कैसे जगमग हो झारखंड, जरूरत 1800 मेगावाट की मिलती है 1200
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Published : Nov 26, 2022, 6:03 PM IST
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Updated : Nov 26, 2022, 6:47 PM IST
झारखंड में बिजली की किल्लत (power shortage in Jharkhand) से लोग परेशान हैं. स्थिति यह है कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में दिन रात लोडशेडिंग की जा रही है. इसके बावजूद बिजली की समस्या का समाधान नहीं निकाला जा रहा है.
झारखंड में बिजली की किल्लत से परेशान हैं लोग
रांची: झारखंड में पिछले एक सप्ताह से जारी बिजली संकट (power shortage in Jharkhand) शनिवार को भी जारी रहा. मांग के अनुरूप बिजली की आपूर्ति नहीं होने से आम लोगों की परेशानी बढ़ गई है. स्थिति यह है कि सुबह और शाम रांची सहित राज्य के अधिकतर शहरों में लोडशेडिंग की जा रही है. बिजली आपूर्ति बाधित होते ही पावर सब स्टेशनों में कार्यरत कर्मियों और अधिकारियों को फोन पर शिकायतें आने लगती है.
राज्य में बिजली किल्लत के आगे विभागीय अधिकारी बेबस दिख रहे हैं. गुरुवार रात राज्यभर में करीब 500 मेगावाट की कटौती की गई, जिससे रांची सहित विभिन्न जिलों में लोडशेडिंग होता रहै. सबसे खराब स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों का है, जहां छह घंटे बिजली काटी जा रही है. रांची के चुटिया में रहनेवाले महेंद्र कहते हैं कि दिनभर काम करने के बाद जब घर लौटते है. इसी दौरान बिजली गुल हो जाती है. इससे घंटों मोमबत्ती जलाकर रहना पड़ता है. अमरेंद्र कुमार मुन्नी कहते हैं कि बिजली कटौती से दिन रात परेशान है. एक तरफ सरकार भारी भरकम राशि सब्सिडी पर खर्च कर रही है. वहीं दूसरी तरफ बिजली निगम की हालत दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है. इस स्थिति में मुख्यमंत्री को पहल कर समस्या का समाधान करना चाहिए.
क्या कहते हैं आमलोग
जरूरत
1800 मेगावाट
सप्लाई
1200 मेगावाट
कमी
600 मेगावाट
गर्मी की अपेक्षा ठंड में बिजली की मांग कम हो जाती है. इसके बाबजूद बिजली की आंखमिचौली जारी है. इसके पीछे का मुख्य वजह सेंट्रल पुल से बिजली पीक आवर में नहीं मिलना है. राज्य को फिलहाल टीवीएनएल से 360 मेगावाट, एनटीपीसी से 500 मेगावाट, इनलैंड से 50 मेगावाट और अन्य स्रोत को मिलाकर 1200 से 1400 मेगावाट बिजली मिलती है. हालांकि, शाम में बिजली की मांग 1700 से 1800 मेगावाट पहुंच जाती है. अतिरिक्त बिजली की आपूर्ति जेवीवीएनएल पावर एक्सचेंज के जरिए करता है. क्योंकि अभी पावर एक्सचेंज से बिजली खरीदने पर रोक लगी हुई है.
सप्लाई
मेगावाट
टीवीएनएल
360
एनटीपीसी
500
इनलैंड
50
इस स्थिति में 500 मेगावाट बिजली कम मिल रही है. इससे लोडशेडिंग करनी पड़ रही है. डीवीसी कमांड एरिया में भी बिजली कटौती की जा रही है. धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, चतरा, रामगढ़ और हजारीबाग में लोडशेडिंग जारी है. दरअसल इलेक्ट्रिसिटी रूल्स 2022 के अनुसार केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने झारखंड बिजली वितरण निगम यानी जेवीवीएनएल को पीक आवर में अतिरिक्त बिजली खरीदने पर रोक लगा दी है. वहीं, करंट बिल के 205 करोड रुपए के बकाया होने के कारण डीवीसी को भी 10% बिजली कटौती का निर्देश दिया गया है. सिर्फ रांची को 280 मेगावाट प्रतिदिन बिजली की जरूरत है, जिसमें 220 मेगावाट बिजली आपूर्ति की जा रही है. राज्य भार प्रेषण केंद्र के महाप्रबंधक मुकेश कुमार सिंह ने कहा है कि यह पॉलिसी मैटर की बात है, जिसमें हाई लेवल पर समाधान का रास्ता ढुंढा जा रहा है. संभावना है कि जल्द ही बिजली की कमी को दूर कर लिया जायेगा.
रांची: झारखंड में पिछले एक सप्ताह से जारी बिजली संकट (power shortage in Jharkhand) शनिवार को भी जारी रहा. मांग के अनुरूप बिजली की आपूर्ति नहीं होने से आम लोगों की परेशानी बढ़ गई है. स्थिति यह है कि सुबह और शाम रांची सहित राज्य के अधिकतर शहरों में लोडशेडिंग की जा रही है. बिजली आपूर्ति बाधित होते ही पावर सब स्टेशनों में कार्यरत कर्मियों और अधिकारियों को फोन पर शिकायतें आने लगती है.
राज्य में बिजली किल्लत के आगे विभागीय अधिकारी बेबस दिख रहे हैं. गुरुवार रात राज्यभर में करीब 500 मेगावाट की कटौती की गई, जिससे रांची सहित विभिन्न जिलों में लोडशेडिंग होता रहै. सबसे खराब स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों का है, जहां छह घंटे बिजली काटी जा रही है. रांची के चुटिया में रहनेवाले महेंद्र कहते हैं कि दिनभर काम करने के बाद जब घर लौटते है. इसी दौरान बिजली गुल हो जाती है. इससे घंटों मोमबत्ती जलाकर रहना पड़ता है. अमरेंद्र कुमार मुन्नी कहते हैं कि बिजली कटौती से दिन रात परेशान है. एक तरफ सरकार भारी भरकम राशि सब्सिडी पर खर्च कर रही है. वहीं दूसरी तरफ बिजली निगम की हालत दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है. इस स्थिति में मुख्यमंत्री को पहल कर समस्या का समाधान करना चाहिए.
क्या कहते हैं आमलोग
जरूरत
1800 मेगावाट
सप्लाई
1200 मेगावाट
कमी
600 मेगावाट
गर्मी की अपेक्षा ठंड में बिजली की मांग कम हो जाती है. इसके बाबजूद बिजली की आंखमिचौली जारी है. इसके पीछे का मुख्य वजह सेंट्रल पुल से बिजली पीक आवर में नहीं मिलना है. राज्य को फिलहाल टीवीएनएल से 360 मेगावाट, एनटीपीसी से 500 मेगावाट, इनलैंड से 50 मेगावाट और अन्य स्रोत को मिलाकर 1200 से 1400 मेगावाट बिजली मिलती है. हालांकि, शाम में बिजली की मांग 1700 से 1800 मेगावाट पहुंच जाती है. अतिरिक्त बिजली की आपूर्ति जेवीवीएनएल पावर एक्सचेंज के जरिए करता है. क्योंकि अभी पावर एक्सचेंज से बिजली खरीदने पर रोक लगी हुई है.
सप्लाई
मेगावाट
टीवीएनएल
360
एनटीपीसी
500
इनलैंड
50
इस स्थिति में 500 मेगावाट बिजली कम मिल रही है. इससे लोडशेडिंग करनी पड़ रही है. डीवीसी कमांड एरिया में भी बिजली कटौती की जा रही है. धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, चतरा, रामगढ़ और हजारीबाग में लोडशेडिंग जारी है. दरअसल इलेक्ट्रिसिटी रूल्स 2022 के अनुसार केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने झारखंड बिजली वितरण निगम यानी जेवीवीएनएल को पीक आवर में अतिरिक्त बिजली खरीदने पर रोक लगा दी है. वहीं, करंट बिल के 205 करोड रुपए के बकाया होने के कारण डीवीसी को भी 10% बिजली कटौती का निर्देश दिया गया है. सिर्फ रांची को 280 मेगावाट प्रतिदिन बिजली की जरूरत है, जिसमें 220 मेगावाट बिजली आपूर्ति की जा रही है. राज्य भार प्रेषण केंद्र के महाप्रबंधक मुकेश कुमार सिंह ने कहा है कि यह पॉलिसी मैटर की बात है, जिसमें हाई लेवल पर समाधान का रास्ता ढुंढा जा रहा है. संभावना है कि जल्द ही बिजली की कमी को दूर कर लिया जायेगा.