रांची: नए साल की तैयारी में पूरा झारखंड जुटा हुआ है. लोग अपने हिसाब से पर्यटन स्थाल को तय कर रहें हैं. पर्यटन के लिहाज से हुंडरू फॉल (Hundru Waterfall) भी है जिसमें करीब 320 फीट की ऊंचाई से गिरता पानी आपको दूर से ही आकर्षित करेगा. हालांकि यहां तक पहुंचने के लिए आपको सावधानी बरतने के साथ साथ सैकड़ों सीढी नीचे उतरनी होगी. घने जंगलों के बीच झरने से गिरते पानी की आवाज इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देता है.
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वैसे तो झारखंड में एक से एक पिकनिक स्पॉट हैं मगर रांची के हुंडरू फॉल की बात ही कुछ और है. यदि आप न्यू ईयर के मौके पर यहां जाने की प्लानिंग कर रहे हैं तो यह बेस्ट च्वाइस मानी जाएगा. प्रकृति की गोद में स्थित यह स्थल झारखंड का सबसे प्रसिद्ध जलप्रपात स्थल है. यह रांची से करीब 45 किलोमीटर दूर स्वर्णरेखा नदी के किनारे है. करीब 320 फीट की ऊंचाई से गिरता पानी आपको दूर से ही आकर्षित करेगा.
पर्यटकों के लिए हुंडरू है खास: प्रकृति की गोद में बसे हुंडरू फॉल की खूबसूरती देखते ही बनती है. बरसात के मौसम में यह एक जबरदस्त रूप ले लेता है, लेकिन गर्मियों में यह एक रोमांचक पिकनिक स्थल में बदल जाता है, वैसे तो यहां सैलानियों का आना–जाना साल भर लगा रहता है परंतु दिसंबर से फरवरी माह के बीच यहां बड़ी तादाद में लोग पहुंचते हैं. झारखंड के सबसे उंचे इस जलप्रपात को देखने ना केवल झारखंड बल्कि देश के कई राज्यों से लोग यहां पहुंचते हैं. हुंडरू फॉल पहुंचने के लिए आपको रांची से सड़क मार्ग से जाना होगा. जिसकी दूरी रांची से 45 किलोमीटर है. यहां पर सैलानी झरने के उद्गम और नीचे की तलहटी दोनों को देख सकते हैं.
नजदीक से देखने पर बरतें सावधानी: जलप्रपात के नीचे और ऊपर कुछ ऐसे स्थान हैं जो बेहद ही खतरनाक हैं. जहां स्नान करना या पानी में उतरना खतरनाक है. ऐसे स्थानों को ऊपर से देखने पर पानी और गहराई कम दिखाई देती है, लेकिन पानी के अंदर काफी गहराई होती है. जलप्रपात के ऊपर में साहेब चिकिया और हुंडरू बाबा स्थल और नीचे में जोगिया दाह व भंडार दाह काफी खतरनाक हैं. इसके अलावा घुमावदार सीढ़ी होने के कारण चढ़ने और उतरने में काफी सावधानी बरतनी होती है. इस जलप्रपात को नजदीक से देखने के लिए करीब 800 सीढ़ी नीचे उतरना होगा जो काफी कठिनाई भरा होता है, इसके अलावा 320 फीट ऊंची पहाड़ से गिर रहे पानी के नजदीक वोटिंग और तस्वीर उतारना बेहद ही खतरनाक है.