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झारखंड विधानसभा से दोबारा पारित 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति को झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम ने बताया धोखा, कहा- अब आंदोलन होगा - कैबिनेट डिसीजन

Politics over 1932 khatian based local policy. 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति को फिर से झारखंड विधानसभा से पारित किया गया है. हेमंत सरकार के इस निर्णय से सियासी बयानबाजी तेज हो गई है. कोई इसे आदिवासियों और मूलवासियों के साथ धोखा बता रहा है तो कोई इसे जनाकांक्षा के अनुरूप लिया गया फैसला बता रहा है.

Local Policy Passed Again In Jharkhand Assembly
Politics Over 1932 Khatian Based Local Policy
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 20, 2023, 6:57 PM IST

1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक पारित होने पर प्रतिक्रिया देने विभिन्न दलों के नेता.

रांची: झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन बुधवार को 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति को बिना किसी बदलाव के फिर से विधानसभा से पारित कराने को सत्ताधारी दल के नेता जहां जनता से किए वादे को पूरा करने का प्रयास बता रहे हैं तो वहीं निर्दलीय विधायक सरयू राय, झामुमो के विधायक लोबिन हेंब्रम, नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी और बाबूलाल मरांडी ने इसे राज्य के आदिवासी मूलवासियों के साथ विश्वासघात करार दिया है. झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम ने तो पास कराए गए 1932 स्थानीय नीति को नौंवी अनुसूची में शामिल कराए जाने के प्रावधान को धोखा करार देते हुए आंदोलन की चेतावनी तक दे दी है.

सरकार की मंशा ठीक नहीं- सरयू राय: पूर्व मंत्री और निर्दलीय विधायक सरयू राय ने कहा कि पूर्व में पारित 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति को राज्यपाल ने उन बिंदुओं का जिक्र करते हुए लौटाया था, जिसमें जिला स्तर पर नौकरियों को किसी खास वर्ग के लिए हमेशा के लिए आरक्षित नहीं किया जा सकता, यह असंवैधानिक होगा. अटॉर्नी जनरल की सलाह को दरकिनार करते हुए बिना किसी संशोधन के इसे पारित कराने पर आश्चर्य जताते हुए सरयू राय ने कहा कि संविधान की शपथ लेकर उसके खिलाफ कैसे सदन में कोई विधेयक पास कराया जा सकता है. कल जब यह विधेयक न्यायालय में जाएगा, तब इसका क्या हाल होगा. सरयू राय ने कहा कि जनता में वर्तमान सरकार की विफलता के रूप में इस विधेयक की गिनती होगी. क्योंकि जनता में यह संदेश जाएगा कि बहुमत की सरकार बनने के बाद भी इस सरकार ने राज्य के आदिवासी मूलवासी के लिए कुछ नहीं किया.

बिना बहस और चर्चा के पास विधेयक पास कराया गयाः-अमर बाउरी: विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने कहा कि स्थानीयता और नियोजन नीति को लेकर सरकार की मंशा ठीक नहीं है. जब सिर्फ कैबिनेट डिसीजन से राज्य में स्थानीय नीति तय हो सकती है तो उसे विधानसभा से दोबारा पारित कराने और नौंवी अनुसूची में शामिल होने के बाद इसके लागू होने का प्रावधान इस ओर इशारा करता है कि सरकार की मंशा ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि रघुवर दास की सरकार ने 1985 को डेडलाइन मानते हुए स्थानीय नीति का जो प्रावधान किया था उसे कहां विधानसभा से विधेयक के रूप में पारित कराया गया था. आज सदन में बाबूलाल मरांडी जैसे वरिष्ठ और प्रथम मुख्यमंत्री को बोलने का मौका नहीं दिए जाने को अमर बाउरी ने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया.

जनाकांक्षा के अनुरूप सरकार ने फैसला लियाः-चम्पई सोरेनः वहीं राज्य के आदिवासी कल्याण सह परिवहन मंत्री चम्पई सोरेन ने कहा कि राज्य की सरकार ने जनाकांक्षा के अनुरूप फैसला लिया है और झामुमो जनता से किए गए वादे को पूरा करने के लिए कृतसंकल्पित है.

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1932 के खतियानी कहलाएंगे झारखंडी! स्थानीयता विधेयक दोबारा पारित, राज्यपाल का सुझाव दरकिनार, नेता प्रतिपक्ष ने मंशा पर उठाए सवाल

सदन में नहीं बोलने देने से आहत बाबूलाल ने स्पीकर पर लगाया अपमानित करने का आरोप

निलंबित विधायकों के साथ धरने पर बैठे बाबूलाल मरांडी, संसद में उपराष्ट्रपति की मिमिक्री को बताया शर्मनाक

1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक पारित होने पर प्रतिक्रिया देने विभिन्न दलों के नेता.

रांची: झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन बुधवार को 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति को बिना किसी बदलाव के फिर से विधानसभा से पारित कराने को सत्ताधारी दल के नेता जहां जनता से किए वादे को पूरा करने का प्रयास बता रहे हैं तो वहीं निर्दलीय विधायक सरयू राय, झामुमो के विधायक लोबिन हेंब्रम, नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी और बाबूलाल मरांडी ने इसे राज्य के आदिवासी मूलवासियों के साथ विश्वासघात करार दिया है. झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम ने तो पास कराए गए 1932 स्थानीय नीति को नौंवी अनुसूची में शामिल कराए जाने के प्रावधान को धोखा करार देते हुए आंदोलन की चेतावनी तक दे दी है.

सरकार की मंशा ठीक नहीं- सरयू राय: पूर्व मंत्री और निर्दलीय विधायक सरयू राय ने कहा कि पूर्व में पारित 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति को राज्यपाल ने उन बिंदुओं का जिक्र करते हुए लौटाया था, जिसमें जिला स्तर पर नौकरियों को किसी खास वर्ग के लिए हमेशा के लिए आरक्षित नहीं किया जा सकता, यह असंवैधानिक होगा. अटॉर्नी जनरल की सलाह को दरकिनार करते हुए बिना किसी संशोधन के इसे पारित कराने पर आश्चर्य जताते हुए सरयू राय ने कहा कि संविधान की शपथ लेकर उसके खिलाफ कैसे सदन में कोई विधेयक पास कराया जा सकता है. कल जब यह विधेयक न्यायालय में जाएगा, तब इसका क्या हाल होगा. सरयू राय ने कहा कि जनता में वर्तमान सरकार की विफलता के रूप में इस विधेयक की गिनती होगी. क्योंकि जनता में यह संदेश जाएगा कि बहुमत की सरकार बनने के बाद भी इस सरकार ने राज्य के आदिवासी मूलवासी के लिए कुछ नहीं किया.

बिना बहस और चर्चा के पास विधेयक पास कराया गयाः-अमर बाउरी: विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने कहा कि स्थानीयता और नियोजन नीति को लेकर सरकार की मंशा ठीक नहीं है. जब सिर्फ कैबिनेट डिसीजन से राज्य में स्थानीय नीति तय हो सकती है तो उसे विधानसभा से दोबारा पारित कराने और नौंवी अनुसूची में शामिल होने के बाद इसके लागू होने का प्रावधान इस ओर इशारा करता है कि सरकार की मंशा ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि रघुवर दास की सरकार ने 1985 को डेडलाइन मानते हुए स्थानीय नीति का जो प्रावधान किया था उसे कहां विधानसभा से विधेयक के रूप में पारित कराया गया था. आज सदन में बाबूलाल मरांडी जैसे वरिष्ठ और प्रथम मुख्यमंत्री को बोलने का मौका नहीं दिए जाने को अमर बाउरी ने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया.

जनाकांक्षा के अनुरूप सरकार ने फैसला लियाः-चम्पई सोरेनः वहीं राज्य के आदिवासी कल्याण सह परिवहन मंत्री चम्पई सोरेन ने कहा कि राज्य की सरकार ने जनाकांक्षा के अनुरूप फैसला लिया है और झामुमो जनता से किए गए वादे को पूरा करने के लिए कृतसंकल्पित है.

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