रांची: झारखंड में सुखाड़ (Drought in Jharkhand) के कारण आम लोगों को अनाज खासकर चावल और गेहूं की कमी ना हो, इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की तैयारी की जा रही है. वहीं सुखाड़ के आकलन में जुटी खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की टीम का मानना है कि झारखंड सहित देशभर में अनाज की किल्लत (Shortage of food grains) आनेवाले समय में हो सकती है. इसका असर झारखंड में प्रत्येक वर्ष नवंबर दिसंबर में खरीद की जानेवाली धान में भी लक्ष्य के अनुरूप प्राप्ति पर भी पड़ सकता है.
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झारखंड में संभावित सुखाड़ से आने वाले समय में अनाज सहित पशु चारा की किल्लत का अंदेशा जताया जा रहा है. इससे आने वाली परेशानियों से निपटने के लिए राज्य सरकार कई तरह की योजना बना रही है. इन योजनाओं में आम लोगों को अनाज खासकर चावल और गेहूं की कमी ना हो, इसके लिए एक तरफ जहां आकलन किया जा रहा है तो दूसरी ओर वैकल्पिक व्यवस्था की भी तैयारी की जा रही है.आकलन में जुटी खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की टीम का मानना है कि झारखंड सहित देशभर में अनाज की किल्लत आनेवाले समय में हो सकती है. झारखंड में नवंबर दिसंबर में धान खरीद लक्ष्य भी पूरा होने की संभावना नहीं है. ऐसे में विभाग को केन्द्र से अनाज की मदद मांगनी होगी. खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव भी मानते हैं कि ऐसी परिस्थिति में केन्द्र से अनाज लेकर राज्यवासियों को मुहैया कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि जो बुवाई की स्थिति है उससे साफ लग रहा है कि धान की प्राप्ति लक्ष्य के अनुरूप नहीं हो सकेगी.
करीब 20 प्रतिशत धान प्राप्ति कम होने की आशंकाः राज्य सरकार ने इस वर्ष 8 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य रखा है, जिसमें करीब 20 फीसदी कम प्राप्ति होने की आशंका है. विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो पीडीएस सिस्टम के माध्यम से राशन दुकानों से मिलने वाले अनाज के भरोसे राज्य की बड़ी आबादी रहती है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सितंबर महीने में पीडीएस के माध्यम से चावल 26,297,444.877Kg और गेहूं 6,482,538.081Kg की आवश्यकता होगी.
वहीं PMGKAY के तहत चावल 2,902,198kg और गेहूं 1,020,058Kg की आवश्यकता है. जबकि इन योजनाओं के लाभ के दायरे से करीब 20 लाख आबादी आज भी बाहर है, जिन्हें सरकारी राशन की सुविधा नहीं है. खाद्य सुरक्षा पर काम करनेवाले जानेमाने समाजसेवी बलराम ने सुखाड़ को लेकर चिंता जताई है और कहा है कि राज्य सरकार को न केवल अनाज की व्यवस्था बल्कि पशुचारा से लेकर लोगों के रोजी रोजगार और पलायन पर चिंता करनी होगी. उन्होंने कहा कि सिर्फ केन्द्र से अनाज की व्यवस्था के भरोसे राज्य की जनता को नहीं छोड़ा जा सकता. उन्होंने कहा कि सुखाड़ के कारण जल संकट भी होगा, जिसको ध्यान में रखकर समग्र प्लानिंग करनी होगी.
एक नजर वर्षवार धान अधिप्राप्ति पर | ||
वर्ष | लक्ष्य | प्राप्ति |
2017-18 | 40 लाख क्विंटल | 21,33,965.41 क्विंटल |
2018-19 | 40 लाख क्विंटल | 22,74,044.65 क्विंटल |
2019-20 | 30 लाख क्विंटल | 38,03,007.67 क्विंटल |
2020-21 | 60,85,000 क्विंटल | 62,88,529.11 क्विंटल |
आपदा प्रबंधन की बैठक में भी हो चुकी है चर्चाः सुखाड़ को लेकर राज्य सरकार का चिंतन और आकलन का दौर जारी है. पिछले दिनों हुई आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक के बाद सीएम की समीक्षा बैठक में भी यह मुद्दा उठा था. इस पर गंभीरता से चर्चा की गई थी. सरकार लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म योजना बनाने में जुटी हुई है. ताकि सुखाड़ के दुष्प्रभाव को कम किया जा सके.