रांची: डुमरी विधानसभा उपचुनाव 2023 में अपने-अपने प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने के लिए सभी पार्टियां ताबड़तोड़ चुनावी सभाएं कर रही हैं. इसी क्रम में बुधवार को AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी, झारखंड के डुमरी विधानसभा क्षेत्र पहुंचे और चुनावी सभा को संबोधित किया. डुमरी चुनाव में ओवैसी की एंट्री पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में कहा कि राज्य की जनता अब जान गई है कि ओवैसी भाजपा की बी टीम हैं.
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राकेश सिन्हा ने कहा कि ओवैसी, भाजपा और NDA के उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा करते हैं और चुनावी सभाएं करते हैं. कांग्रेस नेता ने कहा कि वोट कटवा के रूप में ओवैसी अपने उम्मीदवार खड़ा करते हैं, लेकिन अब उसका कोई लाभ उन्हें या भाजपा-आजसू को नहीं मिलेगा. क्योंकि राज्य की जनता ओवैसी की हकीकत जान चुकी है.
राज्य में मॉब लिंचिंग की घटना पर केंद्रित रहा ओवैसी का भाषण: ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद असदुद्दीन ओवैसी मंगलवार रात से झारखंड दौरे पर हैं. बुधवार उन्होंने डुमरी विधानसभा उपचुनाव में अपने प्रत्याशी अब्दुल मोबिन रिजवी के लिए वोट मांगा और एनडीए के साथ-साथ इंडिया दलों पर भी कई आरोप लगाए. ओवैसी ने राज्य में मॉब लिंचिंग कर एक समुदाय विशेष के ऊपर हो रहे अत्याचार को रोकने में हेमंत सोरेन सरकार को विफल बताया.
उन्होंने कहा कि डुमरी की जनता को एनडीए के साथ-साथ इंडिया उम्मीदवार को भी नकारना चाहिए. उन्होंने कहा कि डुमरी की जनता की आवाज AIMIM के उम्मीदवार बनेंगे. इसलिए सभी समुदाय के लोग AIMIM को वोट करें. ओवैसी ने कहा कि मॉब लिंचिंग के खिलाफ जब वह आवाज उठाते हैं, तब उसे भड़काऊ कहा जाता है. उन्होंने कहा कि अगर सच बोलने पर उन पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगता है तो वह उन्हें स्वीकार है. उन्होंने कहा कि एनडीए के साथ-साथ इंडिया गठबंधन की पार्टियों के एजेंडे में गरीब, जरूरतमंद के हक और हकूक की आवाज उठाना नहीं है.
AIMIM उम्मीदवार से इंडिया गठबंधन को क्यों है खतरा: बता दें कि ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार से इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार को नुकसान होने का खतरा अधिक है. क्योंकि 2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो, आजसू और भाजपा के उम्मीदवार के बाद 24 हजार से अधिक वोट पाकर ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार अब्दुल मोबिन रिजवी चौथे स्थान पर रहे थे. 2019 में ओवैसी का असर झामुमो उम्मीदवार पर इसलिए नहीं पड़ा था, क्योंकि आजसू और भाजपा के अलग-अलग चुनाव लड़ने से वोटों का जबरदस्त बिखराव हुआ था. इस वजह से झामुमो के जगरनाथ महतो आसानी से चुनाव जीत गए थे. इस बार आजसू और बीजेपी साथ-साथ हैं और ओवैसी के उम्मीदवार भी मैदान में हैं. ऐसे में भले ही कांग्रेस कहती रही हो कि ओवैसी फैक्टर का कोई असर डुमरी पर नहीं पड़ेगा. लेकिन यह तो 08 सितंबर को पता चलेगा, जब मतों की गिनती होगी. 05 सितंबर को डुमरी विधानसभा उपचुनाव के लिए वोटिंग होनी है.