रांचीः राजधानी रांची के लोगों के घरों में मुख्यतः तीन डैम से जलापूर्ति की जाती है. अलग अलग इलाकों के घरों में हटिया, रुक्का और कांके डैम का पानी साफ सफाई के बाद पहुंचता है. इन तीन डैमों में कांके डैम को सर्वाधिक प्रदूषित डैम कहा जाता है तो इसकी भी एक वजह है.
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ईटीवी भारत की टीम मेट्रो गली, देवी मंडप रोड, श्रवण नगर डैम साइड पर जाकर जायजा लिया. यहां देखा गया कि हर दिन इन घरों से निकलने वाला नाले का गंदा पानी सीधे बिना ट्रीट किये डैम में गिरता है. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग और रांची नगर निगम की लापरवाही का आलम यह है कि अभी तक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कई बार उच्च न्यायालय ने नाले का गंदा पानी को सीधे जलाशय में नहीं गिराने का निर्देश दे चुकी है.
डैम के पास बदबू से रहना मुहालः सारो देवी श्रवण नगर डैम साइड की रहने वाली हैं. सारो देवी ईटीवी भारत से कहती हैं कि पहले नाले का पानी डैम में नहीं जाता था, पानी इतना साफ हुआ करता था कि लोग उसका पानी पी भी लेते थे और नहाते भी थे. अब तो नाले के पानी की वजह से पूरा एरिया दुर्गंध देता है, यहां रहना मुश्किल है. सरकार को इसका कोई हल निकालना चाहिए.
प्रदूषण की वजह से खराब हो गया है कांके डैम का पानी- डॉ. नीतीश प्रियदर्शीः रांची विश्वविद्यालय में भूगर्भशास्त्र के प्रोफेसर और पर्यावरणविद डॉ नीतीश प्रियदर्शी कांके डैम की बदतर स्थिति के लिए सरकार को दोष देते हैं. नीतीश प्रियदर्शी कहते हैं कि अभी तक राजधानी में कचरे वाले पानी के निष्पादन की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. कांके डैम में तो प्रदूषण इतना ज्यादा हो गया है कि वहां पानी में ऑक्सीजन नहीं बचा है. चारों तरफ से नाले का गंदा पानी जिसमें मलमूत्र की मात्रा होता है, सीधे कांके डैम में गिरता है. उन्होंने कहा कि सरकारी अधिकारी जो भी कह लें लेकिन अब कांके डैम का पानी पीने के लायक नहीं रहा है और लोगों का विश्वास भी नहीं है. ट्रीटमेंट के बाद भी लोगों का विश्वास इसपर नहीं होता है.
गर्मी के दिनों में डेढ़ से दोगुणा एलम यानी फिटकिरी का इस्तेमालः कांके डैम के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के केमिस्ट संदीप कुमार कहते हैं कि गर्मी में पानी की गुणवत्ता ज्यादा खराब हो जाती है. इसलिए इसे पीने के लायक बनाने के लिए फिटकिरी (Alum) की मात्रा को सामान्य दिनों की अपेक्षा डेढ़ गुणा-दो गुणा तक बढ़ाना पड़ता है. उन्होंने कहा कि एलगी (Algae) डिकॉम्पोज बढ़ जाने से पानी का रंग हरा दिखता है. रसायनविद संदीप कुमार ने बताया कि बरसात और जाड़े के दिनों में जहां 08 घंटे में उनके वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में 100 से 150 किलोग्राम फिटकिरी का इस्तेमाल होता है. लेकिन गर्मी के दिनों तो अभी 260 किलोग्राम तक फिटकिरी का इस्तेमाल करना पड़ रहा है, लाइम यानि चूना का भी खपत बढ़ गयी है.
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का होना बेहद जरूरीः पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में एसडीओ और कांके डैम के प्रभारी शुभम उपाध्याय कहते हैं कि कांके डैम का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट खराब होने की वजह से बंद है, जिसे ठीक कराने की कोशिश हो रही है. कांके डैम में नाले के गंदा पानी सीधे गिरने के सवाल पर एसडीओ ने कहा कि राजधानी पर बढ़ती जनसंख्या का दवाब है, 2011 की जनगणना में इस क्षेत्र की आबादी डेढ़ लाख के करीब थी आज 15 लाख हो गई है. उन्होंने कहा कि जहां जहां से नाले का पानी डैम में गिरता है उसकी तस्वीर के साथ पूरी रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारियों को सौंप दी गयी है.
कितना महत्वपूर्ण है कांके डैमः राजधानी रांची में जलापूर्ति के हिसाब से कांके डैम की अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हर दिन लगभग 40 लाख गैलन पानी इस डैम से घरों तक पहुंचाया जाता है. राजधानी रांची की कुल आबादी का करीब 19-20 जनसंख्या को कांके डैम से ही जलापूर्ति होती है. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय से लेकर चांदनी चौक, हॉट लिप्स चौक, मुख्यमंत्री आवास, राजभवन, अपर बाजार, रातू रोड के कुछेक इलाकों में कांके डैम का पानी ही पाइप से घरों पहुंचता है.