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Ranchi News: सालखन मुर्मू ने आदिवासियों को एकजुट होने का किया आह्वान, विश्व सरना धर्म कोड जनसभा में करेंगे आवाज बुलंद

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Published : May 18, 2023, 7:39 PM IST

आदिवासी सेंगल अभियान के अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने आदिवासियों के विभिन्न मुद्दों को लेकर विरोध प्रदर्शन और पुतला दहन कार्यक्रम का आयोजन किया. जिसमें विभिन्न पार्टियों का पुतला दहन किया गया. इसके तहत उन्होंने आदिवासियों के मांग को पूरा करने की मांग की.

Salkhan Murmu protest
Salkhan Murmu protest
सालखन मुर्मू, आदिवासी सेंगल अभियान

रांची: आदिवासी सेंगल अभियान के अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने आदिवासियों को एकजुट होने का आह्वान करते हुए विभिन्न मुद्दों को लेकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और कई पार्टियों का पुतला दहन किया. इसके साथ ही 30 जून को कोलकाता में होने वाले विश्व सरना धर्म कोड जनसभा में आदिवासियों से महाजुटान की अपील की है.

यह भी पढ़ें: नमाज कक्ष विवाद: 20 माह बाद भी विधायकों की कमेटी नहीं तैयार कर पाई रिपोर्ट, हाईकोर्ट ने तय की सुनवाई की अगली तारीख, क्या है पूरा मामला

आदिवासी सेंगल अभियान के अध्यक्ष सालखन मुर्मू आदिवासियों के हक को लेकर लगातार अभियान चला रहे हैं. इसी के मद्देनजर राजधानी रांची में भी गुरुवार को सालखन मुर्मू ने आदिवासियों के विभिन्न मुद्दों को लेकर विरोध प्रदर्शन और पुतला दहन कार्यक्रम का आयोजन किया. इसके तहत सालखन मुर्मू और उनके कार्यकर्ताओं ने विभिन्न सरकारों के पुतले को दहन कर आदिवासियों के जायज मांग को पूरा करने की मांग की. आदिवासी सेंगल अभियान के द्वारा बीजद, टीएमसी, जेएमएम और कांग्रेस पार्टी का पुतला दहन किया गया.

मुख्यमंत्री से मांगा जवाब: सालखन मुर्मू ने जानकारी देते हुए बताया कि पुतला दहन का मुख्य उद्देश्य यह है कि मुख्यमंत्री किसी भी मामले पर जवाब नहीं देते. इसलिए पुतला दहन के माध्यम से मुख्यमंत्री से मांग किया गया है कि वह जवाब दें, नहीं तो गद्दी छोड़ने का काम करें. सालखन मुर्मू ने कहा कि आदिवासी सरना धर्म कोड को लेकर अभी तक मुख्यमंत्री कुछ भी जवाब नहीं दे रहे हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सिर्फ आदिवासियों को ठगने का काम कर रहे हैं.

सालखन मुर्मू ने मुख्यमंत्री से सवाल करते हुए कहा कि पारसनाथ मामले में भी आदिवासियों को मुंह की खानी पड़ी. मुख्यमंत्री ने पारसनाथ में मरांगबुरू के पहाड़ को जैन धर्म के लोगों के हाथों में सौंपने का काम किया है. इसके अलावा उन्होंने संताली भाषा को राज्य की प्रथम राजभाषा का मान्यता नहीं देने पर भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जवाब मांगा है. वहीं उन्होंने महतो/कुर्मी को एसटी का दर्जा देने की अनुशंसा पर भी मुख्यमंत्री से सवाल पूछा है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से भारत के आदिवासियों के अस्तित्व, पहचान और हिस्सेदारी पर सवाल खड़ा हो रहा है. ऐसे में आदिवासियों के हक की लड़ाई को लेकर आदिवासी सेंगल अभियान संगठन आगे और भी मजबूती के साथ आदिवासियों के आवाज को मजबूत करने का काम करेगा.

यह भी पढ़ें: हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति 2016: सात वर्षों में सात बार उलझी नियुक्ति प्रक्रिया, आखिर शुक्रवार को मिलेगा अपॉइंटमेंट लेटर

'भाजपा से है उम्मीद': उन्होंने कहा कि वर्तमान में वह सिर्फ अन्य राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, क्योंकि अभी भी उन्हें भाजपा से उम्मीद है कि वह आदिवासियों के लिए कुछ बेहतर कार्य करेगी. यदि भारतीय जनता पार्टी भी अन्य राजनीतिक पार्टियों की तरह सिर्फ दिखावा करेगी तो आने वाले समय में आदिवासी सेंगल अभियान संगठन भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ भी वृहद विरोध प्रदर्शन करेगी. सालखन मुर्मू ने बताया कि इसी को देखते हुए आगामी 30 जून को कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में विश्व सरना धर्म कोड जनसभा के माध्यम से लाखों लोगों का जुटान होगा और सरकारों से सवाल पूछे जाएंगे. इस कार्यक्रम के माध्यम से केंद्र सरकार से वह मांग करेंगे कि आदिवासियों के हक और उनके फायदे के मुद्दों पर जल्द से जल्द निर्णय लिया जाए.

सालखन मुर्मू, आदिवासी सेंगल अभियान

रांची: आदिवासी सेंगल अभियान के अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने आदिवासियों को एकजुट होने का आह्वान करते हुए विभिन्न मुद्दों को लेकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और कई पार्टियों का पुतला दहन किया. इसके साथ ही 30 जून को कोलकाता में होने वाले विश्व सरना धर्म कोड जनसभा में आदिवासियों से महाजुटान की अपील की है.

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आदिवासी सेंगल अभियान के अध्यक्ष सालखन मुर्मू आदिवासियों के हक को लेकर लगातार अभियान चला रहे हैं. इसी के मद्देनजर राजधानी रांची में भी गुरुवार को सालखन मुर्मू ने आदिवासियों के विभिन्न मुद्दों को लेकर विरोध प्रदर्शन और पुतला दहन कार्यक्रम का आयोजन किया. इसके तहत सालखन मुर्मू और उनके कार्यकर्ताओं ने विभिन्न सरकारों के पुतले को दहन कर आदिवासियों के जायज मांग को पूरा करने की मांग की. आदिवासी सेंगल अभियान के द्वारा बीजद, टीएमसी, जेएमएम और कांग्रेस पार्टी का पुतला दहन किया गया.

मुख्यमंत्री से मांगा जवाब: सालखन मुर्मू ने जानकारी देते हुए बताया कि पुतला दहन का मुख्य उद्देश्य यह है कि मुख्यमंत्री किसी भी मामले पर जवाब नहीं देते. इसलिए पुतला दहन के माध्यम से मुख्यमंत्री से मांग किया गया है कि वह जवाब दें, नहीं तो गद्दी छोड़ने का काम करें. सालखन मुर्मू ने कहा कि आदिवासी सरना धर्म कोड को लेकर अभी तक मुख्यमंत्री कुछ भी जवाब नहीं दे रहे हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सिर्फ आदिवासियों को ठगने का काम कर रहे हैं.

सालखन मुर्मू ने मुख्यमंत्री से सवाल करते हुए कहा कि पारसनाथ मामले में भी आदिवासियों को मुंह की खानी पड़ी. मुख्यमंत्री ने पारसनाथ में मरांगबुरू के पहाड़ को जैन धर्म के लोगों के हाथों में सौंपने का काम किया है. इसके अलावा उन्होंने संताली भाषा को राज्य की प्रथम राजभाषा का मान्यता नहीं देने पर भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जवाब मांगा है. वहीं उन्होंने महतो/कुर्मी को एसटी का दर्जा देने की अनुशंसा पर भी मुख्यमंत्री से सवाल पूछा है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से भारत के आदिवासियों के अस्तित्व, पहचान और हिस्सेदारी पर सवाल खड़ा हो रहा है. ऐसे में आदिवासियों के हक की लड़ाई को लेकर आदिवासी सेंगल अभियान संगठन आगे और भी मजबूती के साथ आदिवासियों के आवाज को मजबूत करने का काम करेगा.

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'भाजपा से है उम्मीद': उन्होंने कहा कि वर्तमान में वह सिर्फ अन्य राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, क्योंकि अभी भी उन्हें भाजपा से उम्मीद है कि वह आदिवासियों के लिए कुछ बेहतर कार्य करेगी. यदि भारतीय जनता पार्टी भी अन्य राजनीतिक पार्टियों की तरह सिर्फ दिखावा करेगी तो आने वाले समय में आदिवासी सेंगल अभियान संगठन भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ भी वृहद विरोध प्रदर्शन करेगी. सालखन मुर्मू ने बताया कि इसी को देखते हुए आगामी 30 जून को कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में विश्व सरना धर्म कोड जनसभा के माध्यम से लाखों लोगों का जुटान होगा और सरकारों से सवाल पूछे जाएंगे. इस कार्यक्रम के माध्यम से केंद्र सरकार से वह मांग करेंगे कि आदिवासियों के हक और उनके फायदे के मुद्दों पर जल्द से जल्द निर्णय लिया जाए.

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