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कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद क्या कांग्रेस की झारखंड में बदलेगी भूमिका? झामुमो और राजद ने दिया ये जवाब - etv news

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद झारखंड में झामुमो और राजद खुद को कांग्रेस से बड़ी और जरूरी पार्टी बताने में लगी है. झामुमो जहां खुद को बड़ी पार्टी बता रही है तो वहीं राजद अपना योगदान गिना रही है.

JMM and RJD in jharkhand politics
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Published : May 14, 2023, 8:01 PM IST

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रांची: भाजपा और पीएम मोदी की कर्नाटक में हुई हार से झारखंड में भाजपा का विरोध करनेवाली सभी पार्टियां खुश तो हैं, लेकिन कर्नाटक जीत का कोई मनोवैज्ञानिक लाभ कांग्रेस अकेले ना उठा ले जाए, इसकी भी चिंता क्षेत्रीय दलों को सता रही है. यही वजह है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के अगले ही दिन झारखंड मुक्ति मोर्चा ने साफ कर दिया कि राज्य की राजनीति में बड़े भाई की भूमिका में तो झामुमो ही रहेगा. तो वहीं राजद ने साफ कर दिया कि कांग्रेस और झामुमो यह ना भूल जाएं कि आपने जो सीटें जीती हैं उसमें राजद का बड़ा योगदान है.

यह भी पढ़ें: Ranchi News: झारखंड युवा राजद प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक, 2024 की तैयारी में युवाओं की भागीदारी पर चर्चा

उठने लगे कई सवाल: इस कारण कई सवाल भी उठने लगे हैं. जैसे कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ऐतिहासिक जीत और भाजपा की हार के बाद क्या कांग्रेस की भूमिका झारखंड में बदलेगी? क्या अब झामुमो, राजद, जदयू, जैसी पार्टियां कर्नाटक की जीत के बाद यह आसानी से स्वीकार लेगी कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव में बड़े भाई की भूमिका निभाए और कांग्रेस के इर्दगिर्द ही छोटे छोटे राजनीतिक दल एकजुट हो जाएं?

इस सवाल का जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत ने झारखंड मुक्ति मोर्चा और राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं से बात की. झामुमो और राजद के बयान से साफ है कि भले ही कांग्रेस ने कर्नाटक का किला फतह कर लिया हो. लेकिन, झारखंड जैसे राज्य में उसे झामुमो जैसी स्थानीय पार्टी के भरोसे ही राजनीति करनी होगी. झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस भाजपा से लड़ रही है. यह सही हो सकता है, लेकिन झारखंड में तो उनके एसेट दिशोम गुरु शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन ही हैं.

झारखंड की सीमा में कांग्रेस नहीं, हम हैं बड़े भाई की भूमिका में- मनोज पांडेय: ईटीवी भारत के एक सवाल के जवाब में झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि झारखंड की सीमा में चाहे जनाधार की बात हो या चुनाव में जीती सीटों की बात हो, हर तरह से हम ही बड़े भाई की भूमिका में हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता ने कहा कि लोकसभा चुनाव में कौन कितनी सीट पर लड़ेगा, यह उनके नेता हेमंत सोरेन तय करेंगे, लेकिन मैं इतना जरूर कहूंगा कि जनाधार और सीट के मामले में भी झामुमो बड़े भाई की भूमिका में होगा.

यह भी पढ़ें: कर्नाटक विजय पर उल्लास मनाने वाले कांग्रेसी यूपी नगर निकाय के नतीजे पर विधवा विलाप करें: दीपक प्रकाश

हमारे नेता के त्याग से झारखंड में 2019 में झामुमो-कांग्रेस की बढ़ी हैं सीटें-अनिता यादव: कर्नाटक में कांग्रेस की प्रचंड जीत पर बधाई देते हुए राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश उपाध्यक्ष अनीता यादव ने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल झारखंड में बड़ी राजनीतिक ताकत है. हम लोग अगर महागठबंधन का हिस्सा नहीं होते तो 2019 में महागठबंधन को इतनी सीटें नहीं आती. अनीता यादव ने कहा कि यह बात मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कांग्रेस के बड़े नेता भी जानते हैं. राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा कि झारखंड में लालू यादव की विचारधारा बहुत मजबूत है और जब तक महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल रहेगा, तब तक राज्य में इसे कोई हरा नहीं सकेगा.

मजबूत जनाधार के बल पर सिर्फ सात विधानसभा सीट पर ही चुनाव क्यों लड़ता है राष्ट्रीय जनता दल?: इस सवाल के जवाब में राजद नेता अनिता यादव ने कहा कि वर्ष 2019 के चुनाव में हमारे नेता लालू यादव ने त्याग किया था, क्योंकि भाजपा को सत्ता से बाहर किया गया था. अनिता यादव ने कहा कि आगे भी उनके नेता लालू प्रसाद जो आदेश देंगे, उसका पालन यहां के पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता करेंगे.

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रांची: भाजपा और पीएम मोदी की कर्नाटक में हुई हार से झारखंड में भाजपा का विरोध करनेवाली सभी पार्टियां खुश तो हैं, लेकिन कर्नाटक जीत का कोई मनोवैज्ञानिक लाभ कांग्रेस अकेले ना उठा ले जाए, इसकी भी चिंता क्षेत्रीय दलों को सता रही है. यही वजह है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के अगले ही दिन झारखंड मुक्ति मोर्चा ने साफ कर दिया कि राज्य की राजनीति में बड़े भाई की भूमिका में तो झामुमो ही रहेगा. तो वहीं राजद ने साफ कर दिया कि कांग्रेस और झामुमो यह ना भूल जाएं कि आपने जो सीटें जीती हैं उसमें राजद का बड़ा योगदान है.

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उठने लगे कई सवाल: इस कारण कई सवाल भी उठने लगे हैं. जैसे कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ऐतिहासिक जीत और भाजपा की हार के बाद क्या कांग्रेस की भूमिका झारखंड में बदलेगी? क्या अब झामुमो, राजद, जदयू, जैसी पार्टियां कर्नाटक की जीत के बाद यह आसानी से स्वीकार लेगी कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव में बड़े भाई की भूमिका निभाए और कांग्रेस के इर्दगिर्द ही छोटे छोटे राजनीतिक दल एकजुट हो जाएं?

इस सवाल का जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत ने झारखंड मुक्ति मोर्चा और राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं से बात की. झामुमो और राजद के बयान से साफ है कि भले ही कांग्रेस ने कर्नाटक का किला फतह कर लिया हो. लेकिन, झारखंड जैसे राज्य में उसे झामुमो जैसी स्थानीय पार्टी के भरोसे ही राजनीति करनी होगी. झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस भाजपा से लड़ रही है. यह सही हो सकता है, लेकिन झारखंड में तो उनके एसेट दिशोम गुरु शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन ही हैं.

झारखंड की सीमा में कांग्रेस नहीं, हम हैं बड़े भाई की भूमिका में- मनोज पांडेय: ईटीवी भारत के एक सवाल के जवाब में झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि झारखंड की सीमा में चाहे जनाधार की बात हो या चुनाव में जीती सीटों की बात हो, हर तरह से हम ही बड़े भाई की भूमिका में हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता ने कहा कि लोकसभा चुनाव में कौन कितनी सीट पर लड़ेगा, यह उनके नेता हेमंत सोरेन तय करेंगे, लेकिन मैं इतना जरूर कहूंगा कि जनाधार और सीट के मामले में भी झामुमो बड़े भाई की भूमिका में होगा.

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मजबूत जनाधार के बल पर सिर्फ सात विधानसभा सीट पर ही चुनाव क्यों लड़ता है राष्ट्रीय जनता दल?: इस सवाल के जवाब में राजद नेता अनिता यादव ने कहा कि वर्ष 2019 के चुनाव में हमारे नेता लालू यादव ने त्याग किया था, क्योंकि भाजपा को सत्ता से बाहर किया गया था. अनिता यादव ने कहा कि आगे भी उनके नेता लालू प्रसाद जो आदेश देंगे, उसका पालन यहां के पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता करेंगे.

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