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रांची: अस्पताल की बदइंतजामी पर परिजनों का छलका दर्द, कोरोना से हालात बेकाबू - रांची मरीजों की मौत

रांची के सदर अस्पताल में ईटीवी भारत की टीम ने हालातों का जायजा लिया. जिसमें पाया गया कि अस्पताल में बदइंतजामी के चलते मरीज और परिजन दोनों परेशान हो रहे हैं. आलम ये है कि डॉक्टरों की अनदेखी से मरीजों की मौत हो रही है. रेमडेसिविर इंजेक्शन मरीजों तक पहुंच ही नहीं रहा है और बेड का जबर्दश्त अभाव है. अस्पताल प्रबंधन भी कुछ भी बोलने से बचता नजर आ रहा है.

people are suffering due to mismanagement of hospital in ranchi
रांची: अस्पताल की बदइंतजामी पर परिजनों का छलका दर्द, कोरोना से हालात बेकाबू
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Published : Apr 25, 2021, 11:52 AM IST

रांची: कोरोना की वजह से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं. अस्पताल पहुंचने के बाद भी मरीजों की जान नहीं बच रही है. जब ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल की, तो लोगों ने कैमरे के सामने परेशानियों की झड़ी लगा दी.

देखें पूरी खबर

इसे भी पढ़ें- सदर में संवेदनहीनता! डॉक्टर से कहता रहा बेटा- पापा को देख लीजिए, तड़प-तड़पकर गई जान

धुर्वा की रहनी वाली आरती सिंह बताती हैं कि उसके बहनोई किशोर सिंह की अस्पताल में भर्ती रहने के बावजूद मौत हो गई. ये सब डॉक्टर की लापरवाही से हुआ. कांटा टोली के रहने वाले शहजाद खान बताते हैं कि उनके मरीज आरिफ खान पिछले तीन-चार दिनों से भर्ती हैं और आज उनकी हालत थोड़ी बेहतर हुई थी, लेकिन बिना प्रीसक्रिप्शन और दवाई के ही बदतमीजी के साथ हमें बाहर निकाला जाने लगा. हमने जब इसका विरोध किया, तो हमें मारने-पीटने की धमकी दी गई.

people are suffering due to mismanagement of hospital in ranchi
बदइंतजामी से परेशान मरीज

भगणदेव सिंह के बेटे भारद्वाज देव सिंह कहते हैं कि हर दिन अस्पताल प्रबंधन को रेमडेसिविर के लिए सूचित किया जाता है, लेकिन दवाई अस्पताल में आने के बावजूद मरीजों तक नहीं पहुंच रही है. जब इसकी शिकायत प्रबंधन से करते हैं, तो वो कुछ भी जवाब देकर पल्ला झाड़ने लगते हैं.

people are suffering due to mismanagement of hospital in ranchi
ईटीवी भारत की पड़ताल में मरीजों का छलका दर्द

आंकड़ों को देखें तो राजधानी में कोरोना के लगभग 15 हजार मरीज मौजूद हैं. राजधानी के कई अस्पतालों में ये मरीज इलाजरत हैं. बताते चलें कि बेड की संख्या 2 हजार के करीब ही है, जो कि मरीजों की तुलना में काफी कम है. इसीलिए समस्या लगातार बढ़ती ही जा रही है. पूरे राज्य की बात करें, तो संक्रमित मरीजों की संख्या 40 हजार से ऊपर तक पहुंच गई है.

लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें समय पर बेड नहीं मिलता है. डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे अस्पताल में मरीजों को सही समय पर इलाज नहीं मिलता, जिससे मृतकों की संख्या के साथ-साथ लोगों का आक्रोश भी बढ़ता जा रहा है. एसडीओ उत्कर्ष गुप्ता ने कहा कि लोगों की शिकायत को सुनकर संबंधित कर्मचारी पर कार्रवाई की जाएगी. शिकायत के बाद सूचना जिलाधिकारी को दे दी गई है. एसडीओ उत्कर्ष गुप्ता ने अपनी मजबूरी बताते हुए कहा कि कई ऐसे मरीज हैं, जो ठीक होने के बाद भी ICU का बेड नहीं छोड़ रहे हैं. डॉक्टरों की ओर से उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया है. इसी के चलते मरीजों और उनके परिजनों को दिक्कत आ रही है.

रांची: कोरोना की वजह से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं. अस्पताल पहुंचने के बाद भी मरीजों की जान नहीं बच रही है. जब ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल की, तो लोगों ने कैमरे के सामने परेशानियों की झड़ी लगा दी.

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धुर्वा की रहनी वाली आरती सिंह बताती हैं कि उसके बहनोई किशोर सिंह की अस्पताल में भर्ती रहने के बावजूद मौत हो गई. ये सब डॉक्टर की लापरवाही से हुआ. कांटा टोली के रहने वाले शहजाद खान बताते हैं कि उनके मरीज आरिफ खान पिछले तीन-चार दिनों से भर्ती हैं और आज उनकी हालत थोड़ी बेहतर हुई थी, लेकिन बिना प्रीसक्रिप्शन और दवाई के ही बदतमीजी के साथ हमें बाहर निकाला जाने लगा. हमने जब इसका विरोध किया, तो हमें मारने-पीटने की धमकी दी गई.

people are suffering due to mismanagement of hospital in ranchi
बदइंतजामी से परेशान मरीज

भगणदेव सिंह के बेटे भारद्वाज देव सिंह कहते हैं कि हर दिन अस्पताल प्रबंधन को रेमडेसिविर के लिए सूचित किया जाता है, लेकिन दवाई अस्पताल में आने के बावजूद मरीजों तक नहीं पहुंच रही है. जब इसकी शिकायत प्रबंधन से करते हैं, तो वो कुछ भी जवाब देकर पल्ला झाड़ने लगते हैं.

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ईटीवी भारत की पड़ताल में मरीजों का छलका दर्द

आंकड़ों को देखें तो राजधानी में कोरोना के लगभग 15 हजार मरीज मौजूद हैं. राजधानी के कई अस्पतालों में ये मरीज इलाजरत हैं. बताते चलें कि बेड की संख्या 2 हजार के करीब ही है, जो कि मरीजों की तुलना में काफी कम है. इसीलिए समस्या लगातार बढ़ती ही जा रही है. पूरे राज्य की बात करें, तो संक्रमित मरीजों की संख्या 40 हजार से ऊपर तक पहुंच गई है.

लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें समय पर बेड नहीं मिलता है. डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे अस्पताल में मरीजों को सही समय पर इलाज नहीं मिलता, जिससे मृतकों की संख्या के साथ-साथ लोगों का आक्रोश भी बढ़ता जा रहा है. एसडीओ उत्कर्ष गुप्ता ने कहा कि लोगों की शिकायत को सुनकर संबंधित कर्मचारी पर कार्रवाई की जाएगी. शिकायत के बाद सूचना जिलाधिकारी को दे दी गई है. एसडीओ उत्कर्ष गुप्ता ने अपनी मजबूरी बताते हुए कहा कि कई ऐसे मरीज हैं, जो ठीक होने के बाद भी ICU का बेड नहीं छोड़ रहे हैं. डॉक्टरों की ओर से उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया है. इसी के चलते मरीजों और उनके परिजनों को दिक्कत आ रही है.

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