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ग्रामीण विकास विभाग का बजट ध्वनि मत से पारित, विधायक मद की राशि बढ़ाने के सरकार ने दिए संकेत - दीदी बाड़ी योजना

झारखंड विधानसभा बजट सत्र के 7वें दिन ग्रामीण विकास विभाग का बजट ध्वनि मत से पास हुआ. इस दौरान मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि मनरेगा के तहत वर्तमान वित्तीय वर्ष में अब तक 4,52,473 योजनाओं को पूरा किया जा चुका है.

Jharkhand Assembly Budget Session
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Published : Mar 8, 2022, 7:51 PM IST

रांची: भाजपा विधायकों की अनुपस्थिति में ग्रामीण विकास विभाग का 8051 करोड़ का बजट ध्वनिमत से पारित हो गया. ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि 2006 से मनरेगा की योजना चालू हुई तो बाद में इसे मरा हुआ योजना का नाम भी दिया गया लेकिन महामारी के समय इसी मनरेगा ने रोजगार दिया. वित्तीय वर्ष 2021-22 में 1042 लाख मानव दिवस लक्ष्य की तुलना में 25 मार्च 2022 तक 1042 लाख मानव दिवस का सृजन हो चुका है.

ये भी पढ़ें- Budget Session 2022: विधानसभा में गूंजा फीस माफी और बालू तस्करी का मुद्दा, विभागीय मंत्री ने जवाब दिया

वर्तमान वित्तीय वर्ष में अब तक 4,52,473 योजनाओं को भी पूरा किया गया. मनरेगा के मामले में झारखंड में रिकॉर्ड हासिल किया, जिसकी राष्ट्रीय स्तर पर भी तारीफ की गई. विभागीय मंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने दीदी बाड़ी योजना शुरू की है जिसका सकारात्मक परिणाम निकल रहा है. वहीं बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत पौधारोपण के लिए दीदी बगिया योजना शुरू की गई है, इसके तहत अब तक 412 नर्सरी स्थापित की जा चुकी है.

विभागीय मंत्री आलमगीर आलम ने चुनौती देते हुए कहा कि यह कहना कि पिछली सरकार में प्रतिवर्ष 30 किलोमीटर ग्रामीण सड़क बनाने का काम विधायक का स्तर से होता था, सरासर बेबुनियाद है. उन्होंने कहा कि विधायकों की मांग को देखते हुए इस साल बाबा साहब भीमराव अंबेडकर योजना के तहत पूरे राज्य में 11,000 आवास बनाए जाएंगे. उन्होंने गिरिडीह में ज्यादा से ज्यादा रोड बनाने का भी भरोसा दिलाया.

ये भी पढ़ें- International Women's Day: झारखंड की महिला जनप्रतिनिधियों ने नारी सशक्तिकरण पर दिया जोर

ग्रामीण विकास विभाग के बजट पर कटौती प्रस्ताव लाने वाले भाजपा विधायक अनंत ओझा ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने झारखंड में गांव की सरकार बनवाने का काम शुरू किया था, लेकिन वर्तमान सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है. उन्होंने कहा कि पिछले बार कुल बजट का 14.16% राशि इस विभाग के लिए आवंटित थी जो 2022-23 में घटा कर 12.59% हो गई है. उन्होंने आरोप लगाया कि ग्रामीण विकास विभाग की अब तक सिर्फ 33% राशि ही खर्च हो पाई है. गांव की सड़कों का हाल बेहाल है.

भाजपा विधायक नवीन जायसवाल ने कहा कि वर्तमान सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है. 30% कम पर टेंडर हो रहा है. हर काम के लिए रिश्वत मांगे जा रहे हैं. उन्होंने नामकुम अंचल के सीओ विनोद प्रजापति का भी जिक्र किया और कहा कि वह खुलेआम निर्देशन के नाम पर लाखों रुपए मांगते हैं.

दूसरी तरफ झामुमो विधायक वैद्यनाथ राम ने ग्रामीण विकास विभाग के कामकाज की तारीफ की और उन्होंने सुझाव दिया कि मनरेगा में न्यूनतम कार्य दिवस को 100 दिन से ज्यादा बढ़ाना चाहिए. कांग्रेस विधायक उमाशंकर अकेला ने कहा कि ग्रामीण सड़कों की हालत दयनीय हो गई है. यही स्थिति रही तो चुनाव जीतना मुश्किल हो जाएगा. कांग्रेस विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि लाभुकों को कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देना जरूरी है. भाकपा माले के विधायक विनोद सिंह ने सरकार से न्याय पंचायत के गठन की मांग के साथ ही जल्द से जल्द पंचायत चुनाव कराने का आग्रह किया.

ये भी पढ़ें- झारखंड की इस महिला विधायक का अंदाज है निराला, घोड़े पर होकर सवार पहुंची विधानसभा

आजसू विधायक लंबोदर महतो ने कहा कि मनरेगा मजदूरों का करोड़ों रुपए बतौर पारिश्रमिक बकाया है. मेटेरियल का भी पैसा पेंडिंग है. निर्दलीय विधायक अमित मंडल ने कहा कि मनरेगा में बिचौलिया हावी है. सिर्फ एसटी-एससी को मंजूरी मिल रही है जो ओबीसी और जनरल के साथ भेदभाव है. झामुमो विधायक दशरथ चौधरी ने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि सरकार चुनाव के वक्त किए गए तमाम घोषणाओं को धरातल पर उतारेगी.

वहीं, भाजपा विधायक आलोक चौरसिया ने कहा कि मनरेगा मुसीबत बन गई है. मजदूरों को बकाया राशि नहीं मिल रही है. उन्होंने कहा कि 30% लो रेट पर काम आवंटित हो रहा है. ऐसे में गुणवत्ता पूर्व काम कैसे हो पाएगा. इरफान अंसारी ने भी ग्रामीण सड़कों के निर्माण में तेजी और पुल पुलिया निर्माण की संख्या को बढ़ाने का आग्रह किया. इस दौरान सूचना के तहत पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि एक तरफ सरकार कह रही है कि मनरेगा में अप्रत्याशित रूप से मानव दिवस का सृजन हुआ है जो बताता है कि इस सरकार के कार्यकाल में बेरोजगारी बढ़ी है.

इस बीच सूचना के तहत कई विधायकों ने विधायक मद की राशि को चार करोड़ से बढ़ाकर आठ करोड़ करने की सरकार से अपील की. ग्रामीण विकास विभाग के बजट पर सरकार की तरफ से जवाब देते हुए मंत्री आलमगीर आलम ने तमाम विधायकों की भावना का जिक्र करते हुए कहा कि वह मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री से अपेक्षा करते हैं कि इस बजट सत्र के अंतिम दिन विधायक मद की राशि बढ़ाने की दिशा में कोई घोषणा की जाए.

रांची: भाजपा विधायकों की अनुपस्थिति में ग्रामीण विकास विभाग का 8051 करोड़ का बजट ध्वनिमत से पारित हो गया. ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि 2006 से मनरेगा की योजना चालू हुई तो बाद में इसे मरा हुआ योजना का नाम भी दिया गया लेकिन महामारी के समय इसी मनरेगा ने रोजगार दिया. वित्तीय वर्ष 2021-22 में 1042 लाख मानव दिवस लक्ष्य की तुलना में 25 मार्च 2022 तक 1042 लाख मानव दिवस का सृजन हो चुका है.

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वर्तमान वित्तीय वर्ष में अब तक 4,52,473 योजनाओं को भी पूरा किया गया. मनरेगा के मामले में झारखंड में रिकॉर्ड हासिल किया, जिसकी राष्ट्रीय स्तर पर भी तारीफ की गई. विभागीय मंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने दीदी बाड़ी योजना शुरू की है जिसका सकारात्मक परिणाम निकल रहा है. वहीं बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत पौधारोपण के लिए दीदी बगिया योजना शुरू की गई है, इसके तहत अब तक 412 नर्सरी स्थापित की जा चुकी है.

विभागीय मंत्री आलमगीर आलम ने चुनौती देते हुए कहा कि यह कहना कि पिछली सरकार में प्रतिवर्ष 30 किलोमीटर ग्रामीण सड़क बनाने का काम विधायक का स्तर से होता था, सरासर बेबुनियाद है. उन्होंने कहा कि विधायकों की मांग को देखते हुए इस साल बाबा साहब भीमराव अंबेडकर योजना के तहत पूरे राज्य में 11,000 आवास बनाए जाएंगे. उन्होंने गिरिडीह में ज्यादा से ज्यादा रोड बनाने का भी भरोसा दिलाया.

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ग्रामीण विकास विभाग के बजट पर कटौती प्रस्ताव लाने वाले भाजपा विधायक अनंत ओझा ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने झारखंड में गांव की सरकार बनवाने का काम शुरू किया था, लेकिन वर्तमान सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है. उन्होंने कहा कि पिछले बार कुल बजट का 14.16% राशि इस विभाग के लिए आवंटित थी जो 2022-23 में घटा कर 12.59% हो गई है. उन्होंने आरोप लगाया कि ग्रामीण विकास विभाग की अब तक सिर्फ 33% राशि ही खर्च हो पाई है. गांव की सड़कों का हाल बेहाल है.

भाजपा विधायक नवीन जायसवाल ने कहा कि वर्तमान सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है. 30% कम पर टेंडर हो रहा है. हर काम के लिए रिश्वत मांगे जा रहे हैं. उन्होंने नामकुम अंचल के सीओ विनोद प्रजापति का भी जिक्र किया और कहा कि वह खुलेआम निर्देशन के नाम पर लाखों रुपए मांगते हैं.

दूसरी तरफ झामुमो विधायक वैद्यनाथ राम ने ग्रामीण विकास विभाग के कामकाज की तारीफ की और उन्होंने सुझाव दिया कि मनरेगा में न्यूनतम कार्य दिवस को 100 दिन से ज्यादा बढ़ाना चाहिए. कांग्रेस विधायक उमाशंकर अकेला ने कहा कि ग्रामीण सड़कों की हालत दयनीय हो गई है. यही स्थिति रही तो चुनाव जीतना मुश्किल हो जाएगा. कांग्रेस विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि लाभुकों को कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देना जरूरी है. भाकपा माले के विधायक विनोद सिंह ने सरकार से न्याय पंचायत के गठन की मांग के साथ ही जल्द से जल्द पंचायत चुनाव कराने का आग्रह किया.

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आजसू विधायक लंबोदर महतो ने कहा कि मनरेगा मजदूरों का करोड़ों रुपए बतौर पारिश्रमिक बकाया है. मेटेरियल का भी पैसा पेंडिंग है. निर्दलीय विधायक अमित मंडल ने कहा कि मनरेगा में बिचौलिया हावी है. सिर्फ एसटी-एससी को मंजूरी मिल रही है जो ओबीसी और जनरल के साथ भेदभाव है. झामुमो विधायक दशरथ चौधरी ने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि सरकार चुनाव के वक्त किए गए तमाम घोषणाओं को धरातल पर उतारेगी.

वहीं, भाजपा विधायक आलोक चौरसिया ने कहा कि मनरेगा मुसीबत बन गई है. मजदूरों को बकाया राशि नहीं मिल रही है. उन्होंने कहा कि 30% लो रेट पर काम आवंटित हो रहा है. ऐसे में गुणवत्ता पूर्व काम कैसे हो पाएगा. इरफान अंसारी ने भी ग्रामीण सड़कों के निर्माण में तेजी और पुल पुलिया निर्माण की संख्या को बढ़ाने का आग्रह किया. इस दौरान सूचना के तहत पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि एक तरफ सरकार कह रही है कि मनरेगा में अप्रत्याशित रूप से मानव दिवस का सृजन हुआ है जो बताता है कि इस सरकार के कार्यकाल में बेरोजगारी बढ़ी है.

इस बीच सूचना के तहत कई विधायकों ने विधायक मद की राशि को चार करोड़ से बढ़ाकर आठ करोड़ करने की सरकार से अपील की. ग्रामीण विकास विभाग के बजट पर सरकार की तरफ से जवाब देते हुए मंत्री आलमगीर आलम ने तमाम विधायकों की भावना का जिक्र करते हुए कहा कि वह मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री से अपेक्षा करते हैं कि इस बजट सत्र के अंतिम दिन विधायक मद की राशि बढ़ाने की दिशा में कोई घोषणा की जाए.

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