रांची: डुमरी विधानसभा उपचुनाव की अधिसूचना जारी होते ही झारखंड की सियासत का पारा उपर चढ़ गया है. राज्य की राजनीति में शह और मात के खेल में एक दूसरे पर प्रेशर बनाने की तैयारी शुरू हो गयी है. एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच की इस टक्कर में सियासी बयानबाजी भी तेज हो गई है. झामुमो का कहना है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी डुमरी में जीत के लिए हवाई सपना देख रहे हैं.
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रविवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय कार्यालय में मीडिया से मुखातिब हुए केंद्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्या ने 2019 विधानसभा चुनाव के नतीजे का जिक्र करते हुए बाबूलाल मरांडी पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि आज झामुमो को परास्त करने की बात कर रहे बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा को डुमरी में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार से भी कम वोट मिला था. तंज भरे लहजे में सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि 2019 में 11वें नंबर पर रहकर 1263 वोट अपने पार्टी उम्मीदवार को दिला सकने वाले बाबूलाल मरांडी INDIA गठबंधन के उम्मीदवार को परास्त करने का हवा हवाई सपना दिखा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि NDA के जो नेता भाजपा, आजसू और झाविमो के मत को जोड़कर उसे झामुमो को मिले वोट से अधिक बता कर जीत का दावा करते फिर रहे हैं, उन्हें यह भी बताना चाहिए कि इस बार INDIA में जदयू, आप और सीपीआई भी शामिल हैं, जिन्हें 2019 में बाबूलाल की पार्टी से अधिक वोट मिले थें. उन वोटों को झामुमो के साथ जोड़ देने पर ये कहां टिकते हैं, इसका जवाब NDA और खासकर बाबूलाल मरांडी को देना चाहिए.
क्या है NDA का दावा: NDA जहां इस उपचुनाव में आजसू प्रत्याशी की जीत का दावा इस आधार पर कर रही है कि उपचुनाव में परिस्थितियां 2019 से बिल्कुल अलग है. भाजपा के नेताओं का कहना है कि इस बार आजसू और भाजपा का मजबूत गठजोड़ डुमरी में है. वहीं झारखंड विकास मोर्चा भी अब भाजपा में मर्ज हो चुकी है. ऐसे में एनडीए की मजबूत ताकत के सामने इंडिया या महागठबंधन कहीं नहीं टिकेगा.
2019 में किसे कितना वोट मिला था: 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के समय भाजपा और आजसू ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. वहीं झामुमो, राजद और कांग्रेस के महागठबंधन ने एक साथ चुनाव लड़ा था. तब डुमरी से जदयू, सीपीआई और आप ने भी अपने-अपने उम्मीदवार खड़े किये थे. उस समय झामुमो उम्मीदवार जगरनाथ महतो को सबसे अधिक 71,128 मत मिले थे.
आजसू प्रत्याशी रहीं थी दूसरे नंबर पर: दूसरे नंबर पर आजसू की प्रत्याशी रही यशोदा देवी को 36,840 वोट मिले थे. भाजपा के प्रदीप कुमार साहू को 36,013 मत मिले थे. ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम के अब्दुल मोबिन रिजवी को 24,132 मत मिले थे. वहीं जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवार लालचंद महतो को 5,219 मत मिले थे. इसी तरह सीपीआई के गणेश प्रसाद महतो को 2,891, बहुजन समाजवादी पार्टी के नीलकंठ महतो को 1,744, शिवसेना के रूपलाल ठाकुर को 1,689 और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार निर्मल महतो को 1,642 मत मिले थे.
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तब बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा के उम्मीदवार मोहम्मद शमसुद्दीन को 1,263 मतों से संतोष करना पड़ा था. अन्य उम्मीदवारों में निर्दलीय नारायण गिरि को 1256, BLIP के चंद्रिका महतो को 591, PSPL के उम्मीदवार मोहम्मद अहमद को 557 और JMMU की देवी लाल आनंद को 470 वोट मिले थे.
आंकड़ों को लेकर लड़ाई: अब जब NDA 2019 में भाजपा, आजसू और झाविमो के वोटों को जोड़कर आंकड़े को 2019 में झामुमो को मिले वोट से अधिक बता रही है. इसी के काट के रूप में जहां झामुमो 2019 की तरह 2023 में भी डुमरी में बाबूलाल मरांडी को अप्रासंगिक बता रही है, वहीं यह भी कह रही है कि अब तो राज्य में महागठबंधन ने INDIA का रूप ले लिया है. ऐसे में जदयू, आप, सीपीआई, शिव सेना सबका वोट झामुमो प्रत्याशी की जीत को और प्रचंड बनाएगा.
विपक्ष को जगरनाथ महतो दो देना चाहिए था सम्मान- सुप्रियो: झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि दिवंगत जगन्नाथ महतो 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण की लड़ाई लड़ने वाले धरती पुत्र थे. आज जब वह हमारे बीच नहीं है तब विपक्ष को चाहिए था कि वह उन्हें सम्मान देतें. लेकिन दुख की बात है कि जिन नेताओं को डुमरी की जनता ने 2019 में सिरे से नकार दिया. वही आज जोड़ घटाव, गुणा, भाग करके डुमरी में NDA की जीत का सपना देख रहे हैं. जिन्हें 05 सितंबर को वोटों के माध्यम से डुमरी की जनता सबक सिखाएगी.
बाबूलाल मरांडी के संकल्प यात्रा पर भी तंज: बाबूलाल मरांडी की 17 अगस्त से शुरू होने वाली संकल्प यात्रा को लेकर भी झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता ने तंज कसा है. उन्होंने कहा कि बाबूलाल जी ने कुतुब मीनार से कूदने का भी संकल्प लिया था. लेकिन वह भाजपा में चले गए. ऐसे में क्या अपनी यात्रा के दौरान वह जनता को बताएंगे कि उन्होंने अपना संकल्प क्यों तोड़ा? सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि जिस आरएसएस की आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं रहा. वही आरएसएस और उसके राजनीतिक अनुषंगी इकाई भारतीय जनता पार्टी के नेता हर घर झंडा अभियान चला रहे हैं. उन्हें यह बताना चाहिए कि देश की आजादी में उनका क्या योगदान रहा है. भारत के आजाद होने के वर्षों तक आरएसएस के मुख्यालय में तिरंगा झंडा क्यों नहीं फहराया जाता था.