रांची: कोविड टीकाकरण को लेकर राज्य सरकार की कोशिश अब रंग लाती दिख रहीं हैं. दूरदराज के गांव में जाकर उनकी ही भाषा या बोली में टीकाकरण के महत्व को समझाने से भ्रम और अफवाहों का असर खत्म होने लगा है. इसी का नतीजा है कि लोग खुद टीकाकरण अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. यही कारण है कि कुछ गांवों में शत प्रतिशत टीकाकरण हो चुका है.
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झारखंड और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित सिमडेगा जिले के कुल्लू केरा पंचायत में बसा छोटे से गांव बनमारा की कहानी भी दूसरे गांव जैसी ही थी. कुछ दिन पहले तक कोरोना वैक्सीन को लेकर भ्रम जैसी स्थिति थी लेकिन आज हालात बदल गए हैं. बनमारा गांव के शत प्रतिशत लोगों ने टीका ले लिया है. ऐसे ही कई गांव हैं जहां शत प्रतिशत टीकाकरण हो गया है.
शत प्रतिशत टीकाकरण के लिए गांव के लोग जिला प्रशासन की पहल पर आगे आए. गांव के लोगों ने कोरोना को लेकर चर्चा की. लगातार हो रही मौत भी बात हुई और इस पर सहमति बनी कि वैक्सीनेशन ही इसका एक मात्र उपाय है. इसके बाद लोग टीका लेने पर राजी हुए. ग्रामीण इतने जागरूक हो गए कि कोई बाहर से आता तो उसे सामुदायिक भवन में 14 दिनों के लिए क्वारेंटाइन कर देते हैं.
उग्रवाद प्रभावित इलाके में भी बढ़ रही जागरुकता
पिछड़े और उग्रवाद प्रभावित इलाके में भी राज्य सरकार के जागरुकता अभियान का असर नजर आने लगा है. लातेहार जिले का उग्रवाद प्रभावित प्रखंड गारू इसका ताजा उदाहरण है. करीब 36 हजार आबादी वाले इस प्रखंड में निवास करने वाले ग्रामीण भी टीकाकरण के प्रति गंभीर हो रहे हैं. यहां 18 वर्ष से अधिक उम्र के करीब 40 प्रतिशत लोगों का टीकाकरण हो चुका है. जिला प्रशासन लगातार प्रखंड के सुदूरवर्ती गांवों में जाकर लोगों के बीच जागरुकता फैला रहा है. दुमका के मसलिया प्रखंड स्थित रांगा पंचायत के गांवों में 85% से अधिक टीकाकरण हो चुका है.