रांची: भगवान जगन्नाथ में आस्था और विश्वास रखने वाले श्रद्धालुओं के लिए अच्छी खबर है. दो साल बाद भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों को दर्शन देने और मौसीबाड़ी जाने के लिए रथ की सवारी करेंगे. इसकी तैयारी जोरशोर से चल रही है. रांची के जगन्नाथपुर स्थित मंदिर प्रबंधन समिति की ओर से रथ निर्माण का कार्य चल रहा है. इसकी जिम्मेदारी ओडिशा के कारीगार श्रीधर महाराणा को दी गई है. वह अपने पुत्र समेत दस कारीगरों के साथ रथ का निर्माण कर रहे हैं. उन्होंने रथ की खासियत के साथ-साथ अन्य पहलूओं की जानकारी दी.
रांची में जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारी: रथ का निर्माण साल यानी सखुआ की लकड़ी से किया जा रहा है. 17 मई से निर्माण कार्य चल रहा है. 1 जुलाई को रथ यात्रा से पहले इसको तैयार कर लिया जाएगा. भगवान जगन्नाथ के रथ में आठ चक्के लगे होते हैं. श्रीधर ने बताया कि उनका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी रथ निर्माण का कार्य करता आया है. उन्होंने कहा कि इसको तैयार करने में शांति की अनुभूति होती है.
रांची के जगन्नाथपुर में भगवान जगन्नाथ के मंदिर की स्थापना नागवंशी राजा ठाकुर एनी नाथ शाहदेव ने की थी. इस मंदिर का निर्माण एक पहाड़ी पर किया गया है. उनकी पुरी के जगन्नाथ मंदिर में असीम आस्था थी. इसी वजह से उन्होंने अपने रियासत के लोगों के लिए इस मंदिर का निर्माण करवाया था. रांची की रथयात्रा में गैर आदिवासी के साथ-साथ बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग भी शामिल होते हैं.
हालांकि इसबार भी कोरोना की वजह से मेला लगाने की छूट नहीं दी गई है. इसको लेकर लोगों में थोड़ी निराशा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि अभी कुछ दिन पहले ही राज्य में पंचायत चुनाव खत्म हुए हैं. लेकिन कोविड संक्रमण की संभावना का हवाला देकर मेले पर रोक लगाना सही नहीं है. लोगों का कहना है कि साल में एक बार नौ दिन के लिए मेला लगता है. यहां रांची समेत दूसरे जिलों से भी लोग पहुंचते हैं. इस मेले की बदौलत अच्छा खासा रोजगार का सृजन होता है. इसपर जिला प्रशासन को गंभीरता से विचार करना चाहिए.