रांची: झारखंड में अपनी विभिन्न मांगों को लेकर फार्मासिस्टों के द्वारा लगातार विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. गुरुवार को भी राजधानी रांची में अखिल भारतीय फार्मासिस्ट संघ ने राजभवन के सामने विरोध जताया.
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विरोध जता रहे फार्मासिस्टों ने कहा कि जिस प्रकार से पिछले दिनों मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह बयान दिया कि दवा के क्रय-विक्रय और भंडारण के लिए फार्मेसी की डिग्री की आवश्यकता नहीं है, वह निंदनीय है. मुख्यमंत्री के इस बयान को लेकर राज्य भर के फार्मासिस्टों में आक्रोश देखने को मिल रहा है. फार्मासिस्टों ने कहा कि राज्य गठन के 23 वर्ष बीत जाने के बाद भी अब तक राज्य सरकार की तरफ से फार्मासिस्टों की बहाली नहीं की गई है. पिछले 23 वर्षो में जो फार्मासिस्ट हैं, वे सभी फार्मेसी की डिग्री लेकर बैठे हैं. वह अपनी दुकान खोल कर लोगों को सेवा दे रहे हैं. लेकिन सरकार वैसे फार्मासिस्टों के रोजगार को छीनने में जुटी है.
अन्य राज्यों में 2015 फार्मेसी एक्ट का किया जाता है पालन: फार्मासिस्टों ने कहा कि देश के कई अन्य राज्यों में 2015 फार्मेसी एक्ट का पालन किया जाता है. जिसके तहत सिर्फ फार्मेसी की डिग्री लेने वाले लोग ही दवा के वितरण, भंडारण और क्रय-विक्रय का काम कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि एक तरफ राज्य के फार्मासिस्ट बेरोजगारी का दंश झेलने को मजबूर हैं तो वहीं दूसरी तरफ राज्य के नेता उनके स्वरोजगार को छीनने में जुटे हैं. फार्मासिस्टों ने बताया कि यदि सामान्य व्यवक्ति को दवा बेचने की अनुमति दी जाती है तो इससे कहीं ना कही आम जनमानस के स्वास्थ्य को सीधा हानि पहुंचेगा. क्योंकि चिकित्सकों के द्वारा दी जाने वाली प्रिस्क्रिप्शन को पढ़ना सभी के लिए मुमकिन नहीं है.
सड़क पर उतरने को होंगे मजूबर: प्रदर्शन करने वाले फार्मासिस्टों ने कहा कि यदि बिना डिग्री वाले केमिस्ट दवाओं का वितरण करेंगे तो आने वाले दिनों में लोगों कि स्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ेगा जो लोगों के लिए सही नहीं है. उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री अपने बयान के अनुसार किसी को भी दवा बेचने की अनुमति देते हैं तो आने वाले दिनों में राज्य भर के फरमासिस्ट अपने हक के लिए सड़क पर उतरने को बाध्य हो जाएंगे.