमार को भ्रष्ट अफसर बताते हुए इस बात पर आपत्ति जताई कि कृषि मंत्री उनका बचाव करते हैं. बंधु तिर्की ने कहा कि भ्रष्ट अफसरों को बचाने की वजह से सरकार की बदनामी होती है. कृषि मंत्री ने भरोसा दिलाया कि अगर भ्रष्ट अफसरों पर कार्रवाई नहीं हुई है तो कार्रवाई जरूर होगी. इन सबके बीच सदन से 2022-23 के बजट में प्राकल्लित कृषि बजट की मंजूरी देते हुए सदन की कार्यवाही मंगलवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.

स्थानीयता तय नहीं होने तक रोकें सभी नियुक्ति प्रक्रिया: स्थानीय नीति को लेकर सियासत इन दिनों जारी है. इन सबके बीच कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष सह विधायक बंधु तिर्की ने अपने ही सरकार पर हमला बोलते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सर्वदलीय बैठक बुलाकर स्थानीय नीति को तय करने की मांग की है. विधानसभा परिसर में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए बंधु तिर्की ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि स्थानीयता को सरकार निर्धारित करे. स्थानीयता और मूलवासी को बोलना विधानसभा में हमने सिखाया है. आम जनमानस की ये भावना है कि जल्द से जल्द स्थानीयता को परिभाषित किया जाय. चूंकि ये मैनिफेस्टो में भी था इसलिए सरकार द्वारा अंतिम खतियान को आधार मानते हुए इसे परिभाषित किया जाना चाहिए. जब तक स्थानीय नीति तय नहीं होता तब तक सभी नियुक्ति प्रक्रिया को रोक देना चाहिए नहीं तो जिनका हो भी जायेगा उनका भी लटक जायेगा. उन्होंने कहा कि यह शर्म की बात है कि राज्य गठन के 22 वर्ष होने के बाद भी अब तक स्थानीयता तय नहीं हुआ है.

रांची: झारखंड विधानसभा बजट सत्र के छठे दिन सोमवार को झारखंड विधानसभा में स्थानीय नीति, भाषा विवाद और नियोजन नीति का मुद्दा गरमाया रहा. भोजनावकाश के पहले मुख्यमंत्री प्रश्नकाल के दौरान जेएसएससी परीक्षा में हिन्दी को मान्यता नहीं मिलने पर सरकार की ओर से सफाई दी गई. आजसू प्रमुख सुदेश महतो सदन में माइंस एरिया में विस्थापितों की समस्या पर सवाल उठाते नजर आये और सरकार से इनकी समस्या दूर करने की मांग की.

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भोजनावकाश के बाद सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे शुरू हुआ. सदन में कृषि विभाग के बजट पर चर्चा हुई. कृषि विभाग के बजट पर बीजेपी के विधायक सरकार पर केन्द्र एवं राज्य सरकार के पूर्व में संचालित कृषि योजनाओं की राशि खर्च नहीं करने का आरोप लगाते हुए सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करते हुए वाक आउट कर गये. भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सरकार घोषणा के अनुरूप कार्य नहीं कर पा रही है. वहीं पूर्व कृषि मंत्री रणधीर सिंह, विधायक अनंत ओझा ने सरकार पर किसान विरोधी बताते हुए जमकर निशाना साधा.

इधर, संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि सरकार का जवाब सुनने के बजाय विपक्ष सदन से बाहर वाक आउट कर जाता है. उन्होंने कहा कि स्थानीय नीति को लेकर आवाज उठाने वाली भाजपा ने इस राज्य में 12 वर्षों तक शासन किया, मगर उलझाने के सिवा कुछ भी नहीं किया. जिसके कारण छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड ने अपनी नीति बना ली और झारखंड अभी भी इसको लेकर मशक्कत कर रहा है.

कृषि बजट सदन से हुआ पारित: कृषि बजट पर सरकार की ओर से उत्तर देते हुए कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने सदन में सरकार की उपलब्धियां गिनाई. कृषि मंत्री ने कहा कि आज की तारीख तक पिछले 2 वर्षों में 3,80,150 किसानों के 50,000 तक के लोन माफ हुए हैं. अब तक ऋण माफी मद में 1516 करोड़ 76 हजार दिए जा चुके हैं. जीएसडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान साल 2019-20 में 10.9% था जो अब 14.5% हो गया है. आईएफएससी कोड बदलने की वजह से 30,267 किसानों का ऋण भुगतान लंबित है. इस बीच सरकार के जवाब पर आपत्ति जताते हुए मुख्य विपक्षी दल भाजपा के विधायक सदन से वाकआउट कर गए. कृषि मंत्री ने कहा कि पूर्व की सरकार ने 5 साल में 47231 गाय का वितरण किया. इसमें से 15199 गाय देवघर जिले में वितरित की गई क्योंकि इसी जिले से तत्कालीन कृषि मंत्री थे.

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कृषि बजठ पर सरकार के जवाब के दौरान कांग्रेस विधायक बंधु तिर्की ने झारखंड राज्य विपणन परिषद की सुनीता चौरसिया और राहुल कुमार को भ्रष्ट अफसर बताते हुए इस बात पर आपत्ति जताई कि कृषि मंत्री उनका बचाव करते हैं. बंधु तिर्की ने कहा कि भ्रष्ट अफसरों को बचाने की वजह से सरकार की बदनामी होती है. कृषि मंत्री ने भरोसा दिलाया कि अगर भ्रष्ट अफसरों पर कार्रवाई नहीं हुई है तो कार्रवाई जरूर होगी. इन सबके बीच सदन से 2022-23 के बजट में प्राकल्लित कृषि बजट की मंजूरी देते हुए सदन की कार्यवाही मंगलवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.

स्थानीयता तय नहीं होने तक रोकें सभी नियुक्ति प्रक्रिया: स्थानीय नीति को लेकर सियासत इन दिनों जारी है. इन सबके बीच कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष सह विधायक बंधु तिर्की ने अपने ही सरकार पर हमला बोलते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सर्वदलीय बैठक बुलाकर स्थानीय नीति को तय करने की मांग की है. विधानसभा परिसर में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए बंधु तिर्की ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि स्थानीयता को सरकार निर्धारित करे. स्थानीयता और मूलवासी को बोलना विधानसभा में हमने सिखाया है. आम जनमानस की ये भावना है कि जल्द से जल्द स्थानीयता को परिभाषित किया जाय. चूंकि ये मैनिफेस्टो में भी था इसलिए सरकार द्वारा अंतिम खतियान को आधार मानते हुए इसे परिभाषित किया जाना चाहिए. जब तक स्थानीय नीति तय नहीं होता तब तक सभी नियुक्ति प्रक्रिया को रोक देना चाहिए नहीं तो जिनका हो भी जायेगा उनका भी लटक जायेगा. उन्होंने कहा कि यह शर्म की बात है कि राज्य गठन के 22 वर्ष होने के बाद भी अब तक स्थानीयता तय नहीं हुआ है.

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