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झारखंड हाई कोर्ट में 25 निजी विश्वविद्यालयों के खिलाफ PIL, फर्जी डिग्री देने का आरोप

झारखंड हाई कोर्ट में 25 निजी विश्वविद्यालयों (Private Universities) के खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका में विश्वविद्यालयों पर फर्जी डिग्री बांटने का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की गई है.

Jharkhand High Court
झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Aug 5, 2021, 7:28 AM IST

रांची: झारखंड हाई कोर्ट में 25 निजी विश्वविद्यालयों (Private Universities) पर फेक डिग्री का बांटने का आरोप लगाते हुए जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है. अधिवक्ता राजीव कुमार की याचिका में निजी विश्वविद्यालयों पर यूजीसी (UGC) की गाइडलाइंस का उल्लंघन करते हुए छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने का भी आरोप लगाया गया है. याचिकाकर्ता ने पूरे मामले में हाई कोर्ट (High Court) से सीबीआई (CBI) जांच की मांग की है.

ये भी पढ़ें- JHARKHAND HIGH COURT: जैक उपाध्यक्ष फूल सिंह को राहत, राज्य सरकार के आदेश को अदालत ने किया खारिज

फर्जी डिग्री दे रहे हैं निजी विश्वविद्यालय

अधिवक्ता राजीव कुमार ने अपने याचिका के माध्यम से कोर्ट को ये जानकारी दी है कि राज्य में 25 ऐसे निजी विश्वविद्यालय (Private Universities) चल रहे हैं जो स्नातक, स्नातकोत्तर, तकनीकी शिक्षा, पीएचडी और कई तरह की फर्जी डिग्रीयां दे रहे हैं. याचिकाकर्ता ने स्पष्ट आरोप लगाया है कि यह सभी विश्वविद्यालय यूजीसी (UGC) की गाइडलाइन का धड़ल्ले से दुरुपयोग कर फेक डिग्री बांट रहे हैं या ये कहा जा सकता है कि पैसे लेकर डिग्री बेच रहे हैं. याचिका में बच्चों के भविष्य खराब होने की आशंका जाहिर करते हुए सभी विश्वविद्यालयों की जांच की मांग की गई है. याचिका में लगाए आरोपों के मुताबिक इन विश्वविद्यालयों में ना फैकल्टी है, ना जगह है और ना ही यूजीसी की गाइडलाइंस के अनुसार भवन हैं. झारखंड सरकार के बनाए गए नियम के अनुरूप संसाधन भी उपलब्ध नहीं हैं. उसके बावजूद ये विश्वविद्यालय तकनीकी शिक्षा का प्रमाण पत्र छात्रों को बांट रहे हैं. यहां तक कि सबसे महत्वपूर्ण पीएचडी की भी डिग्री छात्रों को दी जा रही है, जो कि सरासर गलत है.

देखें वीडियो

सीबीआई जांच की मांग

याचिकाकर्ता राजीव कुमार ने मामले में झारखंड सरकार, सरकार के शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव, तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिव, यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन, साईं विश्वविद्यालय, अमेटि विश्वविद्यालय सहित लगभग दो दर्जन विश्वविद्यालय के अधिकारियों को प्रतिवादी बनाया है. इसके साथ ही उन्होंने इस मामले में सीबीआई, ईडी (ED), आयकर (INCOME TAX) और अन्य को भी प्रतिवादी बनाया है. देखना अहम होगा कि अदालत मामले को सुनवाई के लिए कब स्वीकृत करती है और कोर्ट का क्या निर्देश सामने आता है. इसके अलावे निजी विश्वविद्यालय अपने ऊपर लगाए गए आरोपों का क्या जवाब देते हैं.

रांची: झारखंड हाई कोर्ट में 25 निजी विश्वविद्यालयों (Private Universities) पर फेक डिग्री का बांटने का आरोप लगाते हुए जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है. अधिवक्ता राजीव कुमार की याचिका में निजी विश्वविद्यालयों पर यूजीसी (UGC) की गाइडलाइंस का उल्लंघन करते हुए छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने का भी आरोप लगाया गया है. याचिकाकर्ता ने पूरे मामले में हाई कोर्ट (High Court) से सीबीआई (CBI) जांच की मांग की है.

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फर्जी डिग्री दे रहे हैं निजी विश्वविद्यालय

अधिवक्ता राजीव कुमार ने अपने याचिका के माध्यम से कोर्ट को ये जानकारी दी है कि राज्य में 25 ऐसे निजी विश्वविद्यालय (Private Universities) चल रहे हैं जो स्नातक, स्नातकोत्तर, तकनीकी शिक्षा, पीएचडी और कई तरह की फर्जी डिग्रीयां दे रहे हैं. याचिकाकर्ता ने स्पष्ट आरोप लगाया है कि यह सभी विश्वविद्यालय यूजीसी (UGC) की गाइडलाइन का धड़ल्ले से दुरुपयोग कर फेक डिग्री बांट रहे हैं या ये कहा जा सकता है कि पैसे लेकर डिग्री बेच रहे हैं. याचिका में बच्चों के भविष्य खराब होने की आशंका जाहिर करते हुए सभी विश्वविद्यालयों की जांच की मांग की गई है. याचिका में लगाए आरोपों के मुताबिक इन विश्वविद्यालयों में ना फैकल्टी है, ना जगह है और ना ही यूजीसी की गाइडलाइंस के अनुसार भवन हैं. झारखंड सरकार के बनाए गए नियम के अनुरूप संसाधन भी उपलब्ध नहीं हैं. उसके बावजूद ये विश्वविद्यालय तकनीकी शिक्षा का प्रमाण पत्र छात्रों को बांट रहे हैं. यहां तक कि सबसे महत्वपूर्ण पीएचडी की भी डिग्री छात्रों को दी जा रही है, जो कि सरासर गलत है.

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सीबीआई जांच की मांग

याचिकाकर्ता राजीव कुमार ने मामले में झारखंड सरकार, सरकार के शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव, तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिव, यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन, साईं विश्वविद्यालय, अमेटि विश्वविद्यालय सहित लगभग दो दर्जन विश्वविद्यालय के अधिकारियों को प्रतिवादी बनाया है. इसके साथ ही उन्होंने इस मामले में सीबीआई, ईडी (ED), आयकर (INCOME TAX) और अन्य को भी प्रतिवादी बनाया है. देखना अहम होगा कि अदालत मामले को सुनवाई के लिए कब स्वीकृत करती है और कोर्ट का क्या निर्देश सामने आता है. इसके अलावे निजी विश्वविद्यालय अपने ऊपर लगाए गए आरोपों का क्या जवाब देते हैं.

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