रांची: कोरोना काल में दवा के साथ-साथ खाद्यान्नों की कालाबाजारी भी जोरों पर है. एक तरफ जनता कोरोना से जूझ रही है वहीं, दूसरी तरफ महंगाई ने लोगों की कमर तोड़कर रख दी है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सिर्फ दो महीने में ही घरेलू सामान की कीमत 25 से 30 रुपये प्रति किलो बढ़ गई है. महंगाई और कोरोना की डबल मार से जनता त्राहिमाम कर रही है.
यह भी पढे़ं: ये 7 अभ्यास और 2 प्राणायाम के जरिये शरीर में बढ़ा सकते हैं ऑक्सीजन, कोरोना से लड़ने में मिलेगी मदद
तेजी से बढ़ी घरेलू सामान की कीमत
कोरोना संक्रमण के दौरान गरीब और मध्यम वर्ग की आमदनी काफी घट गई है. एक तरफ आय के स्रोत कम होते चले गए वहीं दूसरी तरफ महंगाई बढ़ती जा रही है. संकट के इस दौर में खाने-पीने के सामान, फल और सब्जी जैसी जरूरी चीजों के महंगे होने से कम आमदनी वाले लोग काफी परेशान हैं. ऐसे में कालाबाजारी से लोगों की दिक्कत और बढ़ रही है.
2 महीने में सरसों तेल और रिफाइन तेल की कीमत 40 से 50 रुपये प्रति लीटर बढ़ गई. दाल, आटा, चावल और गेहूं की कीमत भी 10 से 20 रुपये प्रति किलो बढ़ी है. फलों की कीमतों में भी बेतहाशा वृद्धि हुई है. पंडरा बाजार समिति के व्यवसायियों की मानें तो मूल्य वृद्धि के पीछे ट्रांसपोर्टिंग कॉस्ट का बढ़ना है. पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ने के कारण खाद्य सामग्रियों के दाम भी बढ़े हैं.
खाद्य मंत्री ने भी माना कुछ कारोबारी कर रहे कालाबाजारी
सरकार भी यह बात मान रही है कि कोरोना काल में कुछ व्यवसायी कालाबाजारी का खेल कर ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं. इसके कारण खाद्य सामग्री की कीमत बढ़ रही है. खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रामेश्वर उरांव का कहना है कि ऐसे व्यवसायियों के खिलाफ विभाग कार्रवाई करेगी. छापेमारी के सवाल पर उरांव ने कहा कि वह तुरंत सभी अधिकारियों के साथ बात करके छापेमारी टीम गठित करेंगे. आम लोगों की परेशानी जल्द दूर होगी.