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ड्राइविंग टेस्टिंग सेंटर में दलालों का काम आसान, पब्लिक के लिए खड़ी की जा रही परेशानी - जिला परिवहन पदाधिकारी प्रवीण प्रकाश

झारखंड में हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. इसके चलते राज्य के बड़े वाहन चालकों को हैवी और कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस रिन्युअल और नया लाइसेंस बनवाने के लिए ड्राइविंग टेस्टिंग सेंटर में दलालों की मदद लेनी पड़ रही है.

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ड्राइविंग टेस्टिंग सेंटर में दलालों का काम आसान
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Published : Dec 18, 2021, 1:31 PM IST

Updated : Dec 18, 2021, 5:15 PM IST

रांचीः झारखंड में हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. इसके चलते राज्य के बड़े वाहन चालकों को हैवी और कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस रिन्युअल और नया लाइसेंस बनवाने के लिए ड्राइविंग टेस्टिंग सेंटर में दलालों की मदद लेनी पड़ रही है.


ये भी पढ़ें-बैंक ऑफ इंडिया की सिमरिया ब्रांच में 50 लाख का घोटाला, मैनेजर की आईडी से कैशियर ने उड़ाए, प्रबंधक समेत तीन पर गिरी गाज


वाहन चालकों का कहना है कि झारखंड में पहले मात्र 2 जिलों में ही हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बनाए जाते थे, कुछ माह पहले राज्य के कुछ अन्य जिलों में भी हैवी और कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए डिस्ट्रिक्ट सेंटर खोले गए हैं. लेकिन वहां पर काम कराना आसान नहीं है. नतीजतन चालकों को सेंटर में काम कराने वाले एजेंट का सहारा लेना पड़ता है, तभी उनका हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बन पाता है या फिर उसे रिन्यू किया जा पाता है.

क्या आती है दिक्कत

रांची में हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने आए एक चालक दीपक लकड़ा ने बताया कि परिवहन विभाग के रवैये के कारण ड्राइवर को हैवी ड्राइविंग लाइसेंस के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है. झारखंड चालक कल्याण संघ के अध्यक्ष राणा बजरंगी सिंह बताते हैं कि हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए चालकों को लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जिस वजह से चालक भी मजबूर होकर वेंडर या दलालों के माध्यम से काम करवाने के लिए विवश हो जाते हैं.

25 दिन सेंटर में बिताना पड़ा

अपना हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के बाद एक चालक ने बताया कि उन्हें अपना लाइसेंस बनवाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी. उसने लगभग 20 से 25 दिन तक धनबाद के लाइसेंस टेस्टिंग सेंटर में बिताए और फिर कागजी प्रक्रिया पूरी हो पाई, जिसके बाद उसके हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बनवा सका, जबकि वेंडर के सारे काम आसानी से हो जाते हैं. वेंडर के जरिये चालकों को टेस्टिंग सेंटर में ट्रेनिंग लेने से भी छूट मिल जाती है.

विभाग में भ्रष्टाचार

परिवहन विभाग के वकील सीएमके त्रिपाठी बताते हैं कि झारखंड में लाइसेंस बनवाने को लेकर आज भी दलाल सक्रिय हैं. उन्होंने बताया कि कई बार तो हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए चालकों को एक जिला से दूसरे जिले का भी चक्कर लगाना पड़ता है. उन्होंने बताया कि नियमानुसार भारी वाहनों के लाइसेंस को बनवाने के लिए पहले हल्के वाहन का लाइसेंस बनवाया जाता है, उसके बाद ही ट्रेनिंग के बाद हैवी लाइसेंस निर्गत होता है. लेकिन झारखंड में इन दिनों लाइट व्हीकल लाइसेंस यदि रांची जिला से बना है तो उसी शख्स का हैवी व्हीकल लाइसेंस दूसरे जिला से निर्गत हो रहा है जो कि दिक्कत की ओर इशारा कर रहा है.

वकील सीएमके त्रिपाठी बताते हैं कि हैवी लाइसेंस बनाने के लिए form-5 की आवश्यकता होती है लेकिन जिला परिवहन कार्यालय में कई ऐसे ड्राइविंग लाइसेंस निर्गत हुए हैं जो बिना form-5 के ही बन गए हैं.

क्या कहा जिला परिवहन पदाधिकारी

इस संबंध में हमने जब इसको लेकर रांची के जिला परिवहन पदाधिकारी प्रवीण प्रकाश से बात की तो उन्होंने बताया कि हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए ट्रेनिंग की आवश्यकता होती है ताकि जब चालक सड़क पर बड़ी गाड़ी लेकर उतरें तो उन्हें हर चीजों की जानकारी होनी चाहिए. सड़क दुर्घटना से कैसे बचे, इन सभी चीजों की जानकारी ट्रेनिंग के दौरान चालकों को दी जाती है.

प्रवीण प्रकाश ने कहा कि फिलहाल झारखंड के 4 से 5 जिलों में हैवी ड्राइविंग लाइसेंस का टेस्टिंग सेंटर खोला गया है और जल्द से जल्द अन्य जिलों में भी टेस्टिंग सेंटर खोले जाएंगे ताकि गरीब चालकों को दिक्कतों का सामना ना करना पड़े.


जिला परिवहन पदाधिकारी प्रवीण प्रकाश से हमने जब पूछा कि हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए चालकों को लंबा इंतजार करना पड़ता है, जिस वजह से वह वेंडर के सहारे लाइसेंस बनवाने या रिन्युअल करवाने के लिए मजबूर होते हैं तो इस पर उन्होंने कहा कि पूरे मामले की शिकायत भारत सरकार के एनआईसी पोर्टल पर की गई थी, जिस पर अधिकारियों ने संज्ञान लेते हुए इस पर रोक लगा दी है ताकि गरीब चालकों का आसानी से हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बन सके.

खुद अप्लाई करने पर ये अड़ंगे

  • अपने से लाइसेंस बनवाने की कोशिश करने वालों को लाइसेंस के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है.
  • परिवहन विभाग की लंबी प्रक्रिया कर देती है हौंसले पस्त
  • लाइसेंस के लिए टेस्टिंग सेंटर के चक्कर लगाने से काम होता है बाधित
  • एक जिले से हल्के वाहन तो दूसरे जिले से बनवाना पड़ रहा हैवी वाहन लाइसेंस

रांचीः झारखंड में हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. इसके चलते राज्य के बड़े वाहन चालकों को हैवी और कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस रिन्युअल और नया लाइसेंस बनवाने के लिए ड्राइविंग टेस्टिंग सेंटर में दलालों की मदद लेनी पड़ रही है.


ये भी पढ़ें-बैंक ऑफ इंडिया की सिमरिया ब्रांच में 50 लाख का घोटाला, मैनेजर की आईडी से कैशियर ने उड़ाए, प्रबंधक समेत तीन पर गिरी गाज


वाहन चालकों का कहना है कि झारखंड में पहले मात्र 2 जिलों में ही हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बनाए जाते थे, कुछ माह पहले राज्य के कुछ अन्य जिलों में भी हैवी और कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए डिस्ट्रिक्ट सेंटर खोले गए हैं. लेकिन वहां पर काम कराना आसान नहीं है. नतीजतन चालकों को सेंटर में काम कराने वाले एजेंट का सहारा लेना पड़ता है, तभी उनका हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बन पाता है या फिर उसे रिन्यू किया जा पाता है.

क्या आती है दिक्कत

रांची में हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने आए एक चालक दीपक लकड़ा ने बताया कि परिवहन विभाग के रवैये के कारण ड्राइवर को हैवी ड्राइविंग लाइसेंस के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है. झारखंड चालक कल्याण संघ के अध्यक्ष राणा बजरंगी सिंह बताते हैं कि हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए चालकों को लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जिस वजह से चालक भी मजबूर होकर वेंडर या दलालों के माध्यम से काम करवाने के लिए विवश हो जाते हैं.

25 दिन सेंटर में बिताना पड़ा

अपना हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के बाद एक चालक ने बताया कि उन्हें अपना लाइसेंस बनवाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी. उसने लगभग 20 से 25 दिन तक धनबाद के लाइसेंस टेस्टिंग सेंटर में बिताए और फिर कागजी प्रक्रिया पूरी हो पाई, जिसके बाद उसके हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बनवा सका, जबकि वेंडर के सारे काम आसानी से हो जाते हैं. वेंडर के जरिये चालकों को टेस्टिंग सेंटर में ट्रेनिंग लेने से भी छूट मिल जाती है.

विभाग में भ्रष्टाचार

परिवहन विभाग के वकील सीएमके त्रिपाठी बताते हैं कि झारखंड में लाइसेंस बनवाने को लेकर आज भी दलाल सक्रिय हैं. उन्होंने बताया कि कई बार तो हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए चालकों को एक जिला से दूसरे जिले का भी चक्कर लगाना पड़ता है. उन्होंने बताया कि नियमानुसार भारी वाहनों के लाइसेंस को बनवाने के लिए पहले हल्के वाहन का लाइसेंस बनवाया जाता है, उसके बाद ही ट्रेनिंग के बाद हैवी लाइसेंस निर्गत होता है. लेकिन झारखंड में इन दिनों लाइट व्हीकल लाइसेंस यदि रांची जिला से बना है तो उसी शख्स का हैवी व्हीकल लाइसेंस दूसरे जिला से निर्गत हो रहा है जो कि दिक्कत की ओर इशारा कर रहा है.

वकील सीएमके त्रिपाठी बताते हैं कि हैवी लाइसेंस बनाने के लिए form-5 की आवश्यकता होती है लेकिन जिला परिवहन कार्यालय में कई ऐसे ड्राइविंग लाइसेंस निर्गत हुए हैं जो बिना form-5 के ही बन गए हैं.

क्या कहा जिला परिवहन पदाधिकारी

इस संबंध में हमने जब इसको लेकर रांची के जिला परिवहन पदाधिकारी प्रवीण प्रकाश से बात की तो उन्होंने बताया कि हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए ट्रेनिंग की आवश्यकता होती है ताकि जब चालक सड़क पर बड़ी गाड़ी लेकर उतरें तो उन्हें हर चीजों की जानकारी होनी चाहिए. सड़क दुर्घटना से कैसे बचे, इन सभी चीजों की जानकारी ट्रेनिंग के दौरान चालकों को दी जाती है.

प्रवीण प्रकाश ने कहा कि फिलहाल झारखंड के 4 से 5 जिलों में हैवी ड्राइविंग लाइसेंस का टेस्टिंग सेंटर खोला गया है और जल्द से जल्द अन्य जिलों में भी टेस्टिंग सेंटर खोले जाएंगे ताकि गरीब चालकों को दिक्कतों का सामना ना करना पड़े.


जिला परिवहन पदाधिकारी प्रवीण प्रकाश से हमने जब पूछा कि हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए चालकों को लंबा इंतजार करना पड़ता है, जिस वजह से वह वेंडर के सहारे लाइसेंस बनवाने या रिन्युअल करवाने के लिए मजबूर होते हैं तो इस पर उन्होंने कहा कि पूरे मामले की शिकायत भारत सरकार के एनआईसी पोर्टल पर की गई थी, जिस पर अधिकारियों ने संज्ञान लेते हुए इस पर रोक लगा दी है ताकि गरीब चालकों का आसानी से हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बन सके.

खुद अप्लाई करने पर ये अड़ंगे

  • अपने से लाइसेंस बनवाने की कोशिश करने वालों को लाइसेंस के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है.
  • परिवहन विभाग की लंबी प्रक्रिया कर देती है हौंसले पस्त
  • लाइसेंस के लिए टेस्टिंग सेंटर के चक्कर लगाने से काम होता है बाधित
  • एक जिले से हल्के वाहन तो दूसरे जिले से बनवाना पड़ रहा हैवी वाहन लाइसेंस
Last Updated : Dec 18, 2021, 5:15 PM IST
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