रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा आरटीआई के तहत राजभवन से चुनाव आयोग से आई चिट्ठी की प्रति की मांग ने राज्य की सियासत (Politcs on RTI in Jharkhand) को गर्म कर दिया है. मामला भले ही राजभवन और झारखंड मुक्ति मोर्चा के बीच का हो लेकिन, जिस तरह से इसको लेकर सियासी दलों के बीच बयान जारी हो रहे हैं, उससे साफ लगता है कि झामुमो द्वारा उठाया गया यह कदम कहीं ना कहीं भविष्य के संभावित खतरों से निपटने की रणनीति का एक हिस्सा है. इससे पहले इसी मामले में झामुमो द्वारा भारत निर्वाचन आयोग और राजभवन से लिखित आवेदन देकर जानकारी मांगी गई थी. हालांकि, चुनाव आयोग और राजभवन से अब तक निराशा हाथ लगी थी. अब एक बार फिर आरटीआई को आधार बनाकर राजभवन से मांग की गई है.
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आरटीआई पर राजनीति शुरू: झामुमो द्वारा राजभवन से चुनाव आयोग की चिट्ठी की कॉपी की मांग (Demand of EC letter copy by JMM) आरटीआई से किये जाने के बाद इसपर राजनीति शुरू हो गई है. बीजेपी ने इसे झारखंड मुक्ति मोर्चा की घबराहट बतायी है. वहीं, झामुमो ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए केंद्र और बीजेपी पर निशाना साधा है. बीजेपी मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक ने कहा है कि यह मामला राजभवन और झामुमो के बीच का है मगर जिस तरह से आरटीआई का उपयोग कर जानकारी मांगी गई है उससे साफ लगता है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के अंदर कितनी घबराहट है. उन्होंने कहा कि जनता के सवालों का जवाब देने के बजाय खुद सवाल का जवाब मांगने वाली यह सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए इस तरह का कदम उठा रही है.
झामुमो ने क्या कहा: इधर झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता मनोज पांडे ने सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि क्या एक आदिवासी के बेटे को इतना भी जानने अधिकार नहीं है कि उसके उपर जो मामले चले उसमें क्या निर्णय हुआ. आखिर राजभवन इस मामले में चुप क्यों है और किस बात की प्रतिक्षा की जा रही है. केंद्र सरकार पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए मनोज पांडे ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लोकप्रियता से बीजेपी घबराए हुए हैं. यही वजह है कि लगातार सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की जाती रही है, जिसे झामुमो सफल नहीं होने देगी.