रांचीः कोरोना काल में संक्रमण से निपटने पर राजनीति तेज हो गई है. एक तरफ कांग्रेस ने मंत्रियो की पीठ थपथपाई है और कांग्रेस पार्टी की ओर से किए गए कार्यों के लिए भी वाहवाही बटोरने की कोशिश की है तो वहीं भाजपा ने मंत्रियों के काम को सिर्फ फोटो सेशन करार दिया है. कांग्रेस का दावा है कि कोरोना संक्रमण काल में पार्टी कार्यकर्ताओं ने जनता के लिए लगातार काम किया. हालांकि विपक्षी बीजेपी (Bharatiya Janata Party) का मानना है कि अगर सही मायने में काम होता तो राज्य की जनता को कोरोना संक्रमण के पीक समय में समस्या का सामना नहीं करना पड़ता.
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किसानों को धान का बीज मुहैया
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आलोक कुमार दुबे ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सह वित्त और खाद्य आपूर्ति मंत्री में डॉ. रामेश्वर उरांव ने राज्य के लोगों को भोजन की कमी नहीं होने दी. गरीबों तक राशन समय पर पहुंचाया गया. इसके साथ ही जहां भी खबरें आईं वहां भोजन उपलब्ध कराया गया. राजस्व संग्रह में कमी आने के बावजूद सरकार की योजनाओं को रूकने नहीं दिया.
आलोक कुमार दुबे ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का योगदान भुलाया नहीं जा सकता. मुख्यमंत्री के साथ वह लोगों को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए वह काम करते रहे और स्वास्थ्य के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को बनाने का काम किया. ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने झारखंड में मनरेगा के माध्यम से यहां के लोगों को रोजगार सृजित करने का काम किया. कृषि मंत्री बादल ने लोगों को रोजगार उपलब्ध कराए. वहीं समय पर धान का बीज मुहैया कराया गया. ताकि मानसून के समय में किसानों को समस्याएं न हो.
प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा का बयान
विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने कहा कि केवल कांग्रेस के मंत्री ही नहीं बल्कि कोरोना संक्रमण काल में जैसा उनका बिहेवियर रहा. उससे प्रश्न खड़ा होता है कि आखिर वह क्यों मंत्री बने. उन्होंने सिर्फ अपनी सुविधा प्राप्त की और अपनी वाहवाही लूटी. उन्होंने कहा कि मंत्री रामेश्वरम उरांव अपने कार्यालय से बाहर नहीं निकले और पसंदीदा लोगों के साथ फोटोशूट कराते रहे. जब ऑक्सीजन की किल्लत खत्म हो गई तो ऑक्सीजन सिलेंडर बांटने निकले, सूखा राशन के साथ फोटो शूट कराना मंत्रियों की संवेदनहीनता को दर्शाता है. स्वास्थ्य मंत्री सिर्फ केंद्र सरकार पर आरोप लगाते रहे, अगर वह प्राइवेट अस्पताल के खिलाफ आवाज बुलंद करते तो प्राइवेट अस्पताल की मनमानी से लोगों को राहत मिलती और लूट का आलम नहीं मिलता.