रांची: लोकसभा चुनाव 2024 का रण सजने में अभी काफी समय बाकी है. लेकिन सभी राजनीतिक पार्टियां अभी से ही इसकी तैयारी में जुट गई हैं. राजनीतिक पार्टियों के नेता भी चुनाव के लिए अपनी दावेदारी पेश करने में लग गए हैं. कुछ यही हाल झारखंड में भी है. झारखंड कांग्रेस के कई विधायक, जिलाध्यक्ष और नए-नए बोर्ड-निगम के अध्यक्ष और सदस्य बने लोगों की इच्छा संसद भवन पहुंचने की है. इन्होंने लोकसभा चुनाव के लिए अपनी दावेदारी ठोकनी शुरू कर दी है. इसी कड़ी में इन नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष को अपनी-अपनी पसंद की संसदीय सीट से भी अवगत करा दिया है.
मिली जानकारी के अनुसार, कांग्रेस के कई युवा विधायक ऐसे हैं, जो 2024 में संसद भवन जाने की हसरतें पाले बैठे हैं. उनमें कुछ महिला विधायक भी शामिल हैं. विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद, दीपिका पांडे सिंह, इरफान अंसारी, अनूप सिंह, प्रदीप यादव सहित कई ऐसे विधायक हैं, जिनकी इच्छा लोकसभा में पहुंचने की है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर भी यह स्वीकार करते हैं कि लोकसभा चुनाव को लेकर कई विधायक, सांसद, पूर्व सांसद जिलाध्यक्ष, पार्टी के प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी और बोर्ड-निगम में नए-नए अध्यक्ष और सदस्य बने कांग्रेस जनों ने अलग-अलग लोकसभा सीट के लिए अपनी दावेदारी जताई है.
उदयपुर घोषणा पत्र से उत्साहित हैं कांग्रेस के युवा विधायक: कांग्रेस के उदयपुर चिंतन शिविर में युवाओं को सक्रिय राजनीति में आगे लाने और पार्टी में नेताओं की सेकंड और थर्ड लाइन तैयार रखने के लिए संकल्प लिया गया था. तय हुआ था कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव के वक्त पार्टी 50% सीटें, 50 वर्ष से कम उम्र वाले नेताओं को देगी. इसी संकल्प के बाद राज्य के वैसे युवा विधायक, जिनकी उम्र 50 वर्ष या उससे कम हो, उन्हें लगता है कि पार्टी उन पर भरोसा जताएगी. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी मानते हैं कि लोकसभा सीटों के लिए टिकट फाइनल करते वक्त उदयपुर में लिए संकल्प पर भी पार्टी आलाकमान के नेता जरूर ध्यान देंगे.
दावेदारी ठोकने वाले नेताओं के हाथ लग सकती है निराशा: झारखंड से लोकसभा चुनाव लड़ कर संसद भवन पहुंचने की तमन्ना पाले कांग्रेस के कई विधायकों और नेताओं को निराशा भी हाथ लग सकती है. इसका मुख्य कारण यह है कि झारखंड में लोकसभा की कुल 14 सीटें ही हैं. 2019 लोकसभा चुनाव की बात करें तो झारखंड में कांग्रेस ने 07 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था. जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा 04 सीटों पर और झारखंड विकास मोर्चा ने 02 सीटों पर चुनाव लड़ा था. तब अधिकृत रूप से राजद को एक लोकसभा सीट मिला था.
अब, जब केंद्र से नरेंद्र मोदी की सरकार को सत्ता से उतारने के लिए 26 दलों ने साझा उम्मीदवार देने की रणनीति के तहत 'इंडिया' बना लिया है, तब राज्य में इसके तहत कांग्रेस को कितनी लोकसभा सीट मिलती है, यह अभी साफ नहीं हुआ है. जाहिर है कि अगर 'झारखंड इंडिया' में जदयू और वाम मोर्चा को एडजेस्ट करने की बात हुई तो पहले से महागठबंधन के दल कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा को ही सीटों का त्याग करना होगा. ऐसे में जितनी संख्या में कांग्रेस के विधायकों और जिला अध्यक्षों ने लोकसभा सीट के लिए दावेदारी की है, उनमें से ज्यादातर के हाथ निराशा ही लगने वाली है.