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आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज करने से मना कर रहे अस्पताल! जानें वजह - रांची न्यूज

झारखंड में आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Yojna in Jharkhand) की स्थिति खराब होती जा रही है. राज्य के निजी अस्पताल अब आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज (Treatment Under Ayushman Bharat Yojna) करने से मना कर रहे हैं. इस योजना की शुरुआत झारखंड से ही हुई थी और अब झारखंड में यह दम तोड़ती नजर आ रही है. बताया जा रहा है कि राज्य में योजना का नाम बदलने के बाद से ही लगातार इसकी स्थिति खराब हुई है.

Ayushman Bharat Yojna in Jharkhand
Ayushman Bharat Yojna in Jharkhand
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Published : Oct 31, 2022, 6:55 PM IST

रांची: झारखंड की धरती से शुरू हुई आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Yojna in Jharkhand) से आज यहां रहने वाले लोग ही लाभान्वित नहीं हो पा रहे हैं. साल 2018 में रांची के धुर्वा मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन केंद्र स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इसकी शुरुआत की थी. योजना शुरू होने के बाद कुछ सालों तक तो लोगों को इसका लाभ मिला लेकिन, धीरे-धीरे यह योजना झारखंड में दम तोड़ती नजर आई.

ये भी पढ़ें: झारखंड में प्रधानमंत्री नहीं अब मुख्यमंत्री की 'JAY'! जानिए क्या है माजरा

योजना के तहत इलाज करने से मना कर रहे अस्पताल: साल 2021 में पीएम जन आरोग्य योजना को मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना में तब्दील कर दिया गया लेकिन, नाम बदलने के बावजूद योजना की स्थिति बेहतर नहीं हो पाई. राज्य के गरीब लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. झारखंड में आयुष्मान भारत योजना की वर्तमान स्थिति की बात करें तो राज्य के निजी अस्पताल अब आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज करने से मना करते नजर आ रहे हैं (Treatment Under Ayushman Bharat Yojna). निजी अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि पिछले एक साल से उन्हें आयुष्मान भारत का पेमेंट नहीं मिल रहा है, जिस वजह से वह अब मरीजों का इलाज करने में असमर्थ हैं. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार गढ़वा जिला में पिछले 3 वर्षों से अस्पतालों को आयुष्मान भारत का पैसा भुगतान नहीं हुआ है. जिस वजह से अब निजी अस्पताल आम लोगों का इलाज करने से मना कर रहे हैं.

जानकारी देते अधिकारी

अस्पतालों को नहीं मिल रहा है पेमेंट: आयुष्मान भारत योजना को लेकर आईएमए रांची के जिला अध्यक्ष डॉक्टर शंभू प्रसाद बताते हैं कि साल 2018 में जब झारखंड की धरती से इस योजना की शुरुआत हुई थी, तो शुरुआत के 3 साल तक इस योजना का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंच रहा था और अस्पतालों को भी उनका पेमेंट समय पर मिल पा रहा था. साल 2018 से साल 2021 आयुष्मान भारत योजना को प्रत्येक लोगों तक पहुंचाने के लिए झारखंड को अवार्ड भी दिए गए थे. लेकिन, अब झारखंड में आयुष्मान भारत के तहत इलाज करने वाले अस्पताल, मरीजों को सुविधा देने से इनकार कर रहे हैं. आज झारखंड में आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Yojna in Jharkhand) दम तोड़ रही है और इसका मुख्य कारण यह है कि पिछले एक साल से राजधानी सहित पूरे राज्य के विभिन्न अस्पतालों में आयुष्मान भारत से जुड़े करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपए बकाए हैं और इसको लेकर सरकार भी संवेदनहीन है. सरकार की संवेदनहीन रवैया को देखते हुए कई अस्पताल कर्ज में आ गए हैं तो वहीं झारखंड के कई ऐसे अस्पताल हैं जो बंद भी हो गए हैं.

निजी अस्पतालों का निबंधन रद्द करने की बात आई है सामने: आईएमए रांची के जिला अध्यक्ष डॉक्टर शंभू प्रसाद बताते हैं कि पिछले दिनों स्वास्थ्य मंत्री ने जिस प्रकार से आयुष्मान भारत योजना को लेकर अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन को बंद करने की बात कही थी. वह निश्चित रूप से राज्य के सभी चिकित्सकों को हतोत्साहित कर रहा है. क्योंकि एक तरफ राज्य में कार्यरत अधिकारी अस्पतालों को आयुष्मान भारत के पैसे का भुगतान नहीं कर रहे हैं और दूसरी तरफ राज्य सरकार के मंत्री निजी अस्पतालों का निबंधन रद्द करने की बात कर रहे हैं.

नाम बदलने के बाद लगातार खराब हो रही स्थिति: योजना शुरू होने के करीब 3 वर्षों के बाद झारखंड में इस योजना का नाम प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से बदलकर मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना कर दिया गया. जिसके बाद से इसकी स्थिति और भी खराब होती चली गई. आयुष्मान भारत योजना में सरकार, अस्पताल और हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के साथ एमओयू साइन होता है और इस एमओयू में अस्पताल को बीमा कंपनी इलाज का पैसा देती है लेकिन, वर्तमान में बीमा कंपनी को भी इलाज के पैसे नहीं मिल रहे हैं.

क्या कहते हैं राज्य के स्वास्थ्य सचिव: डॉक्टरों की समस्या को लेकर ईटीवी भारत ने जब राज्य के स्वास्थ्य सचिव अरुण कुमार सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि विभाग की तरफ से कोई रोक नहीं लगाई गई है. लेकिन, आयुष्मान भारत के भुगतान में अस्पताल प्रबंधन की कई तरह की गड़बड़ी देखने को मिल रही थी. इसके बावजूद भुगतान में समस्या हो रही है तो उनकी तरफ से ठोस कदम उठाए जाएंगे.

मंत्री के बयान से आक्रोशित हैं डॉक्टर: आईएमए रांची के जिला अध्यक्ष और निजी अस्पताल के संचालक डॉ शंभू प्रसाद बताते हैं कि मंत्री के द्वारा दिए गए बयान को लेकर डॉक्टरों में आक्रोश है. यदि निजी अस्पतालों के बकाए पैसे नहीं मिलेंगे तो जल्द ही राज्य भर के डॉक्टर अपनी परेशानी के समाधान के लिए आंदोलन का रुख करेंगे. मालूम हो कि आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत इसलिए की गई थी ताकि गरीब मरीज भी बड़े अस्पताल में अच्छा इलाज करा सकें. लेकिन जिस तरह से बड़े अस्पताल इलाज करने से मना कर रहे हैं. ऐसे में आयुष्मान भारत का लाभ अंतिम व्यक्ति तक कैसे पहुंच पाएगा?

रांची: झारखंड की धरती से शुरू हुई आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Yojna in Jharkhand) से आज यहां रहने वाले लोग ही लाभान्वित नहीं हो पा रहे हैं. साल 2018 में रांची के धुर्वा मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन केंद्र स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इसकी शुरुआत की थी. योजना शुरू होने के बाद कुछ सालों तक तो लोगों को इसका लाभ मिला लेकिन, धीरे-धीरे यह योजना झारखंड में दम तोड़ती नजर आई.

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योजना के तहत इलाज करने से मना कर रहे अस्पताल: साल 2021 में पीएम जन आरोग्य योजना को मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना में तब्दील कर दिया गया लेकिन, नाम बदलने के बावजूद योजना की स्थिति बेहतर नहीं हो पाई. राज्य के गरीब लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. झारखंड में आयुष्मान भारत योजना की वर्तमान स्थिति की बात करें तो राज्य के निजी अस्पताल अब आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज करने से मना करते नजर आ रहे हैं (Treatment Under Ayushman Bharat Yojna). निजी अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि पिछले एक साल से उन्हें आयुष्मान भारत का पेमेंट नहीं मिल रहा है, जिस वजह से वह अब मरीजों का इलाज करने में असमर्थ हैं. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार गढ़वा जिला में पिछले 3 वर्षों से अस्पतालों को आयुष्मान भारत का पैसा भुगतान नहीं हुआ है. जिस वजह से अब निजी अस्पताल आम लोगों का इलाज करने से मना कर रहे हैं.

जानकारी देते अधिकारी

अस्पतालों को नहीं मिल रहा है पेमेंट: आयुष्मान भारत योजना को लेकर आईएमए रांची के जिला अध्यक्ष डॉक्टर शंभू प्रसाद बताते हैं कि साल 2018 में जब झारखंड की धरती से इस योजना की शुरुआत हुई थी, तो शुरुआत के 3 साल तक इस योजना का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंच रहा था और अस्पतालों को भी उनका पेमेंट समय पर मिल पा रहा था. साल 2018 से साल 2021 आयुष्मान भारत योजना को प्रत्येक लोगों तक पहुंचाने के लिए झारखंड को अवार्ड भी दिए गए थे. लेकिन, अब झारखंड में आयुष्मान भारत के तहत इलाज करने वाले अस्पताल, मरीजों को सुविधा देने से इनकार कर रहे हैं. आज झारखंड में आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Yojna in Jharkhand) दम तोड़ रही है और इसका मुख्य कारण यह है कि पिछले एक साल से राजधानी सहित पूरे राज्य के विभिन्न अस्पतालों में आयुष्मान भारत से जुड़े करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपए बकाए हैं और इसको लेकर सरकार भी संवेदनहीन है. सरकार की संवेदनहीन रवैया को देखते हुए कई अस्पताल कर्ज में आ गए हैं तो वहीं झारखंड के कई ऐसे अस्पताल हैं जो बंद भी हो गए हैं.

निजी अस्पतालों का निबंधन रद्द करने की बात आई है सामने: आईएमए रांची के जिला अध्यक्ष डॉक्टर शंभू प्रसाद बताते हैं कि पिछले दिनों स्वास्थ्य मंत्री ने जिस प्रकार से आयुष्मान भारत योजना को लेकर अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन को बंद करने की बात कही थी. वह निश्चित रूप से राज्य के सभी चिकित्सकों को हतोत्साहित कर रहा है. क्योंकि एक तरफ राज्य में कार्यरत अधिकारी अस्पतालों को आयुष्मान भारत के पैसे का भुगतान नहीं कर रहे हैं और दूसरी तरफ राज्य सरकार के मंत्री निजी अस्पतालों का निबंधन रद्द करने की बात कर रहे हैं.

नाम बदलने के बाद लगातार खराब हो रही स्थिति: योजना शुरू होने के करीब 3 वर्षों के बाद झारखंड में इस योजना का नाम प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से बदलकर मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना कर दिया गया. जिसके बाद से इसकी स्थिति और भी खराब होती चली गई. आयुष्मान भारत योजना में सरकार, अस्पताल और हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के साथ एमओयू साइन होता है और इस एमओयू में अस्पताल को बीमा कंपनी इलाज का पैसा देती है लेकिन, वर्तमान में बीमा कंपनी को भी इलाज के पैसे नहीं मिल रहे हैं.

क्या कहते हैं राज्य के स्वास्थ्य सचिव: डॉक्टरों की समस्या को लेकर ईटीवी भारत ने जब राज्य के स्वास्थ्य सचिव अरुण कुमार सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि विभाग की तरफ से कोई रोक नहीं लगाई गई है. लेकिन, आयुष्मान भारत के भुगतान में अस्पताल प्रबंधन की कई तरह की गड़बड़ी देखने को मिल रही थी. इसके बावजूद भुगतान में समस्या हो रही है तो उनकी तरफ से ठोस कदम उठाए जाएंगे.

मंत्री के बयान से आक्रोशित हैं डॉक्टर: आईएमए रांची के जिला अध्यक्ष और निजी अस्पताल के संचालक डॉ शंभू प्रसाद बताते हैं कि मंत्री के द्वारा दिए गए बयान को लेकर डॉक्टरों में आक्रोश है. यदि निजी अस्पतालों के बकाए पैसे नहीं मिलेंगे तो जल्द ही राज्य भर के डॉक्टर अपनी परेशानी के समाधान के लिए आंदोलन का रुख करेंगे. मालूम हो कि आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत इसलिए की गई थी ताकि गरीब मरीज भी बड़े अस्पताल में अच्छा इलाज करा सकें. लेकिन जिस तरह से बड़े अस्पताल इलाज करने से मना कर रहे हैं. ऐसे में आयुष्मान भारत का लाभ अंतिम व्यक्ति तक कैसे पहुंच पाएगा?

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