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नल-जल योजनाः जानिए, क्यों और किस बात पर मंत्री और विधायक आमने-सामने हैं?

साल 2024 तक झारखंड के हर घर में नल पहुंचाने की योजना है. केंद्र की नल-जल योजना (Nal-Jal Yojna) की रफ्तार झारखंड में धीमी है. ऐसे में लक्ष्य पूरा कैसे होगा? इस सवाल पर प्रदेश के पेयजल मंत्री और बीजेपी विधायक एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं. आखिर क्या बात है, क्या वजह है, पढ़िए इस रिपोर्ट में.

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पानी पर सियासत जारी
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Published : Jun 19, 2021, 4:43 PM IST

Updated : Jun 19, 2021, 10:39 PM IST

रांचीः काम की धीमी रफ्तार है, साल 2024 तक झारखंड में हर घर तक नल से जल कैसे पहुंचेगा? सवाल बड़ा है, पर उससे बड़ी चुनौती है कि इतने कम वक्त में हर घर नल से जल कैसे पहुंचाया जाए. केंद्र सरकार प्रायोजित नल-जल योजना (central government sponsored Nal-Jal Yojna) झारखंड के शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार के लिए चुनौती बन गई है. झारखंड की भौगोलिक बनावट (Geography of Jharkhand) और उसमें बसे लोगों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाना सरकार के लिए कठिन काम है.

इसे भी पढ़ें- हर पंचायत में 30 जून तक लगेंगे 5-5 चापाकल, विभागीय समीक्षा में मंत्री का निर्देश

केंद्र की इस योजना का लाभ पहुंचाने में जुटा पेयजल एवं स्वच्छता विभाग का मानना है कि धीमी गति की मुख्य वजह पूर्ववर्ती समय में काम का धीमी शुरुआत होना है. जिससे राज्य के लोगों को इस योजना का लाभ मिलने में देरी हो रही है. आंकड़ों के मुताबिक 58.95 लाख ग्रामीण परिवारों में से अब तक सिर्फ 7.40 लाख के पास ही नल-जल आपूर्ति की सुविधा उपलब्ध हो पाई है.

देखें पूरी खबर

पेयजल मंत्री मिथिलेश ठाकुर (Drinking Water Minister Mithilesh Thakur) की मानें तो पूर्ववर्ती सरकार के समय सिर्फ 4 लाख 30 हजार घरों तक ही शुद्ध पेयजल पहुंचाई थी, मगर हमलोगों ने डेढ वर्षों में ही करीब 4.50 लाख घरों तक पेयजल पहुंचा दिया है. उन्होंने कहा कि लक्ष्य के अनुरुप 2024 तक राज्य के सभी घरों में नल के जरिए शुद्ध पेयजल पहुंचाने में सफल होंगे. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में घरों तक नल के जरिए जल पहुंचाने में लागत ज्यादा आ रही है, इसके बावजूद राज्य सरकार लक्ष्य पूरा करके साल 2024 तक हर घर शुद्ध पेयजल पहुंचाएगी.

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क्या कहते हैं आंकड़े

नल-जल योजना की धीमी रफ्तार पर सियासत

पेयजल मंत्री मिथिलेश ठाकुर की ओर से नल-जल योजना की धीमी रफ्तार के लिए पूर्ववर्ती सरकार को निशाने पर लिया है. मंत्री के दोषारोपण के बाद बीजेपी ने मौजूदा सरकार पर जमकर हमला बोला है. पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक अमर बाउरी (Former Minister and BJP MLA Amar Bauri) ने हेमंत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि बहाना बनाने से काम नहीं चलेगा. हर बात में सास-बहु की तरह दोष मढ़ने से काम नहीं चलेगा बल्कि काम करने की जरूरत है. राज्य सरकार अपनी कमी छुपाने के लिए केंद्र और बीजेपी सरकार पर ही दोषारोपण करती रही है.

इसे भी पढ़ें- नल से जल योजना: अगले पांच साल में पानी, स्वच्छता क्षेत्र में हो सकता है 6.3 लाख करोड़ रुपये का निवेश

नल-जल योजना क्या है?

अगस्त 2019 में जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) की घोषणा के बाद घर-घर नल के जरिए शुद्ध पेयजल पहुंचाने का काम शुरु हुआ. केंद्र प्रायोजित इस योजना के तहत साल 2024 तक हर घर में नल के जरिए पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य है. जिसके लिए बड़े-बड़े जलमीनार और वाटर पाइपलाइन लगाए जा रहे हैं. झारखंड को वित्तीय वर्ष 2020-21 में ग्रामीण क्षेत्रों में सुनिश्चित नल-जल आपूर्ति के लिए 572.24 करोड़ की राशि केंद्र से मिली. हालांकि इसमें से झारखंड सरकार ने महज 143 करोड़ रुपये की ही निकासी कर पाई.

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क्या है नल-जल योजना

अब तक राज्य के 315 गांवों को हर-घर-जल गांव घोषित किया गया है. जिसका मतलब यह है कि इन गांवों के प्रत्येक घर में नल-जल आपूर्ति की सुविधा मिल गई है. जल जीवन मिशन के तहत जिला और राज्य स्तर पर जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं को प्राथमिकता दी गई है. जिससे इसकी गुणवत्ता की जांच कर लोगों को शुद्ध पेयजल दी जाए. वित्तीय वर्ष 2021-22 में झारखंड में 11 नई प्रयोगशाला की स्थापना और 18 प्रयोगशालाओं की एनएबीएल (NABL) मान्यता प्राप्त करने की योजना सरकार की है. स्थानीय लोगों को निगरानी, चौकसी और रखरखाव की जिम्मेदारी दी जा रही है. जिसके लिए राज्य में अब तक 19,363 वीडब्ल्यूएससी (VWSC) का गठन किया गया है और 2021-22 में और 10,389 का गठन करने का लक्ष्य है.

इसे भी पढ़ें- पानी की बूंद-बूंद के लिए मोहताज इस गांव के लोग, प्यास बुझाने के लिए रोज करना पड़ता है जद्दोजहद

झारखंड में शुद्ध पेयजल एक बड़ी समस्या है. कभी पानी की किल्लत तो कभी शुद्ध पेयजल का अभाव, लोगों की परेशानी बढ़ाती रहती है. ग्राउंड वाटर में आर्सेनिक, आयरन, फ्लोराइड जैसे खनिज तत्वों की बहुतायत होने से कई तरह की बीमारियां होती है. ऐसे में इस मिशन के सफल होसे लोगों को बड़ी राहत मिलेगी, मगर जिस रफ्तार से काम हो रहा है, उससे नहीं लगता कि साल 2024 तक लक्ष्य प्राप्त करने में झारखंड सफल होगा.

रांचीः काम की धीमी रफ्तार है, साल 2024 तक झारखंड में हर घर तक नल से जल कैसे पहुंचेगा? सवाल बड़ा है, पर उससे बड़ी चुनौती है कि इतने कम वक्त में हर घर नल से जल कैसे पहुंचाया जाए. केंद्र सरकार प्रायोजित नल-जल योजना (central government sponsored Nal-Jal Yojna) झारखंड के शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार के लिए चुनौती बन गई है. झारखंड की भौगोलिक बनावट (Geography of Jharkhand) और उसमें बसे लोगों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाना सरकार के लिए कठिन काम है.

इसे भी पढ़ें- हर पंचायत में 30 जून तक लगेंगे 5-5 चापाकल, विभागीय समीक्षा में मंत्री का निर्देश

केंद्र की इस योजना का लाभ पहुंचाने में जुटा पेयजल एवं स्वच्छता विभाग का मानना है कि धीमी गति की मुख्य वजह पूर्ववर्ती समय में काम का धीमी शुरुआत होना है. जिससे राज्य के लोगों को इस योजना का लाभ मिलने में देरी हो रही है. आंकड़ों के मुताबिक 58.95 लाख ग्रामीण परिवारों में से अब तक सिर्फ 7.40 लाख के पास ही नल-जल आपूर्ति की सुविधा उपलब्ध हो पाई है.

देखें पूरी खबर

पेयजल मंत्री मिथिलेश ठाकुर (Drinking Water Minister Mithilesh Thakur) की मानें तो पूर्ववर्ती सरकार के समय सिर्फ 4 लाख 30 हजार घरों तक ही शुद्ध पेयजल पहुंचाई थी, मगर हमलोगों ने डेढ वर्षों में ही करीब 4.50 लाख घरों तक पेयजल पहुंचा दिया है. उन्होंने कहा कि लक्ष्य के अनुरुप 2024 तक राज्य के सभी घरों में नल के जरिए शुद्ध पेयजल पहुंचाने में सफल होंगे. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में घरों तक नल के जरिए जल पहुंचाने में लागत ज्यादा आ रही है, इसके बावजूद राज्य सरकार लक्ष्य पूरा करके साल 2024 तक हर घर शुद्ध पेयजल पहुंचाएगी.

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क्या कहते हैं आंकड़े

नल-जल योजना की धीमी रफ्तार पर सियासत

पेयजल मंत्री मिथिलेश ठाकुर की ओर से नल-जल योजना की धीमी रफ्तार के लिए पूर्ववर्ती सरकार को निशाने पर लिया है. मंत्री के दोषारोपण के बाद बीजेपी ने मौजूदा सरकार पर जमकर हमला बोला है. पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक अमर बाउरी (Former Minister and BJP MLA Amar Bauri) ने हेमंत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि बहाना बनाने से काम नहीं चलेगा. हर बात में सास-बहु की तरह दोष मढ़ने से काम नहीं चलेगा बल्कि काम करने की जरूरत है. राज्य सरकार अपनी कमी छुपाने के लिए केंद्र और बीजेपी सरकार पर ही दोषारोपण करती रही है.

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नल-जल योजना क्या है?

अगस्त 2019 में जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) की घोषणा के बाद घर-घर नल के जरिए शुद्ध पेयजल पहुंचाने का काम शुरु हुआ. केंद्र प्रायोजित इस योजना के तहत साल 2024 तक हर घर में नल के जरिए पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य है. जिसके लिए बड़े-बड़े जलमीनार और वाटर पाइपलाइन लगाए जा रहे हैं. झारखंड को वित्तीय वर्ष 2020-21 में ग्रामीण क्षेत्रों में सुनिश्चित नल-जल आपूर्ति के लिए 572.24 करोड़ की राशि केंद्र से मिली. हालांकि इसमें से झारखंड सरकार ने महज 143 करोड़ रुपये की ही निकासी कर पाई.

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क्या है नल-जल योजना

अब तक राज्य के 315 गांवों को हर-घर-जल गांव घोषित किया गया है. जिसका मतलब यह है कि इन गांवों के प्रत्येक घर में नल-जल आपूर्ति की सुविधा मिल गई है. जल जीवन मिशन के तहत जिला और राज्य स्तर पर जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं को प्राथमिकता दी गई है. जिससे इसकी गुणवत्ता की जांच कर लोगों को शुद्ध पेयजल दी जाए. वित्तीय वर्ष 2021-22 में झारखंड में 11 नई प्रयोगशाला की स्थापना और 18 प्रयोगशालाओं की एनएबीएल (NABL) मान्यता प्राप्त करने की योजना सरकार की है. स्थानीय लोगों को निगरानी, चौकसी और रखरखाव की जिम्मेदारी दी जा रही है. जिसके लिए राज्य में अब तक 19,363 वीडब्ल्यूएससी (VWSC) का गठन किया गया है और 2021-22 में और 10,389 का गठन करने का लक्ष्य है.

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झारखंड में शुद्ध पेयजल एक बड़ी समस्या है. कभी पानी की किल्लत तो कभी शुद्ध पेयजल का अभाव, लोगों की परेशानी बढ़ाती रहती है. ग्राउंड वाटर में आर्सेनिक, आयरन, फ्लोराइड जैसे खनिज तत्वों की बहुतायत होने से कई तरह की बीमारियां होती है. ऐसे में इस मिशन के सफल होसे लोगों को बड़ी राहत मिलेगी, मगर जिस रफ्तार से काम हो रहा है, उससे नहीं लगता कि साल 2024 तक लक्ष्य प्राप्त करने में झारखंड सफल होगा.

Last Updated : Jun 19, 2021, 10:39 PM IST
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