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राजभवन से मॉब लिंचिंग बिल लौटाए जाने पर राजनीति शुरू, जानिए किसने क्या कहा

झारखंड मॉब वायलेंस एंड मॉब लिंचिंग निवारण बिल 2021 को राजभवन से लौटाये जाने के बाद इसको लेकर एक बार फिर सियासत तेज हो गई है. इस बिल का विरोध कर रही बीजेपी ने जहां इसका स्वागत किया है. वहीं, झामुमो ने जल्द रास्ता निकलने की उम्मीद जताई है.

Politics on return of mob lynching bill in Jharkhand
Politics on return of mob lynching bill in Jharkhand
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Published : Mar 18, 2022, 4:56 PM IST

रांची: झारखंड मॉब वायलेंस एंड मॉब लिंचिंग निवारण बिल 2021 को राजभवन से लौटाये जाने के बाद इसको लेकर एक बार फिर सियासत तेज हो गई है. इस बिल का विरोध कर रही बीजेपी ने इसका स्वागत किया है. भाजपा विधायक नवीन जायसवाल ने इस बिल को राज्यपाल द्वारा वापस किये जाने का स्वागत करते हुए कहा है कि झारखंड विधानसभा में जब यह बिल लाया गया था उस वक्त भी भाजपा ने विरोध किया था. इस बिल में ऐसा प्रावधान किया गया है जो कहीं से भी उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि कहीं दो लोगों के एक साथ होने से भीड़ हो जायेगा और उसे मॉब कहा जायेगा. यदि दो आदमी लड़ाई करे तो वह मॉब लिंचिंग हो जायेगा. उन्होंने सरकार के फैसले पर तंज कसते हुए कहा कि जेएमएम का राज है यदि चमरा का कोई सिक्का चला दे तो वो भी विधानसभा से पारित हो जायेगा.

ये भी पढ़ें- राजभवन ने मॉब लिंचिंग प्रीवेंशन बिल सरकार को लौटाया, दो बिंदुओं पर जताई आपत्ति

इधर, झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राज्यपाल द्वारा आपत्ति जताये जाने पर कहा है कि जो भी खामियां हैं उसे सरकार दूर कर लेगी. झामुमो नेता मनोज पांडे ने कहा कि भीड़ को परिभाषित किये जाने पर उठ रहे सवाल बेतुका है और बीजेपी राजनीति से प्रेरित होकर यह कर रही है. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि हेमंत सोरेन सरकार इस बिल को विधानसभा से पारित होने के बाद राज्यपाल की सहमति लेकर जल्द ही कानून बनाने में सफल होगी.

बीजेपी और जेएमएम नेताओं के बयान

गौरतलब है कि विधानसभा के पिछले शीतकालीन सत्र के दौरान 21 दिसंबर को सदन के पटल पर यह बिल राज्य सरकार की ओर से लाया गया था. इस बिल के प्रावधानों पर हालांकि विपक्षी दल बीजेपी आपत्ति जताते हुए सदन से वाक आउट किया था. इस बिल के विरोध में बीजेपी राज्यपाल से मिलकर इसकी मंजूरी नहीं देने की अपील की थी. राज्यपाल ने इस बिल में मुख्यत: दो बिन्दुओं पर आपत्ति जताई है जिसमें भीड़ की परिभाषा पर पुनर्विचार करने को कहा है. वहीं, दो या दो से अधिक लोगों के समूह को अशांत भीड़ नहीं कहे जाने की टिप्पणी की है. इसके अलावा विधायक के हिंदी संस्करण और अंग्रेजी संस्करण में अंतर को लेकर राज्यपाल ने आपत्ति जताई है.

मॉब लिंचिंग बिल में ये है प्रावधान

  • झारखंड मॉब वायलेंस एंड मॉब लिंचिंग निवारण बिल 2021 में कहा गया है कि अगर कोई मॉब लिंचिंग में शामिल रहता है और ऐसी घटना में पीड़ित की मौत हो जाती है तो दोषी को सश्रम आजीवन कारावास के साथ 25 लाख रुपये तक जुर्माना देना होगा.
  • लिंचिंग का माहौल बनाने में सहयोग करने वाले ऐसे व्यक्ति को 3 साल की सजा और एक से 3 लाख तक जुर्माना होगा.
  • मॉब लिंचिंग की रोकथाम के लिए पुलिस महानिदेशक स्तर के पदाधिकारी को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है.
  • मॉब लिंचिंग में गंभीर रुप से घायल होने पर इस घटना के दोषी को 10 वर्ष से लेकर उम्र कैद तक की सजा होगी. इसके साथ ही 3 से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा.

रांची: झारखंड मॉब वायलेंस एंड मॉब लिंचिंग निवारण बिल 2021 को राजभवन से लौटाये जाने के बाद इसको लेकर एक बार फिर सियासत तेज हो गई है. इस बिल का विरोध कर रही बीजेपी ने इसका स्वागत किया है. भाजपा विधायक नवीन जायसवाल ने इस बिल को राज्यपाल द्वारा वापस किये जाने का स्वागत करते हुए कहा है कि झारखंड विधानसभा में जब यह बिल लाया गया था उस वक्त भी भाजपा ने विरोध किया था. इस बिल में ऐसा प्रावधान किया गया है जो कहीं से भी उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि कहीं दो लोगों के एक साथ होने से भीड़ हो जायेगा और उसे मॉब कहा जायेगा. यदि दो आदमी लड़ाई करे तो वह मॉब लिंचिंग हो जायेगा. उन्होंने सरकार के फैसले पर तंज कसते हुए कहा कि जेएमएम का राज है यदि चमरा का कोई सिक्का चला दे तो वो भी विधानसभा से पारित हो जायेगा.

ये भी पढ़ें- राजभवन ने मॉब लिंचिंग प्रीवेंशन बिल सरकार को लौटाया, दो बिंदुओं पर जताई आपत्ति

इधर, झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राज्यपाल द्वारा आपत्ति जताये जाने पर कहा है कि जो भी खामियां हैं उसे सरकार दूर कर लेगी. झामुमो नेता मनोज पांडे ने कहा कि भीड़ को परिभाषित किये जाने पर उठ रहे सवाल बेतुका है और बीजेपी राजनीति से प्रेरित होकर यह कर रही है. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि हेमंत सोरेन सरकार इस बिल को विधानसभा से पारित होने के बाद राज्यपाल की सहमति लेकर जल्द ही कानून बनाने में सफल होगी.

बीजेपी और जेएमएम नेताओं के बयान

गौरतलब है कि विधानसभा के पिछले शीतकालीन सत्र के दौरान 21 दिसंबर को सदन के पटल पर यह बिल राज्य सरकार की ओर से लाया गया था. इस बिल के प्रावधानों पर हालांकि विपक्षी दल बीजेपी आपत्ति जताते हुए सदन से वाक आउट किया था. इस बिल के विरोध में बीजेपी राज्यपाल से मिलकर इसकी मंजूरी नहीं देने की अपील की थी. राज्यपाल ने इस बिल में मुख्यत: दो बिन्दुओं पर आपत्ति जताई है जिसमें भीड़ की परिभाषा पर पुनर्विचार करने को कहा है. वहीं, दो या दो से अधिक लोगों के समूह को अशांत भीड़ नहीं कहे जाने की टिप्पणी की है. इसके अलावा विधायक के हिंदी संस्करण और अंग्रेजी संस्करण में अंतर को लेकर राज्यपाल ने आपत्ति जताई है.

मॉब लिंचिंग बिल में ये है प्रावधान

  • झारखंड मॉब वायलेंस एंड मॉब लिंचिंग निवारण बिल 2021 में कहा गया है कि अगर कोई मॉब लिंचिंग में शामिल रहता है और ऐसी घटना में पीड़ित की मौत हो जाती है तो दोषी को सश्रम आजीवन कारावास के साथ 25 लाख रुपये तक जुर्माना देना होगा.
  • लिंचिंग का माहौल बनाने में सहयोग करने वाले ऐसे व्यक्ति को 3 साल की सजा और एक से 3 लाख तक जुर्माना होगा.
  • मॉब लिंचिंग की रोकथाम के लिए पुलिस महानिदेशक स्तर के पदाधिकारी को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है.
  • मॉब लिंचिंग में गंभीर रुप से घायल होने पर इस घटना के दोषी को 10 वर्ष से लेकर उम्र कैद तक की सजा होगी. इसके साथ ही 3 से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा.
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