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कोरोना के नाम पर निजी हॉस्पिटल की मनमानी का मामला पहुंचा हाई कोर्ट, राजीव कुमार ने दायर की याचिका - कोरोना के नाम पर निजी हॉस्पिटल की मनमानी पर हाई कोर्ट में याचिका

कोरोना के नाम पर निजी हॉस्पिटल की मनमानी का मामला झारखंड हाई कोर्ट पहुंच गया है. अधिवक्ता राजीव कुमार ने इस बाबत हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें इलाज की समुचित व्यवस्था और निजी अस्पताल की मनमानी पर लगाम लगाने का आग्रह किया गया है.

Petition against private hospital in Jharkhand High Court
Petition against private hospital in Jharkhand High Court
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Published : Aug 29, 2020, 9:13 PM IST

रांची: कोरोना संक्रमण के इलाज के नाम पर निजी हॉस्पिटल की ओर से मरीजों से मनमानी ढंग से वसूल रहे पैसे को लेकर झारखंड हाइ कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी है. राज्य सरकार, मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव, विभिन्न प्राइवेट हॉस्पिटल आदि को प्रतिवादी बनाया गया है.

हाईकोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार ने स्वयं याचिका दायर की है. उन्होंने याचिका के माध्यम से अदालत को बताया है कि निजी हॉस्पिटल कोरोना के नाम पर मरीजों से पैसे लूट रहे हैं. इलाज में पारदर्शिता का अभाव है. कोरोना वायरस का कम से कम 10-12 दिन इलाज होता है. एक दिन का 10,000 से लेकर 60,000 रुपये तक चार्ज करते हैं. डिस्चार्ज होने तक बिल लाखों में चला जाता है. इस बीमारी का आगे भी खतरा मौजूद रहने की संभावना है. वैसी स्थिति में निजी हॉस्पिटलों के द्वारा मनमानी ढंग से हो रही लूट पर रोक लगाना आवश्यक हो गया है.

ये भी पढ़ें- झारखंडः कंटेनमेंट जोन में 30 सितंबर तक लॉकडाउन, बस, होटल सेवा बहाल और भी कई छूट

निजी हॉस्पिटलों की मनमानी पर सरकार का कोई अंकुश नहीं है. कोरोना के इलाज का मिनिमम शुल्क निर्धारित किया जाना चाहिए. अधिवक्ता राजीव कुमार ने याचिका में लिखा है कि रिम्स की व्यवस्था को मजबूत बनाया जाना चाहिए, रिम्स के पास जमीन की भी कोई कमी नहीं है, यहां अधिक से अधिक पेइंग वार्ड बहुमंजिला बनाकर मरीजों का बेहतर इलाज किया जा सकता है. जिलों के सदर अस्पतालों को भी अत्याधुनिक बना कर इलाज की सरकारी व्यवस्था को मजबूत बनाये जाने की आवश्यकता है.

रांची: कोरोना संक्रमण के इलाज के नाम पर निजी हॉस्पिटल की ओर से मरीजों से मनमानी ढंग से वसूल रहे पैसे को लेकर झारखंड हाइ कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी है. राज्य सरकार, मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव, विभिन्न प्राइवेट हॉस्पिटल आदि को प्रतिवादी बनाया गया है.

हाईकोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार ने स्वयं याचिका दायर की है. उन्होंने याचिका के माध्यम से अदालत को बताया है कि निजी हॉस्पिटल कोरोना के नाम पर मरीजों से पैसे लूट रहे हैं. इलाज में पारदर्शिता का अभाव है. कोरोना वायरस का कम से कम 10-12 दिन इलाज होता है. एक दिन का 10,000 से लेकर 60,000 रुपये तक चार्ज करते हैं. डिस्चार्ज होने तक बिल लाखों में चला जाता है. इस बीमारी का आगे भी खतरा मौजूद रहने की संभावना है. वैसी स्थिति में निजी हॉस्पिटलों के द्वारा मनमानी ढंग से हो रही लूट पर रोक लगाना आवश्यक हो गया है.

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निजी हॉस्पिटलों की मनमानी पर सरकार का कोई अंकुश नहीं है. कोरोना के इलाज का मिनिमम शुल्क निर्धारित किया जाना चाहिए. अधिवक्ता राजीव कुमार ने याचिका में लिखा है कि रिम्स की व्यवस्था को मजबूत बनाया जाना चाहिए, रिम्स के पास जमीन की भी कोई कमी नहीं है, यहां अधिक से अधिक पेइंग वार्ड बहुमंजिला बनाकर मरीजों का बेहतर इलाज किया जा सकता है. जिलों के सदर अस्पतालों को भी अत्याधुनिक बना कर इलाज की सरकारी व्यवस्था को मजबूत बनाये जाने की आवश्यकता है.

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