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झारखंड को कुपोषणमुक्त बनाने की तैयारी, समर परियोजना के तहत चलेगा 1000 दिन अभियान - Jharkhand Chief Secretary Sukhdev Singh

झारखंड में कुपोषण बड़ी समस्या है, जिस पर काबू पाने के लिए राज्य सरकार ने समर परियोजना बनाई है. इस योजना के तहत कुपोषण और एनीमिया के खिलाफ 1000 दिन का महाअभियान चलाया जायेगा. मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने राज्य पोषण मिशन के कार्यान्वयन की योजना के लिए सभी संबंधित विभागों के साथ बैठक की और आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं.

रांची
झारखंड को कुपोषणमुक्त बनाने की तैयारी
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Published : Mar 18, 2021, 12:04 PM IST

रांचीः झारखंड में कुपोषण बड़ी समस्या है, जिस पर काबू पाने के लिए राज्य सरकार ने समर परियोजना बनाई है. इस योजना के तहत कुपोषण और एनीमिया के खिलाफ 1000 दिन का महाअभियान चलाया जायेगा. अगले तीन वर्षों तक चलने वाले अभियान की शुरुआत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन करने जा रहे हैं.

बता दें कि राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण की ताजा आंकड़ों के अनुसार देश में सर्वाधिक कुपोषित बच्चे झारखंड में हैं, जो 42.9 प्रतिशत हैं. एनीमिया से झारखंड के 69 % बच्चे और 65 % महिलाएं प्रभावित हैं. भविष्य की चिंता दूर करने को लेकर राज्य सरकार ने माताओं बच्चों और किशोरियों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए समर परियोजना बनाई है.

यह भी पढ़ेंःBAU में अंतर राजकीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन, पशुपालन तकनीकों की दी गई जानकारी


इस तरह चलेगा अभियान

परियोजना में ऐप की मदद से डाटा संग्रह किया जाएगा. अभियान के लिए बनाई गई टीम अपने-अपने क्षेत्र में घर-घर जाकर पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण से संबंधित जानकारी इक्कठा करेगी. एनीमिया से पीड़ित 15 से 35 वर्ष आयु की किशोरियों, महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं की स्वास्थ्य की भी जानकारी ली जायेगी. किसी में एनीमिया और कुपोषण के लक्षण दिखने पर निकटतम आंगनबाड़ी केंद्रों पर जांच कराई जाएगी. वहीं, गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को समुचित इलाज के लिए निकटतम स्वास्थ्य केंद्रों पर भेजा जायेगा.

पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू होगी योजना

मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने राज्य पोषण मिशन के कार्यान्वयन की योजना के लिए सभी संबंधित विभागों के साथ बैठक की और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं. महाअभियान को झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी, एकीकृत बाल विकास योजना और स्वास्थ्य विभाग सफल बनाने की योजना पर काम करेंगी. प्रथम चरण में पांच जिलाें में समर परियोजना की शुरू की जाएगी. इसके बाद राज्य के शेष जिलों में अभियान चलाया जाएगा.

34,800 आंगनवाड़ी केन्द्रों पर शुरू होगी योजना

परियोजना का संचालन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम, आंगनबाड़ी हेल्पर और जेएसएलपीएस, एसएचजी को जोड़कर राज्य के 34,800 आंगनबाड़ी केंद्रों पर शुरू होगी. इसके साथ ही आंगनबाड़ी सेविका, आशा, एएनम और स्वंय सहायता समूह की महिलाओं में क्षमता वृद्धि के लिए प्रखंडस्तरीय कार्यशाला आयोजित की जाएगी. पर्यवेक्षकों, सीडीपीओ, डीएसडब्ल्यूओ के लिए भी प्रशिक्षण कार्यशाला उपायुक्तों की उपस्थिति में जिला स्तर पर आयोजित की जाएगी.

डैशबोर्ड का लॉन्च करेंगे मुख्यमंत्री

समर परियोजना की निगरानी को लेकर मुख्यमंत्री डैशबोर्ड लॉन्च करेंगे. परियोजना से संबंधित सभी जानकारियां एकीकृत रूप से मुख्यमंत्री पोषण डैशबोर्ड में फीड की जाएगी. मुख्य सचिव ने स्वास्थ्य विभाग को मैल्नूट्रिशन ट्रीटमेंट सेंटर में बेड की उपलब्धता से संबंधित एक विभागीय सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही महिला और बाल विकास विभाग को निर्देश दिया है कि कुपोषण और एनीमिया से पीड़ित किशोरियों के लिए आहार भत्ता योजना का प्रस्ताव उपलब्ध कराए.

रांचीः झारखंड में कुपोषण बड़ी समस्या है, जिस पर काबू पाने के लिए राज्य सरकार ने समर परियोजना बनाई है. इस योजना के तहत कुपोषण और एनीमिया के खिलाफ 1000 दिन का महाअभियान चलाया जायेगा. अगले तीन वर्षों तक चलने वाले अभियान की शुरुआत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन करने जा रहे हैं.

बता दें कि राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण की ताजा आंकड़ों के अनुसार देश में सर्वाधिक कुपोषित बच्चे झारखंड में हैं, जो 42.9 प्रतिशत हैं. एनीमिया से झारखंड के 69 % बच्चे और 65 % महिलाएं प्रभावित हैं. भविष्य की चिंता दूर करने को लेकर राज्य सरकार ने माताओं बच्चों और किशोरियों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए समर परियोजना बनाई है.

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इस तरह चलेगा अभियान

परियोजना में ऐप की मदद से डाटा संग्रह किया जाएगा. अभियान के लिए बनाई गई टीम अपने-अपने क्षेत्र में घर-घर जाकर पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण से संबंधित जानकारी इक्कठा करेगी. एनीमिया से पीड़ित 15 से 35 वर्ष आयु की किशोरियों, महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं की स्वास्थ्य की भी जानकारी ली जायेगी. किसी में एनीमिया और कुपोषण के लक्षण दिखने पर निकटतम आंगनबाड़ी केंद्रों पर जांच कराई जाएगी. वहीं, गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को समुचित इलाज के लिए निकटतम स्वास्थ्य केंद्रों पर भेजा जायेगा.

पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू होगी योजना

मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने राज्य पोषण मिशन के कार्यान्वयन की योजना के लिए सभी संबंधित विभागों के साथ बैठक की और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं. महाअभियान को झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी, एकीकृत बाल विकास योजना और स्वास्थ्य विभाग सफल बनाने की योजना पर काम करेंगी. प्रथम चरण में पांच जिलाें में समर परियोजना की शुरू की जाएगी. इसके बाद राज्य के शेष जिलों में अभियान चलाया जाएगा.

34,800 आंगनवाड़ी केन्द्रों पर शुरू होगी योजना

परियोजना का संचालन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम, आंगनबाड़ी हेल्पर और जेएसएलपीएस, एसएचजी को जोड़कर राज्य के 34,800 आंगनबाड़ी केंद्रों पर शुरू होगी. इसके साथ ही आंगनबाड़ी सेविका, आशा, एएनम और स्वंय सहायता समूह की महिलाओं में क्षमता वृद्धि के लिए प्रखंडस्तरीय कार्यशाला आयोजित की जाएगी. पर्यवेक्षकों, सीडीपीओ, डीएसडब्ल्यूओ के लिए भी प्रशिक्षण कार्यशाला उपायुक्तों की उपस्थिति में जिला स्तर पर आयोजित की जाएगी.

डैशबोर्ड का लॉन्च करेंगे मुख्यमंत्री

समर परियोजना की निगरानी को लेकर मुख्यमंत्री डैशबोर्ड लॉन्च करेंगे. परियोजना से संबंधित सभी जानकारियां एकीकृत रूप से मुख्यमंत्री पोषण डैशबोर्ड में फीड की जाएगी. मुख्य सचिव ने स्वास्थ्य विभाग को मैल्नूट्रिशन ट्रीटमेंट सेंटर में बेड की उपलब्धता से संबंधित एक विभागीय सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही महिला और बाल विकास विभाग को निर्देश दिया है कि कुपोषण और एनीमिया से पीड़ित किशोरियों के लिए आहार भत्ता योजना का प्रस्ताव उपलब्ध कराए.

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