रांची: कोरोना वैक्सीन को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पीएम मोदी को लिखी गई चिठ्ठी के बाद राजनीति गरमा गई है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सह सांसद दीपक प्रकाश ने हेमंत सरकार को पलटी मार सरकार बताते हुए कहा है कि लगभग डेढ़ साल के कार्यकाल में सरकार कई घोषणा कर पलट गई है, अभी हाल में ही 22 अप्रैल को राज्य के सभी लोगों को मुफ्त वैक्सीन लगवाने की घोषणा करने वाली सरकार आज अपने वादे से मुकर गई है. दीपक प्रकाश ने इसे राज्य की जनता के साथ धोखा बताते हुए कहा कि उन्होंने जिस तरह से किसानों को, युवाओं को, महिलाओं को, संविदाकर्मियों को, पारा शिक्षकों को धोखा दिया, वैसे ही आम जनता को वैक्सीन को लेकर धोखा दिया है.
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मोदी सरकार की आलोचना करना गैर बीजेपी सरकार की नियति
दीपक प्रकाश ने कहा कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों को हर संभव सहायता कर रही है, लेकिन गैर बीजेपी सरकारों की नियति बन गई है, मोदी सरकार का विरोध करना, विरोध भी मुद्दों पर नहीं, बल्कि असंसदीय और अलोकतांत्रिक तरीके से. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने हेमंत सरकार को 1885 वेंटीलेटर, 106000 रेमेडेसिविर इंजेक्शन, 45,33,660 वैक्सीन और ऑक्सीजन सहित 200 करोड़ की सहायता राशि दी है, पंचायतों के लिए पैसे दिए, डीवीसी के बकाए 714 करोड़ की राशि की वसूली कोरोना के कारण स्थगित की, राज्य के गरीबों के लिए 2 महीने का मुफ्त अनाज दिया गया, इसके अलावा राज्य के लगभग 14 लाख किसानों के खाते में 286 करोड़ की राशि भेजी गई, प्रत्येक जिले में ऑक्सीजन प्लांट, 15वें वित्त आयोग से पंचायतों में लगभग 250 करोड़ की राशि मिली, किसानों को डीएपी खाद में 1200 की सब्सिडी दी गई और झारखंड के पीएसयू, कोयला कंपनियों ने बड़े स्तर पर मेडिकल सहायता उपलब्ध कराया, इसके बाबजूद हेमंत सरकार अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए विधवा विलाप करती रही है.
झारखंड सरकार छिपा रही अपनी विफलता: बीजेपी
दीपक प्रकाश ने राज्य सरकार के कामकाज की आलोचना करते हुए कहा कि हेमंत सरकार ग्लोबल टेंडर के माध्यम से टीकों को खरीदने की बात कर रही थी, बंगलादेश से टीका मंगवाने का नाटक करने वाले आज फिर से केंद्र से सहायता का रोना रोने लगे हैं, डीएमएफ की राशि भी सरकार कोरोना में खर्च करने के लिए स्वतंत्र है, राज्य बजट में भी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बड़ी राशि दी गई है, ऐसे में झारखंड सरकार बताएं कि राज्य फंड से कोरोना में कितने खर्च किए, मुख्यमंत्री पीएम मोदी को पत्र लिखकर अपनी विफलताओं को छुपाना चाहते हैं, जबकि उन्हें टीकाकरण को लेकर गांव में फैले भ्रम को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए.