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रांची व्यवहार न्यायालय में फिजिकल सुनवाई शुरू, अधिवक्ताओं में खुशी का माहौल - Physical hearing started in Ranchi civil Court

रांची व्यवहार न्यायालय में फिजिकल सुनवाई शुरू हो गई. फिजिकल सुनवाई शुरू होने से अधिवक्ताओं में खुशी का माहौल है. कोरोना संक्रमण के चलते सुनवाई वर्चुअल माध्यम से चल रही थी.

Ranchi civil Court
रांची व्यवहार न्यायालय
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Published : Oct 1, 2021, 3:43 PM IST

रांची: कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बंद हुआ फिजिकल कोर्ट अब फिर शुरू हो गया है. हाई कोर्ट की तरफ से जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए सुनवाई की जा रही है. लंबी अवधि के बाद फिजिकल कोर्ट शुरू होने से अधिवक्ताओं में खुशी का माहौल है.

यह भी पढ़ें: नक्सली संगठन TSPC तक पहुंची लैंड माइंस की तकनीक, एमपी से टेस्टिंग के बुलाया था एक्सपर्ट

रांची व्यवहार न्यायालय में होगी 100% फिजिकल सुनवाई

अधिवक्ताओं की मांग पर हाई कोर्ट ने फिजिकल कोर्ट शुरू कर दिया है. शुक्रवार से अदातल में मामले की सुनवाई फिजिकल मोड में शुरू हो गई. अधिवक्ता लंबे समय से फिजिकल कोर्ट की मांग कर रहे थे. फिलहाल रांची व्यवहार न्यायालय में 100% फिजिकल सुनवाई होगी. इसको लेकर सभी तरह की तैयारियां पूरी कर ली गई है. वकीलों को हैंड सेनेटाइजर और थर्मल स्क्रीनिंग कर ही कोर्ट परिसर में प्रवेश कराया जा रहा है.

स्टेट बार काउंसिल के सदस्य सह प्रवक्ता संजय कुमार विद्रोही ने बताया कि झारखंड हाई कोर्ट समेत सभी जिला अदालतों में न्यायिक कार्य वर्चुअल व्यवस्था से चल रही थी. जहां केवल अर्जेंट मैटर की ही सुनवाई हो रही थी. इससे अधिकतर अधिवक्ताओं का कामकाज पूरी तरह से प्रभावित हो गया. करीब 90% अधिवक्ताओं को काम नहीं मिल पा रहा था. मुवाक्किलों को भी अपने मामलों का निष्पादन कराने में बड़ी परेशानी हो रही थी. खास तौर पर जूनियर अधिवक्ताओं की प्रैक्टिस पूरी तरह से प्रभावित हो रही थी. अर्जेंट मैटर की सुनवाई होने से लंबित मामलों का आंकड़ा भी दिनोंदिन बढ़ रहा था. कोरोना काल मे रांची व्यवहार न्यायालय में कई मामले लंबित हो गए. फिजिकल कोर्ट शुरू होने से लंबित मामलों के निष्पादन में भी तेजी आएगी. साथ ही अधिवक्ता अब कोरोना से प्रभावित हुए जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिश कर पाएंगे.

डेढ़ साल से बंद थी फिजिकल सुनवाई

कोरोना काल के शुरूआती दौर से ही झारखंड समेत देश भर के अदालतों में न्यायिक प्रक्रिया ऑनलाइन व्यवस्था से चल रही है. वहीं, राज्य सरकार ने धीरे-धीरे कई सेक्टर्स में छूट दी है. इसके बाद से राज्य भर के वकील कोर्ट को भी रेग्युलर किये जाने की मांग कर रहे थे जिस पर हाईकोर्ट ने पहल कर दी है. अब कोर्ट परिसर में खोई हुई पुरानी रौनक धीरे-धीरे लौटने लगेगी.

रांची: कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बंद हुआ फिजिकल कोर्ट अब फिर शुरू हो गया है. हाई कोर्ट की तरफ से जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए सुनवाई की जा रही है. लंबी अवधि के बाद फिजिकल कोर्ट शुरू होने से अधिवक्ताओं में खुशी का माहौल है.

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रांची व्यवहार न्यायालय में होगी 100% फिजिकल सुनवाई

अधिवक्ताओं की मांग पर हाई कोर्ट ने फिजिकल कोर्ट शुरू कर दिया है. शुक्रवार से अदातल में मामले की सुनवाई फिजिकल मोड में शुरू हो गई. अधिवक्ता लंबे समय से फिजिकल कोर्ट की मांग कर रहे थे. फिलहाल रांची व्यवहार न्यायालय में 100% फिजिकल सुनवाई होगी. इसको लेकर सभी तरह की तैयारियां पूरी कर ली गई है. वकीलों को हैंड सेनेटाइजर और थर्मल स्क्रीनिंग कर ही कोर्ट परिसर में प्रवेश कराया जा रहा है.

स्टेट बार काउंसिल के सदस्य सह प्रवक्ता संजय कुमार विद्रोही ने बताया कि झारखंड हाई कोर्ट समेत सभी जिला अदालतों में न्यायिक कार्य वर्चुअल व्यवस्था से चल रही थी. जहां केवल अर्जेंट मैटर की ही सुनवाई हो रही थी. इससे अधिकतर अधिवक्ताओं का कामकाज पूरी तरह से प्रभावित हो गया. करीब 90% अधिवक्ताओं को काम नहीं मिल पा रहा था. मुवाक्किलों को भी अपने मामलों का निष्पादन कराने में बड़ी परेशानी हो रही थी. खास तौर पर जूनियर अधिवक्ताओं की प्रैक्टिस पूरी तरह से प्रभावित हो रही थी. अर्जेंट मैटर की सुनवाई होने से लंबित मामलों का आंकड़ा भी दिनोंदिन बढ़ रहा था. कोरोना काल मे रांची व्यवहार न्यायालय में कई मामले लंबित हो गए. फिजिकल कोर्ट शुरू होने से लंबित मामलों के निष्पादन में भी तेजी आएगी. साथ ही अधिवक्ता अब कोरोना से प्रभावित हुए जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिश कर पाएंगे.

डेढ़ साल से बंद थी फिजिकल सुनवाई

कोरोना काल के शुरूआती दौर से ही झारखंड समेत देश भर के अदालतों में न्यायिक प्रक्रिया ऑनलाइन व्यवस्था से चल रही है. वहीं, राज्य सरकार ने धीरे-धीरे कई सेक्टर्स में छूट दी है. इसके बाद से राज्य भर के वकील कोर्ट को भी रेग्युलर किये जाने की मांग कर रहे थे जिस पर हाईकोर्ट ने पहल कर दी है. अब कोर्ट परिसर में खोई हुई पुरानी रौनक धीरे-धीरे लौटने लगेगी.

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