रांचीः वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल में शैक्षणिक व्यवस्था की गुणवत्ता बनाए रखने और स्कूल खोलने को लेकर राज्य सरकार की ओर से मांगे गए सुझाव पर प्राईवेट स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन (पासवा) की रविवार को झारखंड प्रदेश की ओर से वर्चुअल मीटिंग की गई. इसमें कुछ अभिभावकों ने कक्षा आठ तक की पढ़ाई घर में ही जारी रखने का सुझाव दिया. वहीं, कक्षा 9 से 12 वीं तक के विद्यार्थियों के लिए सोशल डिस्टेसिंग या रोटेशन के आधार पर या जिस तरह से सरकारी कार्यालयों में 33 प्रतिशत उपस्थिति में काम किया जा रहा है. उसी तरह से सारे दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए पढ़ाई शुरू किए जाने का सुझाव दिया.
ये भी पढ़े: झारखंड कैबिनेट पर कोरोना का साया, 3 मंत्री समेत 5 विधायक हुए संक्रमित
पासवा के झारखंड इकाई के अध्यक्ष आलोक कुमार दुबे की अध्यक्षता में झारखंड में सुरक्षा के बीच स्कूल खोलने को लेकर पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद के मार्गदर्शन में आनलाइन हुई वर्चुअल मीटिंग में सभी 24 जिलों के एसोसिएशन से जुड़े पदाधिकारियों, अभिभावकों और बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया. ऐसे में अभिभावकों और बुद्धिजीवियों ने वर्चुअल मीटिंग में केंद्र सरकार की ओर से शिक्षा जगत की अनदेखी किए जाने का आरोप लगाया है और पिछले 5 महीने में केंद्र की सरकार ने कभी भी शिक्षा को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई है.
देश का कोई ऐसा घर नहीं होगा, जहां बच्चे स्कूल या कॉलेज नहीं जाते होंगे. यहां तक कि 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज में शैक्षणिक जगत के लिए किसी भी प्रकार की सहायता उपलब्ध नहीं कराना देश की जनता के साथ विश्वासघात है. बच्चों के भविष्य को देखते हुए केंद्र सरकार को स्कूल और कॉलेज के प्रति संजीदगी दिखानी चाहिए. पासवा के प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दुबे और महासचिव राजेश गुप्ता छोटू ने बताया कि वर्चुअल मीटिंग में अभिभावकों की ओर से आये सुझाव से राज्य के शिक्षामंत्री को अवगत कराया जाएगा. उन्होंने बताया कि एक-दो दिनों में विस्तृत प्रतिवेदन तैयार कर मंत्री रामेश्वर उरांव और शिक्षामंत्री जगरनाथ महतो को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी.