रांची: बीजेपी विधायक दल के नए नेता को लेकर सस्पेंस बरकरार है. वर्तमान समय में बाबूलाल मरांडी के पास भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता की जिम्मेदारी है. विधानसभा में बाबूलाल मरांडी को बतौर बीजेपी विधायक के रूप में मान्यता अब तक नहीं मिलने की वजह से पार्टी ने नये विधायक दल के नेता के नाम की खोजबीन तो शुरू की. मगर वह भी अंदरूनी कारणों से उलझ कर रह गया है.
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जानकारी के मुताबिक, केंद्रीय नेतृत्व ने पार्टी के अंदर विधायकों के बीच सर्वसम्मति नहीं होने की वजह से इसे फिलहाल टाल दिया है. बाबूलाल के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद 28 जुलाई को केंद्रीय पर्यवेक्षक अश्वनी चौबे की मौजूदगी में हुई भाजपा विधायक दल की बैठक के बाद बंद कमरे में सभी विधायकों से विधायक दल के नेता कौन हो, इसके लिए अलग अलग तीन-तीन नाम मांगे गए थे. विधायकों की राय जानने के बाद अश्वनी चौबे इस संबंध में रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को सौंप चुके हैं. मगर एक महीने से अधिक समय बीतने के बाद भी बीजेपी विधायक दल के नए नेता के नाम की घोषणा नहीं की गई है.
बीजेपी विधायक दल के नेता पर सियासत: बीजेपी विधायक दल के नए नेता के नाम को लेकर उलझन में फंसी बीजेपी पर विपक्ष ने तंज कसना शुरू कर दिया है. झामुमो ने बीजेपी को संतरा बताते हुए कटाक्ष किया है कि जिस तरह से संतरा का अंदरुनी भाग कई हिस्सों में बंटा रहता है, उसी तरह बीजेपी में अंदरूनी कलह है. जिस वजह से विधायक दल के नये नेता को चुनना आसान नहीं है. झामुमो केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा है कि राष्ट्रीय पार्टी का दम भरने वाली झारखंड बीजेपी में बाबूलाल को कोई स्वीकार नहीं रहे हैं. इस वजह से अंदरुनी कलह चरम पर है और विधायक अलग अलग बंटे हुए हैं.
भाजपा ने किया पलटवार: इधर, झामुमो के कटाक्ष पर पलटवार करते हुए बीजेपी प्रवक्ता अनिमेष कहते हैं कि बाबूलाल मरांडी के साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने जिस तरह का व्यवहार किया है, संसदीय व्यवस्था में ऐसा नहीं देखा जाता है. उन्होंने कहा कि नेताओं की व्यस्तता की वजह से विधायक दल के नये नेता के नाम पर मुहर नहीं लगी है. संभावना है कि डुमरी विधानसभा उपचुनाव के बाद इस पर केंद्रीय नेतृत्व फैसला ले.
आरोप प्रत्यारोप के बीच भाजपा विधायक दल के नये नेता के नाम पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं. इस दौड़ में अनंत ओझा, सीपी सिंह, बिरंची नारायण, जेपी भाई पटेल सहित कई शामिल हैं.