रांची: वैश्विक महामारी कोरोना के कारण पूरे देश में लॉकडाउन है, जिसका असर शहरी इलाकों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में देखने को मिल रहा है, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य नियमों का उल्लंघन के मामले शहरी इलाकों में ज्यादा देखने को मिलती है. लेकिन राजधानी रांची के आस-पास बसे गांव के लोग सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के साथ कोरोना से बचने के लिए सभी रुल फॉलो कर रहे हैं.
राजधानी रांची के आसपास बसे गांवों में लोग न केवल सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं, बल्कि नाक ढकने के लिए मास्क नहीं मिलने की स्थिति में रुमाल और गमछे का प्रयोग कर रहे हैं. इतना ही नहीं ग्रामीण इलाकों में हाट-बाजार भी बंद है. सबसे बड़ी बात यह है कि गांव के लोगों ने बाहरी लोगों को गांव में प्रवेश से प्रतिबंध लगा दिया है.
राजधानी के ग्रामीण इलाकों का ईटीवी भारत ने लिया जायजा
राजधानी रांची के कांके इलाके में मालश्रृंग पंचायत के गांवों का मुआयना ईटीवी भारत की टीम ने किया. राजधानी से लगभग 25 किलोमीटर दूर मालश्रृंग पंचायत के अंतर्गत पांच गांव आते हैं. उनमें मालश्रृंग, सियार टोली, कटकट्टा, मानरा और सिरांगो शामिल है. ईटीवी भारत की टीम जब सिरांगो गांव का मुआयना करने पहुंची तो देख लोग कोरोना को दूर भगाने के लिए हर उपाय अपना रहे हैं. गांव में एक तरफ जहां बाहरी लोगों का प्रवेश वर्जित है, वहीं दूसरी तरफ गांव में लोग घरों से बाहर बहुत जरूरी काम होने पर भी निकल रहे हैं.
पहले बंद किये एंट्री पॉइंट, फिर जागरूकता का लिया सहारा
सहारागांव के मुखिया लखन उरांव ने बताया कि जैसे ही लॉकडाउन शुरू हुआ अखबारों और टीवी के माध्यम से जानकारी मिल गई कि क्या करना है, फिर पूरे गांव में इसका प्रचार किया गया और लोगों से अपील की गई कि वह इन सिद्धांतों को अपनाएं. उन्होंने बताया कि शुरुआती दो दिनों तक गांव के सभी एंट्री पॉइंट को बंद कर दिया गया था, लेकिन फिर उसे खोल दिया गया. उन्होंने बताया कि पूरे पंचायत में अनुसूचित जनजाति के अलावा अल्पसंख्यक, वैश्य समुदाय समेत अन्य पिछड़ा वर्ग को मिलाकर लगभग 10,000 लोगों की आबादी है.
इसे भी पढे़ं:- झारखंड में मिले 4 नये कोरोना पॉजिटिव केस, बाबानगरी में भी कोरोना की दस्तक
बाहर गए लोगों को लौटने के बाद रखा गया अलग
मुखिया लखन उरांव ने बताया कि इतना गांव के 2 लोग बाहर काम करने गए थे, जैसे ही वह लौटे उन्हें क्वॉरेंटाइन कर दिया गया. इसे लेकर कांके पीएचसी में भी सूचना दी गई. झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी से जुड़ी सरिता कच्छप ने बताया कि गांव में बाजार बंद है, स्कूल बंद है, लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं और सरकारी किचन से जो खाना खिलाया जा रहा है वह भी सोशल डिस्टेंसिंग के बीच परोसा जा रहा है.
वहीं, दूसरी महिला श्रुति देवी ने बताया कि गांव में महिला समूह के अध्यक्ष-सचिव मिलकर एक संगठन बना हुआ है, उसमें जो भी पैसा जमा हुआ है वह गांव के असहाय बूढ़े बुजुर्ग के खाना खिलाने के लिए खर्च किया जा रहा है.
गैर सरकारी संगठनों की भी ली जा रही है मदद
श्रुति देवी ने बताया कि अगर पैसे इकट्ठे नहीं हो पा रहे हैं तो गांव की महिलाएं आपस में सहयोग कर उन बुजुर्गों तक भोजन पहुंचा रही हैं. इतना ही नहीं जरूरत पड़ने पर गैर सरकारी संस्थाओं की मदद भी ली जा रही है. मालश्रृंग पंचायत में कुल 7 स्कूल हैं. उन्हीं स्कूलों में से एक में शिक्षक विजय सिंह ने बताया कि फिलहाल स्कूल बंद है, लेकिन लोगों को बताया जा रहा है कि वह अपने घरों से ना निकलें और बच्चों को साथ रखें. उन्होंने कहा कि लोगों को रूमाल और गमछा का प्रयोग करने पर भी जोर दिया जा रहा है.