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मांडर विधानसभा उपचुनावः क्या गंगोत्री कुजूर की राह में रोड़ा अटकाएंगे देव कुमार धान या कुछ और है कहानी, जानिए इस रिपोर्ट में

मांडर विधानसभा उपचुनाव (Mandar Assembly Byelection) में लड़ाई दिलचस्प होता जा रहा है. पिछली बार बीजेपी से चुनाव लड़े देव कुमार धान एआईएमआईएम प्रत्याशी के रुप में इस बार मांडर उपचुनाव में ताल ठोक रहे हैं. इसको लेकर बीजेपी और जेएमएम ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.

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मांडर विधानसभा उपचुनाव
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Published : Jun 10, 2022, 8:47 PM IST

रांचीः मांडर विधानसभा उपचुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज है. चिलचिलाती गर्मी के बाबजूद चुनाव मैदान में खड़े 14 प्रत्याशी अपनी जीत को सुनिश्चित करने में जुटे हैं. प्रत्याशियों के इस मेहनत का फलाफल 23 जून को मतदान के बाद 26 जून को होने वाली कॉउटिंग के बाद ही पता चलेगा कि आखिरकार मांडर विधानसभा में किसका मांदर बजा.

इसे भी पढ़ें- माडंर विधानसभा उपचुनाव: 14 प्रत्याशियों के भाग्य का होगा फैसला, शिल्पी नेहा तिर्की और गंगोत्री कुजूर के भी कांटे की टक्कर


राजनीतिक समीकरण की करें तो इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुकाबला होता रहा है. हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड विकास मोर्चा प्रत्याशी बंधु तिर्की भाजपा प्रत्याशी देव कुमार धान को हराकर जीतने में सफल हो गए. इस बार उपचुनाव में परिस्थितियां बदली हुई हैं. चुनाव मैदान में भाजपा ने पूर्व विधायक गंगोत्री कुजूर को उतारा है. वहीं पिछली बार भाजपा के टिकट से चुनाव लड़े देव कुमार धान एआईएमआईएम प्रत्याशी (AIMIM candidate) के रुप में खड़ा होकर चुनाव को दिलचस्प बना दिया है.

देखें पूरी खबर

इसको लेकर भाजपा द्वारा अभी तक देव कुमार धान पर कोई कार्रवाई नहीं की है. ऐसे में झारखंड मुक्ति मोर्चा इसे बीजेपी पर देव कुमार धान को एक स्ट्रेटजी के तहत चुनाव मैदान में खड़ा कराने का आरोप लगाया है. झामुमो नेता मनोज पांडे ने मांडर विधानसभा उपचुनाव में जीत का दावा करते हुए कहा है कि इस चुनाव में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चल रही सरकार के कामकाज पर जनता वोट करेगी. झामुमो के आरोप को निराधार बताते हुए झारखंड बीजेपी ने देव कुमार धान (Politics on Dev Kumar Dhan) पर जल्द ही कार्रवाई का भरोसा दिया है. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि पार्टी की अधिकृत प्रत्याशी गंगोत्री कुजूर हैं जिनका चुनाव जीतना निश्चित है.


दिलचस्प होगी टक्करः मांडर विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टि से काफी अहम रहा है. गंगोत्री कुजूर 2014 में इस विधानसभा क्षेत्र से भाजपा का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंदी तृणमूल कांग्रेस के बंधु तिर्की को 7605 वोटों से पराजित किया था जिसमें गंगोत्री कुजूर को 54200 मत मिले थे जबकि बंधु तिर्की को 46547. इस बार उनका मुकाबला बंधु तिर्की की पुत्री ने नेहा तिर्की से हो रहा है. मगर 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे देव कुमार धान के खड़े होने से भीतरघात की आशंका मानी जा रही है.

जनजातीय बहुल इस विधानसभा क्षेत्र में करीब 4 लाख मतदाता हैं, जिसमें मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है. अनुमान के मुताबिक मुस्लिम अल्पसंख्यकों की संख्या करीब 80 हजार है. एआईएमआईएम के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे देव कुमार धान को उम्मीद है कि जनजातीय वोट के अलावा मुस्लिम अल्पसंख्यकों का आशीर्वाद उन्हें जरूर मिलेगा. 2019 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन के तहत यह सीट कांग्रेस के खाते में थी. कांग्रेस उम्मीदवार सनी टोप्पो को 8840 वोट मिले थे जबकि इस चुनाव में जीत दर्ज करने वाले बंधु तिर्की को 92,491 वोट मिले थे.

जबकि भाजपा प्रत्याशी देव कुमार धान को इस चुनाव में 69,364 वोट मिले थे. वहीं एआईएमआईएम के टिकट पर चुनाव लड़ रहे शिशिर लकड़ा को 23,592 वोट मिले थे. आजसू उम्मीदवार हेमलता उरांव को 15,708 वोट मिले थे. पिछली विधानसभा चुनाव में आजसू का भाजपा के साथ गठबंधन टूट गया था मगर इस बार आजसू ने भाजपा प्रत्याशी को अपना समर्थन दिया है इसलिए यह चुनाव काफी दिलचस्प माना जा रहा है.

रांचीः मांडर विधानसभा उपचुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज है. चिलचिलाती गर्मी के बाबजूद चुनाव मैदान में खड़े 14 प्रत्याशी अपनी जीत को सुनिश्चित करने में जुटे हैं. प्रत्याशियों के इस मेहनत का फलाफल 23 जून को मतदान के बाद 26 जून को होने वाली कॉउटिंग के बाद ही पता चलेगा कि आखिरकार मांडर विधानसभा में किसका मांदर बजा.

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राजनीतिक समीकरण की करें तो इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुकाबला होता रहा है. हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड विकास मोर्चा प्रत्याशी बंधु तिर्की भाजपा प्रत्याशी देव कुमार धान को हराकर जीतने में सफल हो गए. इस बार उपचुनाव में परिस्थितियां बदली हुई हैं. चुनाव मैदान में भाजपा ने पूर्व विधायक गंगोत्री कुजूर को उतारा है. वहीं पिछली बार भाजपा के टिकट से चुनाव लड़े देव कुमार धान एआईएमआईएम प्रत्याशी (AIMIM candidate) के रुप में खड़ा होकर चुनाव को दिलचस्प बना दिया है.

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इसको लेकर भाजपा द्वारा अभी तक देव कुमार धान पर कोई कार्रवाई नहीं की है. ऐसे में झारखंड मुक्ति मोर्चा इसे बीजेपी पर देव कुमार धान को एक स्ट्रेटजी के तहत चुनाव मैदान में खड़ा कराने का आरोप लगाया है. झामुमो नेता मनोज पांडे ने मांडर विधानसभा उपचुनाव में जीत का दावा करते हुए कहा है कि इस चुनाव में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चल रही सरकार के कामकाज पर जनता वोट करेगी. झामुमो के आरोप को निराधार बताते हुए झारखंड बीजेपी ने देव कुमार धान (Politics on Dev Kumar Dhan) पर जल्द ही कार्रवाई का भरोसा दिया है. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि पार्टी की अधिकृत प्रत्याशी गंगोत्री कुजूर हैं जिनका चुनाव जीतना निश्चित है.


दिलचस्प होगी टक्करः मांडर विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टि से काफी अहम रहा है. गंगोत्री कुजूर 2014 में इस विधानसभा क्षेत्र से भाजपा का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंदी तृणमूल कांग्रेस के बंधु तिर्की को 7605 वोटों से पराजित किया था जिसमें गंगोत्री कुजूर को 54200 मत मिले थे जबकि बंधु तिर्की को 46547. इस बार उनका मुकाबला बंधु तिर्की की पुत्री ने नेहा तिर्की से हो रहा है. मगर 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे देव कुमार धान के खड़े होने से भीतरघात की आशंका मानी जा रही है.

जनजातीय बहुल इस विधानसभा क्षेत्र में करीब 4 लाख मतदाता हैं, जिसमें मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है. अनुमान के मुताबिक मुस्लिम अल्पसंख्यकों की संख्या करीब 80 हजार है. एआईएमआईएम के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे देव कुमार धान को उम्मीद है कि जनजातीय वोट के अलावा मुस्लिम अल्पसंख्यकों का आशीर्वाद उन्हें जरूर मिलेगा. 2019 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन के तहत यह सीट कांग्रेस के खाते में थी. कांग्रेस उम्मीदवार सनी टोप्पो को 8840 वोट मिले थे जबकि इस चुनाव में जीत दर्ज करने वाले बंधु तिर्की को 92,491 वोट मिले थे.

जबकि भाजपा प्रत्याशी देव कुमार धान को इस चुनाव में 69,364 वोट मिले थे. वहीं एआईएमआईएम के टिकट पर चुनाव लड़ रहे शिशिर लकड़ा को 23,592 वोट मिले थे. आजसू उम्मीदवार हेमलता उरांव को 15,708 वोट मिले थे. पिछली विधानसभा चुनाव में आजसू का भाजपा के साथ गठबंधन टूट गया था मगर इस बार आजसू ने भाजपा प्रत्याशी को अपना समर्थन दिया है इसलिए यह चुनाव काफी दिलचस्प माना जा रहा है.

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