रांचीः झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम में पत्थलगड़ी समर्थकों ने 7 ग्रामीणों की हत्या कर दी थी. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस नरसंहार की घटना पर जांच कराने के लिए पार्टी की ओर से 6 सदस्यीय टीम का गठन किया था. जेपी नड्डा ने टीम के लोगों को निर्देश दिया था कि पूरी घटना की जांच कर अगले 7 दिन में रिपोर्ट पेश करें. इसी वारदात को लेकर भाजपा के राज्यसभा सांसद समीर उरांव ने राजधानी दिल्ली में प्रेस वार्ता आयोजित किया.
इस मामले में जांच टीम के सदस्यों ने बुधवार को ही जेपी नड्डा को पूरे घटना की रिपोर्ट सौंप दी थी. इस टीम में गुजरात के सांसद जसवंत सिंह भाभोर, झारखंड से बीजेपी के राज्यसभा सांसद समीर उरांव, झारखंड के पूर्व मंत्री सह विधायक नीलकंठ मुंडा, छत्तीसगढ़ से बीजेपी सांसद गोमती साय और पश्चिम बंगाल से सांसद जॉन बारला हैं. कमेटी के सदस्यों ने कल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी रिपोर्ट दी थी.
घटना शर्मनाक
गुरुवार को बीजेपी मुख्यालय में झारखंड से बीजेपी के राज्यसभा सांसद और टीम के सदस्य समीर उरांव ने प्रेस वार्ता को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कैबिनेट की पहली बैठक में निर्णय ले लिया था कि पत्थलगड़ी से जुड़े जितने भी केस हैं वह खत्म होंगे. उन्होंने किया भी ऐसा ही और इसी से खुश होकर तथाकथित पत्थलगड़ी समर्थकों ने 7 आदिवासियों की बेरहमी से हत्या कर दी. यह बहुत ही शर्मनाक है कि नरसंहार के 2 दिन के बाद प्रशासन के लोग घटनास्थल पर गए. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद घटनास्थल पर गए और कहा कि 'मरने वाले भी मेरे और मारने वाले भी मेरे.
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झामुमो और कांग्रेस आदिवासी विरोधी
राज्यसभा सांसद ने कहा कि समीर उरांव ने कहा कि इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी मृतकों के परिजनों को कोई मुआवजा नहीं दिया गया, यह बहुत दुखद है. राज्य सरकार इस नरसंहार को आपसी रंजिश बताने पर तुली हुई है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है. यह नरसंहार है, सीएम हेमंत सोरेन सब सब कुछ जानते हैं लेकिन इसके बावजूद लोगों को गुमराह करने के लिए एसआईटी के गठन की बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड में कुछ महीने पहले तबरेज अंसारी नामक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी और इस मुद्दे को कांग्रेस नेताओं ने हर राज्यों में घूम-घूम कर उठाया था. लेकिन झारखंड में अब 7 आदिवासियों की बेरहमी से हत्या हुई लेकिन कांग्रेस नेता इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं. इसी से लगता है कि वह लोग आदिवासी विरोधी हैं, आदिवासियों की हत्या होने पर झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस चुप्पी साधी हुई है.
समीर उरांव ने कहा कि वे लोग मांग करते हैं कि पूरे घटना की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई, एनआईए से कराई जाए, मृतक के परिजनों को 20-20 लाख का मुआवजा और सरकारी नौकरी दी जाए.