रांची: किसी भी शहर के लिए एयरपोर्ट सबसे महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है, क्योंकि एयरपोर्ट पर शहर के बड़े और वीआईपी लोगों का आना जाना लगा रहता है. ऐसे में एयरपोर्ट की सुरक्षा किसी भी शहर के लिए प्राथमिकता रखती है, लेकिन इस मामले में राजधानी के एयरपोर्ट के अधिकारी बिल्कुल ही बेसुध हैं. दरअसल एयरपोर्ट के बाहर कई ऐसे निजी वाहन लगे रहते हैं, जो एयरपोर्ट प्रशासन और जिला प्रशासन की निगरानी से बाहर हैं.
कैसे होती हैं गाड़ियों की तलाश
एयरपोर्ट पर राज्य के विभिन्न जिलों से पैसे वाले लोग अपनी निजी गाड़ी से रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पहुंचते है. अपने मालिक को एयरपोर्ट छोड़ने के बाद ड्राइवर कुछ देर तक एयरपोर्ट के बाहर ही इंतजार करते है और अंदर के ड्राइवरों से संपर्क बनाकर रखते है. अगर जमशेदपुर बोकारो या अन्य जिला जाने वाली कोई सवारी मिलती है तो उनकी गाड़ी में ट्रांसफर कर दें. इससे एयरपोर्ट के अंदर गाड़ी लगाने वाले को भी पैसे की बचत होती है और जो ड्राइवर अपने मालिक को लेकर एयरपोर्ट पहुंचते है उन्हें भी लौटने के बाद यात्रियों से पैसे का लाभ हो जाता है.
कैसे होती है पैसे की बचत
एयरपोर्ट के अंदर लगने वाली गाड़ी किसी यात्री से 3 हजार में जमशेदपुर के लिए बुकिंग करते है तो बाहर निकलने के बाद कई ऐसी निजी गाड़ी हैं, जो जमशेदपुर की होती है और उन्हें खाली गाड़ी लेकर ऐसे भी वापस जाना ही है. तो ऐसे कुछ गाड़ी चालकों को एयरपोर्ट के लोकल ड्राइवरों की तरफ से थोड़े बहुत पैसे का लालच देकर पैसेंजर भर कर भेज दिया जाता है.
सड़क पर लगी रहती हैं गाड़ियां
ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है की जिन गाड़ियों का रिकॉर्ड एयरपोर्ट प्रबंधन को नहीं होता है वैसे ही गाड़ियों में पैसेंजर को भेजना निश्चित रूप से खतरनाक हो सकता है, जिस प्रकार से यह गाड़ियां एयरपोर्ट सड़क पर लगी रहती हैं. ऐसे में कई बार यह भी हो सकता है कि इन गाड़ियों में बैठे किसी शख्स की तरफ से किसी घटना को अंजाम दे दिया जाए.
देना पड़ेगा पार्किंग चार्ज
वहीं एयरपोर्ट पर पार्किंग कर्मचारियों का कहना है कि बाहर लगने वाली गाड़ी एयरपोर्ट के अंदर इसलिए नहीं लगती है कि उन्हें पार्किंग चार्ज देना पड़ेगा. इस डर से वह बाहर ही गाड़ी खड़ा करते हैं, जो कि कहीं न कहीं सुरक्षा के दृष्टिकोण से खतरनाक है.