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झारखंड की कई प्रमुख पार्टियों के चुनाव चिन्ह को नहीं पहचानती है रांची की जनता - चुनाव चिन्ह पर जनता की राय

झारखंड में चुनावी माहौल काफी गर्म है. इसी साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं, ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी पहुंच आम लोगों तक पहुंचाने में व्यस्थ है, लेकिन रांची के ही कई स्थानीय लोग झारखंड की प्रमुख पार्टियों के चुनाव चिन्ह को नहीं पहचानते हैं, ऐसे में पार्टियों को नेता के चेहरे चमकाने के साथ-साथ पार्टी के चुनाव चिन्ह का भी प्रचार करना चाहिए.

स्थानीय लोग
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Published : Oct 5, 2019, 9:27 AM IST

रांची: एक व्यक्ति की पहचान उसके नाम से होती है, वैसे ही राजनीतिक पार्टियों की पहचान और वजूद के लिए चुनाव चिन्ह को महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि चुनाव चिन्ह किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए उसकी पहचान मानी जाती है.

देखें स्थानीय लोगों ने क्या कहा

देश और राज्य के चुनाव में पार्टियां अपने चुनाव चिन्ह के प्रचार-प्रसार पर ज्यादा जोर देती है, सभी पार्टियां अपने चुनाव चिन्ह को लेकर गंभीरता दिखती है और लोगों से अपने विशेष चुनाव चिन्ह पर मतदान करने की अपील भी करती है. सभी पार्टियों के नेता अपने भाषण में चुनाव चिन्ह पर जोर देते हुए लोगों से मतदान करने की अपील करते हैं. इसी विषय पर ईटीवी भारत की टीम ने कुछ लोगों से बातचीत की और उनसे जानने का प्रयास किया कि आम लोगों के लिए चुनाव चिन्ह कितना महत्व रखता है.

लोगों ने चुनाव चिन्ह को लेकर अपनी-अपनी राय दी
लोगों का मानना है कि झारखंड के सुदूर इलाकों में आज भी अशिक्षित लोगों की संख्या काफी मात्रा में है और लोग मतदान के समय अपने प्रत्याशियों और पार्टियों का नाम तक नहीं पढ़ पाते, इसलिए चुनाव चिन्ह लोगों के लिए काफी महत्व रखता है. वह चुनाव चिन्ह देखकर ही वोट डालते हैं.

क्षेत्रीय पार्टियों के चिन्ह की नहीं है जानकारी
चुनाव चिन्ह को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने जब लोगों से बात की तो कई ऐसे लोग मिले जिन्हें आज भी राज्य के प्रमुख पार्टियों के चुनाव चिन्ह की जानकारी नहीं है, हालांकि लोगों से बातचीत के दौरान यह देखा गया कि लोगों के बीच नेशनल पार्टियों के चुनाव चिन्ह की जानकारी है. पहली बार मतदान कर रहे युवक से ईटीवी भारत की टीम ने जब बात की और चुनाव चिन्ह के बारे में पूछा तो राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम के चुनाव चिन्ह से अपरिचित दिखे, तो वहीं कई स्थानीय भी जेएमएम, जेवीएम, राजद और आजसू जैसे प्रमुख पार्टियों के चुनाव चिन्ह से अनजान थे.

वहीं, राजधानी में कुछ ऐसे लोग भी मिले जिन्हें सभी पार्टियों के चुनाव चिन्ह की जानकारी थी, लेकिन क्षेत्रीय पार्टियों के चुनाव चिन्ह को लेकर ऐसे जानकार लोग भी कंफ्यूज दिखे. चुनाव चिन्ह की जानकारी रखने वाले प्रियरंजन कुमार और रत्नेश कुमार ने कहा कि जिस प्रकार से राजनीति में आए दिन नई पार्टियों का गठन हो रहा है और चुनाव चिन्ह को लेकर विवाद हो रहा है इस वजह से भी हम लोग कई प्रमुख पार्टियों के चुनाव चिन्ह को लेकर कंफ्यूज रहते हैं.

ये भी देखें- पार्टी की विचारधारा से प्रेरित होकर शशिभूषण मेहता ने किया पार्टी ज्वाइन: मंत्री नीरा यादव

उन्होंने झारखंड में जेडीयू का उदाहरण देते हुए कहा कि पूरे देश के लोग अमूमन यही जानते हैं कि जनता दल यूनाइटेड का चुनाव चिन्ह तीर छाप है, लेकिन जेएमएम के साथ राजनीतिक विवाद होने की वजह से जनता दल यूनाइटेड का चुनाव चिन्ह झारखंड और अन्य राज्यों में चुनाव आयोग की तरफ से बदल दिया गया है, जो निश्चित रूप से जनता के मन में कंफ्यूजन पैदा करता है.

भले ही राज्य की सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव जीतने के लिए अपने एजेंडे और घोषणा पत्र पर काफी जोर-शोर से प्रचार प्रसार कर रही है, लेकिन चुनाव में जीत हासिल करने के लिए राजनीतिक पार्टियों को जनता के बीच अपने चुनाव चिन्ह का छाप उनके मन में जरूर डालना होगा.

झारखंड राज्य के प्रमुख पार्टियों के चुनाव चिन्ह

  • जेएमएम- तीर-धनुष
  • आजसू- केला छाप
  • जेवीएम- कंघी छाप
  • बीजेपी- कमल छाप
  • कांग्रेस- हाथ छाप
  • राजद- लालटेन छाप
  • बसपा- हाथी छाप
  • जेडीयू- ट्रेक्टर चलाता किसान

रांची: एक व्यक्ति की पहचान उसके नाम से होती है, वैसे ही राजनीतिक पार्टियों की पहचान और वजूद के लिए चुनाव चिन्ह को महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि चुनाव चिन्ह किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए उसकी पहचान मानी जाती है.

देखें स्थानीय लोगों ने क्या कहा

देश और राज्य के चुनाव में पार्टियां अपने चुनाव चिन्ह के प्रचार-प्रसार पर ज्यादा जोर देती है, सभी पार्टियां अपने चुनाव चिन्ह को लेकर गंभीरता दिखती है और लोगों से अपने विशेष चुनाव चिन्ह पर मतदान करने की अपील भी करती है. सभी पार्टियों के नेता अपने भाषण में चुनाव चिन्ह पर जोर देते हुए लोगों से मतदान करने की अपील करते हैं. इसी विषय पर ईटीवी भारत की टीम ने कुछ लोगों से बातचीत की और उनसे जानने का प्रयास किया कि आम लोगों के लिए चुनाव चिन्ह कितना महत्व रखता है.

लोगों ने चुनाव चिन्ह को लेकर अपनी-अपनी राय दी
लोगों का मानना है कि झारखंड के सुदूर इलाकों में आज भी अशिक्षित लोगों की संख्या काफी मात्रा में है और लोग मतदान के समय अपने प्रत्याशियों और पार्टियों का नाम तक नहीं पढ़ पाते, इसलिए चुनाव चिन्ह लोगों के लिए काफी महत्व रखता है. वह चुनाव चिन्ह देखकर ही वोट डालते हैं.

क्षेत्रीय पार्टियों के चिन्ह की नहीं है जानकारी
चुनाव चिन्ह को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने जब लोगों से बात की तो कई ऐसे लोग मिले जिन्हें आज भी राज्य के प्रमुख पार्टियों के चुनाव चिन्ह की जानकारी नहीं है, हालांकि लोगों से बातचीत के दौरान यह देखा गया कि लोगों के बीच नेशनल पार्टियों के चुनाव चिन्ह की जानकारी है. पहली बार मतदान कर रहे युवक से ईटीवी भारत की टीम ने जब बात की और चुनाव चिन्ह के बारे में पूछा तो राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम के चुनाव चिन्ह से अपरिचित दिखे, तो वहीं कई स्थानीय भी जेएमएम, जेवीएम, राजद और आजसू जैसे प्रमुख पार्टियों के चुनाव चिन्ह से अनजान थे.

वहीं, राजधानी में कुछ ऐसे लोग भी मिले जिन्हें सभी पार्टियों के चुनाव चिन्ह की जानकारी थी, लेकिन क्षेत्रीय पार्टियों के चुनाव चिन्ह को लेकर ऐसे जानकार लोग भी कंफ्यूज दिखे. चुनाव चिन्ह की जानकारी रखने वाले प्रियरंजन कुमार और रत्नेश कुमार ने कहा कि जिस प्रकार से राजनीति में आए दिन नई पार्टियों का गठन हो रहा है और चुनाव चिन्ह को लेकर विवाद हो रहा है इस वजह से भी हम लोग कई प्रमुख पार्टियों के चुनाव चिन्ह को लेकर कंफ्यूज रहते हैं.

ये भी देखें- पार्टी की विचारधारा से प्रेरित होकर शशिभूषण मेहता ने किया पार्टी ज्वाइन: मंत्री नीरा यादव

उन्होंने झारखंड में जेडीयू का उदाहरण देते हुए कहा कि पूरे देश के लोग अमूमन यही जानते हैं कि जनता दल यूनाइटेड का चुनाव चिन्ह तीर छाप है, लेकिन जेएमएम के साथ राजनीतिक विवाद होने की वजह से जनता दल यूनाइटेड का चुनाव चिन्ह झारखंड और अन्य राज्यों में चुनाव आयोग की तरफ से बदल दिया गया है, जो निश्चित रूप से जनता के मन में कंफ्यूजन पैदा करता है.

भले ही राज्य की सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव जीतने के लिए अपने एजेंडे और घोषणा पत्र पर काफी जोर-शोर से प्रचार प्रसार कर रही है, लेकिन चुनाव में जीत हासिल करने के लिए राजनीतिक पार्टियों को जनता के बीच अपने चुनाव चिन्ह का छाप उनके मन में जरूर डालना होगा.

झारखंड राज्य के प्रमुख पार्टियों के चुनाव चिन्ह

  • जेएमएम- तीर-धनुष
  • आजसू- केला छाप
  • जेवीएम- कंघी छाप
  • बीजेपी- कमल छाप
  • कांग्रेस- हाथ छाप
  • राजद- लालटेन छाप
  • बसपा- हाथी छाप
  • जेडीयू- ट्रेक्टर चलाता किसान
Intro:एक व्यक्ति की पहचान के लिए जैसे उसके नाम की आवश्यकता होती है वैसे ही राजनीतिक पार्टियों के पहचान एवं वजूद के लिए चुनाव चिन्ह भी अति महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि चुनाव चिन्ह किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए पहचान मानी जाती है।

देश या राज्य के चुनाव में पार्टियां अपने चुनाव चिन्ह के प्रचार-प्रसार पर ज्यादा जोर देती है,सभी पार्टियां अपने अपने चुनाव चिन्ह को लेकर गंभीरता दिखाती है और लोगों से अपने विशेष चुनाव चिन्ह पर मतदान करने की अपील भी करती है।

सभी पार्टियों के नेता अपने भाषण में चुनाव चिन्ह पर जोर देते हुए लोगों से मतदान करने की अपील करते नजर आते हैं।





Body:इसी को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने कुछ लोगों से बातचीत की और उनसे जानने का प्रयास किया कि आम लोगों के लिए चुनाव चिन्ह कितना महत्व रखता है।

लोगों ने चुनाव चिन्ह को लेकर अपनी-अपनी रॉय दी।

लोगों का मानना है कि झारखंड के सुदूर इलाकों में आज भी अशिक्षित लोगों की संख्या काफी मात्रा में है और वैसे लोग मतदान के समय अपने प्रत्याशियों और पार्टियों का नाम तक नहीं पढ़ पाते इसीलिए चुनाव चिन्ह वैसे लोगों के लिए काफी महत्व रखता है, वह चुनाव चिन्ह देखकर ही वोट डालते हैं।

चुनाव चिन्ह को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने जब लोगों से बात की तो कई ऐसे लोग मिले जिन्हें आज भी राज्य के प्रमुख पार्टियों के चुनाव चिन्ह की जानकारी नहीं है।

हालांकि लोगों से बातचीत के दौरान यह देखा गया कि लोगों के बीच नेशनल पार्टियों के चुनाव चिन्ह की जानकारी है जिसमें भारतीय जनता पार्टी का कमल छाप और इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी का हाथ छाप लोगों के जानकारी में बनी हुई है।




Conclusion:पहली बार मतदान कर रहे सत्य प्रकाश से ईटीवी भारत की टीम ने जब बात की और चुनाव चिन्ह के बारे में पूछा तो राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम के चुनाव चिन्ह से अपरिचित दिखे तो वही कुमार गौतम,चंदन कुमार और रजनीश भी जेएमएम,जेवीएम,राजद एवं आजसू जैसे प्रमुख पार्टियों के चुनाव चिन्ह से अनजान मिले।

वहीं राजधानी में कुछ ऐसे लोग भी मिले जिन्हें सभी पार्टियों के चुनाव चिन्ह की जानकारी थी लेकिन क्षेत्रीय पार्टियों के चुनाव चिन्ह को लेकर ऐसे जानकार लोग भी कंफ्यूज दिखे। चुनाव चिन्ह की जानकारी रखने वाले प्रियरंजन कुमार एवं रत्नेश कुमार ने कहा कि जिस प्रकार से राजनीति में आए दिन नई पार्टियों का गठन हो रहा है और चुनाव चिन्ह को लेकर विवाद हो रही है इस वजह से भी हम लोग कई प्रमुख पार्टियों के चुनाव चिन्ह को लेकर कंफ्यूज रहते हैं।

उन्होंने झारखंड में जेडीयू का उदाहरण देते हुए कहा कि पूरे देश के लोग अमूमन यही जानते हैं कि जनता दल यूनाइटेड का चुनाव चिन्ह तीर छाप है लेकिन जेएमएम के साथ राजनीतिक विवाद होने की वजह से जनता दल यूनाइटेड का चुनाव चिन्ह झारखंड और अन्य राज्यों में चुनाव आयोग की तरफ से बदल दिया गया है जो निश्चित रूप से जनता के मन में कन्फ्यूजन पैदा करता है।

भले ही राज्य की सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव जीतने के लिए अपने एजेंडे और घोषणा पत्र पर काफी जोर-शोर से प्रचार प्रसार कर रही हो लेकिन चुनाव में जीत हासिल करने के लिए राजनीतिक पार्टियों को जनता के बीच अपने चुनाव चिन्ह का छाप उनके मन में जरूर डालना होगा।

झारखंड राज्य के प्रमुख पार्टियों के चुनाव चिन्ह
जेएमएम- तीर-धनुष
आजसू- केला छाप
जेवीएम- कंघी छाप
बीजेपी- कमल छाप
कांग्रेस- हाथ छाप
राजद- लालटेन छाप
बसपा- हाथी छाप
जेडीयू- ट्रेक्टर चलाता किसान

बाइट- सत्यप्रकाश
बाइट- प्रियरंजन प्रसाद
बाइट- रत्नेश कुमार
बाइट- कुमार गौतम
बाइट- रजनीश कुमार
बाइट-चंदन कुमार


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