रांची: इन दिनों राजनीतिक दलों द्वारा झारखंड में जनजातियों को लुभाने की कोशिश जोरों पर है. बीजेपी मिशन मोड के तहत इसपर काम कर रही है. यही वजह है कि बीते कुछ महीनों में पार्टी ने आदिवासियों को केंद्र बिंदु में रखकर कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं. यही वजह है कि एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के प्रत्याशी बनाये जाने से लेकर निर्वाचन तक को बीजेपी ने उत्सव के रूप में मनाया है. मिशन मोड में ट्राइबल को रिझाने की इस कोशिश ने सत्तारूढ़ झामुमो-कांग्रेस-राजद की बेचैनी बढ़ा दी है. भविष्य में होनेवाले डैमेज को कंट्रोल करने के लिए सत्तारूढ़ दलों की एक्सरसाइज अभी से शुरू हो गयी है. गौरतलब है झामुमो-कांग्रेस की राजनीति झारखंड में ट्राइबल-अल्पसंख्यक के वोटबैंक पर टिकी हुई है, जिसे वे खोना नहीं चाहते.
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आदिवासी हिमायती होने पर राजनीति शुरू: जनजातियों के हिमायती होने को लेकर मचे राजनीतिक (Politics on tribal in Jharkhand) घमासान के बीच झारखंड में पहली बार आयोजित हो रहे जनजातीय महोत्सव (Jharkhand Tribal Festival) ने आग में घी डालने का काम किया है. बीजेपी ने पार्टी को आदिवासियों का हिमायती बताते हुए दावा किया है कि जितना जनजातियों को बढ़ाने का काम भाजपा ने किया है, वह किसी दल ने नहीं किया है.
बीजेपी का जनजातीय महोत्सव पर तंज: बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा है कि केंद्र में भाजपा ने जनजातीय मंत्रालय बनाया. इसके अलावा देश के इतिहास में पहली बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में 8 आदिवासी मंत्री हैं, जो रिकॉर्ड संख्या है. जनजातीय महोत्सव पर तंज कसते हुए प्रतुल शाहदेव ने कहा कि इस पर जितना खर्च हो रहा है, उतनी राशि जनजातियों के उपर खर्च होता तो इनका सामाजिक आर्थिक उत्थान होता. उन्होंने कहा कि प्रति वर्ष 700-800 आदिवासी बेटियों की इज्जत जा रही है लेकिन, किसी भी रेपिस्ट को स्पीडी ट्राइल के जरिए सजा नहीं मिल रही है.
कांग्रेस का पलटवार: इधर कांग्रेस ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा है कि कांग्रेस ने आदिवासियों के लिए जितना किया वह जगजाहिर है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि मांडर विधानसभा उपचुनाव से पहले आदिवासियों का विश्वास जीतने के लिए बीजेपी ने विश्वास रैली किया था. क्या हश्र हुआ वह सामने है. उस रैली के लिए पैसे कहां से आये सब जानते हैं. आदिवासियों की सभ्यता संस्कृति बचाने के लिए सरकारी कार्यक्रम आयोजित हो रहा है तो इसका स्वागत करना चाहिए ना कि इसे राजनीतिक चश्मा देखकर हमेशा पूंजीपतियों का हितैषी बने रहना चाहिए.