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मेयर और नगर आयुक्त के बीच उपजा विवाद ले रहा राजनीतिक रूप, आठ माह से जारी है लड़ाई - Mayor and Nagar Commissioner

रांची नगर निगम (Ranchi Municipal Corporation) में मेयर और नगर आयुक्त के बीच विवाद खत्म नहीं हो रहा है. यह विवाद अब राजनीतिक रूप लेने लगा है.

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मेयर और नगर आयुक्त के बीच उपजा विवाद ले रहा राजनीतिक रूप
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Published : Sep 15, 2021, 4:59 PM IST

रांचीः रांची नगर निगम (Ranchi Municipal Corporation) में पिछले 8 माह से मेयर और नगर आयुक्त के बीच अधिकार की लड़ाई जारी है. अब यह लड़ाई राजनीतिक रंग भी ले चुका है. राज्य की सत्ताधारी कांग्रेस ने मेयर पर काम नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मेयर काम के बलदे राजनीति कर रही है. वहीं, बीजेपी के डिप्टी मेयर ने इस लड़ाई से अपने-आप को दूर रखा है.

यह भी पढ़ेंः RMC: हड़ताल तक पहुंचा मेयर और नगर आयुक्त का विवाद, कांग्रेस का तंज- कमीशन ना मिलने पर बौखलायीं महापौर


मेयर और नगर आयुक्त के बीच विवाद में महाधिवक्ता के मंतव्य ने आग में घी डालने का काम किया है. अधिकार छिनता देख मेयर आशा लकड़ा राज्यपाल को भी मांग पत्र सौंप चुकी हैं. बात करें पड़ोसी राज्यों के नगर निगम की, तो मेयर और नगर आयुक्त के अलग-अलग अधिकार हैं. बिहार के पटना नगर निगम में बोर्ड बैठक मेयर की सहमति से नगर आयुक्त बुलाते हैं. इसकी अधिसूचना नगर सचिव जारी करते हैं. वहीं, छत्तीसगढ़ के रायपुर में नगर निगम बोर्ड की बैठक मेयर की सहमति या पार्षदों की मांग पर नगर आयुक्त बुलाते हैं.

क्या कहते हैं डिप्टी मेयर और कांग्रेस नेता


लोगों की समस्याओं का होना चाहिए समाधान

डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि विवाद पर कुछ कहना लाजमी नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार, महाधिवक्ता और मेयर के माध्यम से मंतव्य आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि निगम सुचारू रूप से चले और प्रतिनिधियों का अधिकार पूर्व की तरह कायम रहे. उन्होंने कहा कि इस गतिरोध का असर आमलोगों पर नहीं पड़े. उन्होंने कहा कि इस तरह के विरोध को दूर कर लोगों की समस्याओं का समाधान होना चाहिए.

मेयर कर रही है राजनीति

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि 74वें संशोधन के बाद जो अधिनियम आया है. मौजूदा सरकार ने ऐसी व्यवस्था की है कि सिर्फ आपसी विवाद में समय बर्बाद ना हो. उन्होंने कहा कि रांची नगर निगम की मेयर को जनहित कार्यों से कुछ लेनादेना नहीं है. मेयर सिर्फ राजनीति करती हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में जिस तरह की व्यवस्था नगर निगम की ओर से की जानी चाहिए थी, वह नहीं किया गया. राज्य सरकार ने स्वत संज्ञान लेकर नगर आयुक्त के माध्यम से कार्य संचालन कराया.

रांचीः रांची नगर निगम (Ranchi Municipal Corporation) में पिछले 8 माह से मेयर और नगर आयुक्त के बीच अधिकार की लड़ाई जारी है. अब यह लड़ाई राजनीतिक रंग भी ले चुका है. राज्य की सत्ताधारी कांग्रेस ने मेयर पर काम नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मेयर काम के बलदे राजनीति कर रही है. वहीं, बीजेपी के डिप्टी मेयर ने इस लड़ाई से अपने-आप को दूर रखा है.

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मेयर और नगर आयुक्त के बीच विवाद में महाधिवक्ता के मंतव्य ने आग में घी डालने का काम किया है. अधिकार छिनता देख मेयर आशा लकड़ा राज्यपाल को भी मांग पत्र सौंप चुकी हैं. बात करें पड़ोसी राज्यों के नगर निगम की, तो मेयर और नगर आयुक्त के अलग-अलग अधिकार हैं. बिहार के पटना नगर निगम में बोर्ड बैठक मेयर की सहमति से नगर आयुक्त बुलाते हैं. इसकी अधिसूचना नगर सचिव जारी करते हैं. वहीं, छत्तीसगढ़ के रायपुर में नगर निगम बोर्ड की बैठक मेयर की सहमति या पार्षदों की मांग पर नगर आयुक्त बुलाते हैं.

क्या कहते हैं डिप्टी मेयर और कांग्रेस नेता


लोगों की समस्याओं का होना चाहिए समाधान

डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि विवाद पर कुछ कहना लाजमी नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार, महाधिवक्ता और मेयर के माध्यम से मंतव्य आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि निगम सुचारू रूप से चले और प्रतिनिधियों का अधिकार पूर्व की तरह कायम रहे. उन्होंने कहा कि इस गतिरोध का असर आमलोगों पर नहीं पड़े. उन्होंने कहा कि इस तरह के विरोध को दूर कर लोगों की समस्याओं का समाधान होना चाहिए.

मेयर कर रही है राजनीति

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि 74वें संशोधन के बाद जो अधिनियम आया है. मौजूदा सरकार ने ऐसी व्यवस्था की है कि सिर्फ आपसी विवाद में समय बर्बाद ना हो. उन्होंने कहा कि रांची नगर निगम की मेयर को जनहित कार्यों से कुछ लेनादेना नहीं है. मेयर सिर्फ राजनीति करती हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में जिस तरह की व्यवस्था नगर निगम की ओर से की जानी चाहिए थी, वह नहीं किया गया. राज्य सरकार ने स्वत संज्ञान लेकर नगर आयुक्त के माध्यम से कार्य संचालन कराया.

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