रांची: पूरे देश में बकरीद मनायी जा (Eid ul Adha 2022) रही है. इसी को लेकर सभी ईदगाह और मस्जिदों में मुस्लिम समाज के लोग पहुंचकर बकरीद की नमाज अदायगी कर रहे हैं. बकरीद को लेकर राजधानी के सभी ईदगाह में हजारों की संख्या में लोग नमाज अता कर रहे हैं और देश में अमन चैन का पैगाम (peace and tranquility by offering Namaz) देते नजर आ रहे हैं.
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इसी के मद्देनजर राजधानी के हरमू स्थित ईदगाह में सुबह 9:00 बजे बकरीद की नमाज अता (Namaz on Eid ul Adha) की गई. यहां हजारों की संख्या में मुस्लिम समाज के लोग मौलाना के नेतृत्व में नमाज अता किया. नमाज के बाद मौलाना असगर मिस्बाह ने लोगों को संदेश देते हुए कहा कि आज पूरा देश बकरीद मना रहा है, इस्लाम धर्म का यह दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है. उन्होंने बताया कि पैगंबर हजरत मोहम्मद ने बकरीद में अपने बेटे की कुर्बानी दी थी लेकिन अल्लाह ने उनके बेटे के जगह एक बकरे को तब्दील कर दिया तभी से बकरीद पर कुर्बानी की परंपरा चली आ रही है. उन्होंने बताया कि पैगंबर हजरत मोहम्मद में यह साबित किया था कि बेटे से भी ज्यादा अजीज अल्लाह है और अल्लाह के लिए किसी भी की भी कुर्बानी जायज है.
वहीं उन्होंने कहा कि इस देश में सभी मजहब के लोग रहते हैं और एक दूसरे से प्रेम और लगाव रखते हैं, इसीलिए हमारे देश की परंपरा पूरे विश्व में विख्यात है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है जरूरत है कि सभी समाज के लोग चाहे वह हिंदू हो सिख हो इसाई हो या फिर मुसलमान हो सभी एकजुट होकर मुल्क को बचाएं जब मुल्क बचेगा तभी देशवासी का सम्मान और एक दूसरे के प्रति विश्वास बचा रहेगा.
मौलाना असगर मिस्बाह ने बताया कि इस ईदगाह मैदान में राज्य के तीन-तीन राज्यपाल ने ईद और बकरीद के मौके पर नमाज अता किया था और पूरे राज्य में शांति और अमन का संदेश दिया था. उन्होंने पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते राजा और सैयद अहमद के संदेश को याद करते हुए कहा कि उन्होंने भी कहा था देश तभी आगे बढ़ेगा जब हिंदू और मुस्लिम कंधे से कंधा मिलाकर समाज में रहने का काम करेंगे.
वहीं ईदगाह में नमाज अता करने पहुंचे युवाओं ने कहा कि कुर्बानी के इस त्यौहार में लोगों को यही संदेश देते हैं कि कुर्बानी का मतलब सभी दुखों शिकायतों को कुर्बान करना होता है. आने वाले दिनों में प्यार मोहब्बत से रहना ही कुर्बानी का सही महत्व है.