रांची: झारखंड में विधानसभा चुनाव आने में देर है. बावजूद सभी पार्टियां अभी से ही अपनी मनचाही सीट पर दावा ठोकने में लगी हुई हैं. बड़ी बात तो यह है कि महागठबंधन में शामिल पार्टियों के नेता अपने ही सहयोगी दलों की सीट पर दावेदारी करने में लगे हुए हैं. ताजा मामला पोड़ैयाहाट विधानसभा सीट को लेकर है. राजद के प्रधान महासचिव ने इस विधानसभा सीट पर दावा ठोका है. जिसके बाद कांग्रेस की ओर से भी पलटवार किया गया है.
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लगातार चार बार से पोड़ैयाहाट के विधायक हैं प्रदीप यादव: राजद द्वारा दावा ठोकने के बाद महागठबंधन में गांठ पड़ती हुई दिखाई पड़ रही है. इसका कारण भी है. क्योंकि 2005 से लगातार इस सीट प्रदीप यादव की जीत होती रही है. 2005 में भारतीय जनता पार्टी और 2009, 2014, 2019 में बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा से विधायक रहे प्रदीप यादव अब कांग्रेस में हैं. बाबूलाल मरांडी के भाजपा में पार्टी को मर्ज करा लेने के फैसले का विरोध करते हुए प्रदीप यादव कांग्रेस में चले गए थे. पार्टी ने उन्हें विधानसभा में विधायक दल का उपनेता भी बनाया है. लगातार चार बार से पोड़ैयाहाट सीट पर काबिज रहने के बावजूद अब महागठबंधन के सहयोगी राजद के प्रधान महासचिव ने ही पोड़ैयाहाट सीट पर दावा ठोक दिया है. जाहिर है कि कांग्रेस नेतृत्व पूर्व शिक्षा मंत्री रहे प्रदीप यादव की सीट से कोई समझौता नहीं करने वाली है.
राजद के प्रदेश प्रधान महासचिव का तर्क: गोड्डा से पूर्व विधायक और वर्तमान में राजद के प्रदेश प्रधान महासचिव संजय प्रसाद यादव ने पोड़ैयाहाट विधानसभा सीट पर राजद का दावा ठोका है. राजद नेता ने कहा कि प्रदीप यादव पहले भाजपा में थे. फिर जेवीएम में अब कांग्रेस में हैं. ऐसे में कांग्रेस का कोई हक पोड़ैयाहाट सीट पर नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर हक की बात करेंगे तो वहां से झामुमो का हक बनता है. 1999 में उन्हें ही लालू प्रसाद ने चुनाव लड़ने को कहा था, लेकिन तब रंजन यादव ने दूसरे नेता को टिकट दे दिया था. ऐसे में राजद के पोड़ैयाहाट में मजबूत जनाधार है. जब राजद झामुमो के लिए गढ़वा और कांग्रेस के लिए मनिका सीट छोड़ सकती है तो क्या ये दोनों दल पोड़ैयाहाट सीट राजद के लिए नहीं छोड़ सकते?
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अंतिम फैसला पार्टी अध्यक्षों को मिलकर करना है-कांग्रेस: राष्ट्रीय जनता दल के प्रधान महासचिव द्वारा पोड़ैयाहाट सीट पर दावेदारी पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि दावेदारी कुछ भी झारखंड के नेता कर लें, अंतिम फैसला तो लालू प्रसाद, मल्लिकार्जुन खड़गे और शिबू सोरेन-हेमंत सोरेन को करना है. कांग्रेस भी 14 लोकसभा और 81 विधानसभा क्षेत्र में तैयारी कर रही है. उसका फायदा गठबंधन को ही मिलेगा.
पहले भी दिए गए सीटों पर दावे को लेकर बयान: झारखंड महागठबंधन के तीनों दल झामुमो, राजद और कांग्रेस के नेता अपने-अपने नफा नुकसान के हिसाब से बयानबाजी कर रहे हैं. ऐसे में महागठबंधन में खटास बढ़ने की उम्मीद है. पोड़ैयाहाट विधानसभा सीट के पहले भी ऐसे बयान दिए गए हैं. जिसमें कांग्रेस की सीटिंग सिंहभूम लोकसभा सीट पर झामुमो की ओर से, राजद कोटे की पलामू लोकसभा सीट पर कांग्रेस की ओर से और चार लोकसभा सीट पर राष्ट्रीय जनता दल की दावेदारी वाला बयान अभी पुराना नहीं पड़ा है. ऐसे में अब पोड़ैयाहाट सीट को लेकर बयानबाजी शुरू हो गई है. यह भी तय है कि नेता कितनी भी बयाजनबाजी कर ले. आखिरी फैसला पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को ही लेना है.