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स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक नियुक्ति मामलाः झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा- बताएं एक सत्र में दो डिग्री क्यों नहीं वैध - कर्मचारी चयन आयोग

स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक नियुक्ति मामले (Postgraduate Trained Teacher Appointment Case) में झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. यह याचिका एक सत्र में दो डिग्री लेने के कारण इस भर्ती में नहीं चुने गए उमाशंकर कुशवाहा ने दायर की थी. सुनवाई के बाद झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा- बताएं एक सत्र में दो डिग्री क्यों वैध नहीं है.

Postgraduate Trained Teacher Appointment Case
स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक नियुक्ति मामला
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Published : Jun 16, 2021, 5:32 PM IST

Updated : Jun 16, 2021, 6:02 PM IST

रांची: स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक नियुक्ति मामले (Postgraduate Trained Teacher Appointment Case)में एक सत्र में दो डिग्री लेने के कारण प्रार्थी को अंतिम रूप से चयनित नहीं करने को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट (jharkhand high court) में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य सरकार और कर्मचारी चयन आयोग से पूछा कि अगर कोई व्यक्ति एक सत्र में 2 डिग्री प्राप्त करता है, तो वह नौकरी के लिए क्यों नहीं पात्र है. अदालत ने इस पर 5 जुलाई से पूर्व शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने का आदेश दिया है.

ये भी पढ़ें-न्यायिक पदाधिकारी नियुक्ति मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई, जेपीएससी और राज्य सरकार से मांगा जवाब

झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता आदित्य रमन ने बताया कि झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ. एसएन पाठक की अदालत में स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक नियुक्ति मामले में एक सत्र में 2 डिग्री हासिल करने के कारण प्रार्थी का अंतिम रूप से चयन नहीं किए जाने को लेकर हाई कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश ने अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई की. वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के अधिवक्ता ने अपने-अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल को स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक नियुक्ति में अंतिम रूप से चयनित नहीं किया गया. उनके मुवक्किल ने सरकार से इसके बारे में जानकारी मांगी तो बताया गया कि उन्होंने एक सत्र में 2 डिग्री हासिल किया है. इसलिए उनका अंतिम रूप से चयन नहीं किया गया.

देखें पूरी खबर

सरकार ने नहीं की नियुक्तिः कर्मचारी चयन आयोग

कर्मचारी चयन आयोग की ओर से अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि आयोग ने अनुशंसा कर सरकार को भेजा था. लेकिन सरकार ने उनकी नियुक्ति नहीं की. अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद राज्य सरकार और जेएसएससी से पूछा कि एक सत्र में 2 डिग्री लेने पर वह डिग्री क्यों नहीं वैलिड होगी. अदालत ने इस पर विस्तृत जवाब पेश करने का आदेश दिया है. इस मामले में अगली सुनवाई 5 जुलाई को होगी.

ये भी पढ़ें-पीटी में आरक्षण को झारखंड हाई कोर्ट की ना, एकल बेंच और डबल बेंच एक राय

यह था मामला
बता दें कि याचिकाकर्ता उमाशंकर कुशवाहा ने स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक नियुक्ति के लिए निकाले गए विज्ञापन के तहत आवेदन किया था. लेकिन अंतिम रूप से उनका चयन नहीं किया गया. क्योंकि उन्होंने सत्र 2009 -2011 में बीए और सत्र 2009-2011 में ही एमएससी पास की. इस कारण से उनका चयन नहीं किए जाने पर कुशवाहा ने सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी. इसी याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने राज्य सरकार और कर्मचारी चयन आयोग को जवाब पेश करने का आदेश दिया.

रांची: स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक नियुक्ति मामले (Postgraduate Trained Teacher Appointment Case)में एक सत्र में दो डिग्री लेने के कारण प्रार्थी को अंतिम रूप से चयनित नहीं करने को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट (jharkhand high court) में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य सरकार और कर्मचारी चयन आयोग से पूछा कि अगर कोई व्यक्ति एक सत्र में 2 डिग्री प्राप्त करता है, तो वह नौकरी के लिए क्यों नहीं पात्र है. अदालत ने इस पर 5 जुलाई से पूर्व शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने का आदेश दिया है.

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झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता आदित्य रमन ने बताया कि झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ. एसएन पाठक की अदालत में स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक नियुक्ति मामले में एक सत्र में 2 डिग्री हासिल करने के कारण प्रार्थी का अंतिम रूप से चयन नहीं किए जाने को लेकर हाई कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश ने अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई की. वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के अधिवक्ता ने अपने-अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल को स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक नियुक्ति में अंतिम रूप से चयनित नहीं किया गया. उनके मुवक्किल ने सरकार से इसके बारे में जानकारी मांगी तो बताया गया कि उन्होंने एक सत्र में 2 डिग्री हासिल किया है. इसलिए उनका अंतिम रूप से चयन नहीं किया गया.

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सरकार ने नहीं की नियुक्तिः कर्मचारी चयन आयोग

कर्मचारी चयन आयोग की ओर से अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि आयोग ने अनुशंसा कर सरकार को भेजा था. लेकिन सरकार ने उनकी नियुक्ति नहीं की. अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद राज्य सरकार और जेएसएससी से पूछा कि एक सत्र में 2 डिग्री लेने पर वह डिग्री क्यों नहीं वैलिड होगी. अदालत ने इस पर विस्तृत जवाब पेश करने का आदेश दिया है. इस मामले में अगली सुनवाई 5 जुलाई को होगी.

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यह था मामला
बता दें कि याचिकाकर्ता उमाशंकर कुशवाहा ने स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक नियुक्ति के लिए निकाले गए विज्ञापन के तहत आवेदन किया था. लेकिन अंतिम रूप से उनका चयन नहीं किया गया. क्योंकि उन्होंने सत्र 2009 -2011 में बीए और सत्र 2009-2011 में ही एमएससी पास की. इस कारण से उनका चयन नहीं किए जाने पर कुशवाहा ने सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी. इसी याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने राज्य सरकार और कर्मचारी चयन आयोग को जवाब पेश करने का आदेश दिया.

Last Updated : Jun 16, 2021, 6:02 PM IST
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