रांचीः झारखंड, खासकर राजधानी रांची में लोगों को हर साल गर्मी के दिनों में पेयजल की समस्या से जूझना पड़ता है. अभी मार्च महीने में ही राजधानी रांची के जगन्नाथपुर, धुर्वा, हिनू, हरमू के विद्या नगर, चापुटोली सहित कई इलाकों के लोगों को पीने के पानी का संकट होना शुरू हो गया है. हटिया डैम के बेहद करीब का धुर्वा इलाके में भी पीने के पानी का संकट हो गया है. वहीं जगन्नाथपुर के स्लम एरिया में ज्यादातर चापाकल सूख गए हैं. वहीं डैम से होने वाले पानी की सप्लाई भी अनियमित और बहुत कम समय के लिए होती है जो अपर्याप्त है. विधानसभा के बेहद करीब के इलाके में भी आम जनता पीने के पानी से जूझ रही है. लेकिन हैरत की बात यह है कि विभागीय मंत्री मिथिलेश ठाकुर इस बात को मानने के लिए तैयार ही नहीं हैं.
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रांची शहर के धुर्वा के विराज कहते हैं कि उनके एरिया में 3000 की आबादी है, लेकिन पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. एक नल है, जो रुक्का डैम से जुड़ा है, वहां भी पानी हर दिन नहीं आता है. साधु बागान, निचला तालाब, जगरनाथपुर बड़का घर सहित कई इलाके ऐसे हैं, जहां हर दिन पीने का पानी नहीं आता है. उन्होंने कहा कि हर तीन दिन या दो दिन का गैप कर पानी आता है. मायादेवी, सविता जैसे दर्जनों स्थानीय लोगों की शिकायत है कि उन्हें पीने तक का पानी सरकार मुहैया नहीं करा पा रही है.
वहीं आम लोगों की शिकायत को नजरअंदाज कर विभागीय मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि पीने के पानी की फुलप्रूफ व्ययवस्था सरकार ने की है. जहां से पेयजल संकट की शिकायत मिलती है, वहां तुरंत समस्या का समाधान कर लिया जाता है. मिथिलेश ठाकुर की माने तो भाजपा के नेता बेवजह ही पेयजल संकट के मुद्दे को उछाल रहे हैं, जबकि कहीं कोई समस्या नहीं है. ऐसे में सवाल उठना वाजिब है कि जब विधानसभा परिसर से चंद फर्लांग की दूरी पर ही पानी के घोर संकट से जनता जूझ रही है तो दूरदराज के इलाकों में स्थिति क्या होगी.
गर्मी के दिनों में ग्राउंड वाटर लेवल काफी नीचे चला जाता है. चापाकल से लेकर कुआं सब सूख जाते हैं. ऐसे में राजधानी रांची में जिन इलाकों में पीने के पानी का संकट है. वहां 40 से अधिक पानी टैंकर के सहारे जलापूर्ति की कोशिश की जा रही है, परंतु वह भी जरूरत के हिसाब से काफी कम है.