रांची: झारखंड की राजनीति कठिन दौर से गुजर रही है. पश्चिम बंगाल के हावड़ा में कांग्रेस के तीन विधायकों इरफान अंसारी, नमन विक्सल कोंगाड़ी और राजेश कच्छप की भारी कैश के साथ गिरफ्तारी से यह बात साबित हो गई है कि सरकार की सेहत ठीक नहीं है. जानकारों का कहना है कि तीनों विधायकों के खिलाफ कांग्रेस विधायक जय मंगल के जरिए प्राथमिकी दर्ज कराना यह बताता है कि पानी सिर से ऊपर जा चुका था.
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ईटीवी भारत को विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरु हो गयी है. कांग्रेस खेमें की गुटबाजी और आंतरिक असंतोष को पाटने के लिए हेमंत मंत्रिमंडल में फेरबदल की तैयारी चल रही है. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस कोटे के चार मंत्रियों में से तीन को बदला जा सकता है. इसमें एक महिला विधायक को भी मंत्री बनाया जा सकता है. झामुमो कोटे के कुछ मंत्रियों के पोर्टफोलियो में भी बदलाव की तैयारी है. हालांकि सरकार गठन के बाद से मंत्रिमंडल में खाली एक पद के भरे जाने को लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं है. जानकारी के मुताबिक पूरी रणनीति बन चुकी है. 5 अगस्त को मानसून सत्र संपन्न होने के ठीक बाद कभी भी मंत्रिमंडल का नया स्वरूप देखने को मिल सकता है. ऐसा करना कांग्रेस के लिए जरूरत भी है और मजबूरी भी. क्योंकि कांग्रेस आलाकमान को मालूम है कि इस किले में सेंध लगाने में सिर्फ तीन नहीं बल्कि कई और कांग्रेसी विधायक शामिल हैं. लिहाजा असंतोष को पाटने के लिए हेमंत मंत्रिमंडल में फेरबदल के अलावा कांग्रेस आलाकमान के पास अब कोई दूसरा विकल्प भी नहीं बचा है.
आपको बता दें कि इरफान अंसारी और राजेश कच्छप पर पहले से ही पार्टी को शक था. दोनों ने बरही विधायक उमाशंकर अकेला के साथ मिलकर कुछ माह पूर्व जेएससीए स्टेडियम में गुप्त बैठक भी की थी. इरफान अंसारी तो खुलकर अपने ही सरकार के मंत्री बन्ना गुप्ता को घेरते रहे हैं. अब सवाल है कि क्या मंत्रिमंडल में फेरबदल होने से व्यवस्था संभल जाएगी. इसका जवाब किसी के पास नहीं है. यह भी संभव है कि 6 अगस्त से पहले अगर राजनीतिक परिस्थितियां बदलती हैं तो कैबिनेट में फेरबदल भी टल सकता है. क्योंकि सीएम भी कह चुके हैं भाजपा अब बिन पानी मछली की तरह हो गई है जो सत्ता के बगैर नहीं रह सकती है.
दरअसल, वर्तमान सरकार ऐसे मोड़ पर खड़ी हैं जहां कुनबे को संभालकर रखना आसान नहीं है. अब देखना होगा कि तीन नये चेहरे को शामिल करने के लिए कौन से तरीके अपनाने पड़ते हैं. अगर बर्खास्तगी की नौबत आती है तो संभव है कि एक नये लीडरशीप के साथ नाराज गुट खुलकर सामने आ जाए.