रांचीः लैंड फॉर जॉब स्कैम से जुड़े मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के द्वारा पिछले दिनों लालू प्रसाद के बेटे, बेटियों और करीबियों के ठिकानों पर हुई छापेमारी के बाद इस पर न केवल बिहार बल्कि झारखंड में भी सियासत जारी है. राष्ट्रीय जनता दल के द्वारा इस छापेमारी के पीछे भारतीय जनता पार्टी का हाथ होने का आरोप लगाते हुए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया जा रहा है. वहीं इस छापेमारी के बाद भारतीय जनता पार्टी ने बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में चल रही सरकार पर पलटवार करते हुए कहा है कि जो आज सरकार में शामिल हैं, उन्हीं के द्वारा केंद्रीय जांच एजेंसी से लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले की जांच करने की अनुशंसा की गई थी.
झारखंड में राजद कोटे से मंत्री बने सत्यानंद भोक्ता हालांकि इस मामले में खुलकर कुछ भी कहने से परहेज कर रहे हैं, लेकिन पार्टी का मानना यह है कि जो भी ईडी की कार्रवाई हो रही है इसके पीछे कहीं ना कहीं भारतीय जनता पार्टी का हाथ है. इधर भारतीय जनता पार्टी के विधायक अनंत ओझा ने पलटवार करते हुए कहा है कि जब कभी भी ईडी की कार्रवाई होती है तो भाजपा पर इसी तरह के आरोप लगते हैं. मगर सच्चाई यह है कि बिहार में जो सरकार में आज शामिल हैं उन्हीं के द्वारा केंद्रीय जांच एजेंसी से इसकी जांच कराने की अनुशंसा की गई थी. ऐसे में भ्रष्टाचार का जब मामला उजागर होता है तो उससे बचाव के लिए इस तरह के आरोप भाजपा पर लगाए जाते हैं.
जानिए क्या है लैंड फॉर जॉब मामला: लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों के यहां पिछले दिनों मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने करीब 1 दर्जन से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की थी. यूपी, बिहार, मुंबई, रांची, दिल्ली सहित कई शहरों में हुई इस छापेमारी में भारी मात्रा में कैश और दस्तावेज बरामद किए गए थे. गौरतलब है कि लालू प्रसाद के 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्रित्व काल में उनके परिवार को तोहफे में भूखंड प्राप्त होने या इसे बेचने के बदले में लोगों को रेलवे में कथित तौर पर नौकरी दिए जाने का आरोप है. सीबीआई ने इस मामले में पहले ही आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के प्रावधानों के तहत लालू प्रसाद उनकी पत्नी राबड़ी देवी एवं अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है.