रांचीः बजरंग दल से अब बजरंगबली पर सियासत शुरू हो गई है. बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की कांग्रेस का घोषणा पत्र की सियासी धमक कर्नाटक विधानसभा चुनाव से उठकर देशभर में फैलने लगी है. इसके विरोध में बजरंग दल ने मंगलवार को देशभर में हनुमान चालीसा पाठकर कांग्रेस को सदबुद्धि देने की प्रार्थना की.
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राजधानी रांची सहित राज्य के करीब पांच हजार हनुमान मंदिर में विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल से जुड़े लोगों ने एक साथ हनुमान चालीसा का पाठ किया. रांची के चुटिया राम मंदिर में झारखंड प्रदेश बजरंग दल के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम में स्थानीय विधायक सीपी सिंह सहित बड़ी संख्या में लोगों ने हनुमान चालीसा का पाठ किया. इसी तरह हटिया हनुमान मंदिर में देर शाम लोगों ने हनुमान चालीसा का पाठ कर बजरंगबली को लेकर जारी आपत्तिजनक बयान पर नाराजगी जताई.
बीजेपी विधायक सीपी सिंह ने इस दौरान कांग्रेस पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में जिस तरह से कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान बजरंग दल को प्रतिबंधित करने की घोषणा कांग्रेस के द्वारा की गई. इसके बाद बजरंगबली पर कई तरह की टिप्पणी की गई है, इससे सनातन धर्मावलंबी आहत हैं. इसके विरोध में देशभर में हनुमान चालीसा का पाठ आयोजित किया गया है. उन्होंने कहा कि आज देश के अंदर कुछ हिंदू विरोधी तत्व सनातन विरोधी तत्व हिंदू देवी देवताओं की मर्यादा का हनन करने की कोशिश कर रहे हैं. बजरंगबली हम सबों के आराध्य देव हैं और बजरंगबली के खिलाफ जो किसी तरह का टीका टिप्पणी करेगा उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
बजरंग दल और बजरंगबली में अंतर समझे भाजपा-कांग्रेस: बजरंग दल के द्वारा मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ किए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा है कि बजरंग दल और बजरंगबली में भारतीय जनता पार्टी को अंतर समझना चाहिए. मैं खुद सुबह में घर से निकलने से पहले हनुमान चालीसा का पाठ करके निकलता हूं. मेरी पूरी आस्था है बजरंगबली में है लेकिन इसको लेकर राजनीति किया जाना उचित नहीं है.
राजेश ठाकुर ने कहा कि पहले यह भाजपा के लोग भगवान राम को लेकर राजनीति करते रहे और अब बजरंगबली को लेकर राजनीति करने लगे हैं. जनता समझती है और उनके चेहरे को बेनकाब करने वाली है, इससे यह घबराकर इस तरह का दुष्प्रचार कांग्रेस के विरुद्ध करने में लगे हैं.
कर्नाटक विधानसभा चुनाव से उपजा यह सियासी मुद्दा इन दिनों राजनीतिक गलियारों में खुब सुर्खियां बटोर रहा है. इसका फायदा या नुकसान किसको कितना होगा, वह कर्नाटक चुनाव परिणाम के दौरान 13 मई को ही देखने को मिलेगा.