रांची: झारखंड में गर्मी आते ही बिजली व्यवस्था चरमरा गई है. बार-बार बिजली जाने से लोग परेशान औऱ आक्रोशित हैं. विभाग ट्रांसफार्मर में फॉल्ट को बिजली गुल का कारण बताकर बचने की कोशिश कर रहा है. दरअसल, कम बिजली आपूर्ति के कारण भीषण गर्मी के बीच झारखंड में इन दिनों बिजली को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. मांग के अनुरूप बिजली आपूर्ति करने में विभाग असफल साबित हो रहा है. हालात यह है कि पिछले दो दिन से जारी बिजली की आंख मिचौनी तीसरे दिन भी जारी रही.
यह भी पढ़ें: Jharkhand News: बाबा नगरी से होगी राष्ट्रपति के झारखंड दौरे की शुरुआत, सुरक्षा तैयारियों में जुटा पुलिस मुख्यालय
हालांकि पिछले दो दिनों की अपेक्षा बुधवार को लोड शेडिंग कम होता दिखा. मांग के अनुरूप बिजली मुहैया कराने में जुटे जेबीवीएनएल के अधिकारी इसके पीछे लोकल फॉल्ट बताकर बचने की कोशिश करते दिखे. सोमवार से हटिया ग्रीड में आई तकनीकी खराबी काफी मशक्कत के बाद मंगलवार देर रात दूर कर लिए जाने से विभाग के अधिकारियों ने राहत की सांस ली है. इसके बावजूद शहरी क्षेत्र की अपेक्षा ग्रामीण इलाकों में बिजली की किल्लत बनी रही.
आम लोग परेशान: इधर, बार बार बिजली गुल हो जाने की वजह से आम लोग परेशान रहे. पूर्व महाधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने बिजली की आंख मिचौनी पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि इस गर्मी में बिजली कटने से क्या परेशानी होती है, वो लोग क्या जानेंगे जिनके पास जेनरेटर है. सरकार ने निर्बाध बिजली आपूर्ति का दावा सिर्फ अखबार में सुर्खियां बटोरने के लिए किया था, जिसकी हकीकत सामने है. इधर, रांची प्रक्षेत्र के महाप्रबंधक पी के श्रीवास्तव ने बिजली पर्याप्त होने की बात कहते हुए कहा है कि गर्मी की वजह से निर्धारित क्षमता से ज्यादा बिजली का डिमांड होते ही ट्रांसफार्मर में फॉल्ट होता है, जिस वजह से बिजली कट जाती है. इसे दूर करने के लिए अधिकारियों की टीम लगी हुई रहती है.
प्रतिदिन 400-500 मेगावाट बिजली खरीद रही है राज्य सरकार: झारखंड में इन दिनों भीषण गर्मी की वजह से बढ़ी बिजली की डिमांड करीब 2500 मेगावाट तक पहुंच गई है. राज्य भार प्रेषण के रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार दोपहर 2 बजे एसएलडीसी में 1550 मेगावाट बिजली की मांग थी, जिसमें राजस्थान से मिलने वाले करीब 400 मेगावाट सोलर पावर के साथ 1565 मेगावाट उपलब्ध था. इसमें राज्य सरकार के द्वारा मात्र टीवीएनएल से 350 मेगावाट बिजली मिल रही है. सिकिदरी हाइडल पाॅवर पानी के अभाव में बंद है.
राज्य भार प्रेषण केंद्र के डीजीएम शैलेश कुमार के अनुसार, मांग के अनुरूप राज्य सरकार रोज करीब 500 मेगावाट बिजली सेंट्रल पूल और निजी कंपनियों से खरीद कर आपूर्ति कर रही है. यह प्रतिदिन डिमांड के अनुरूप बदलता रहता है. इस तरह से सरकार राज्य में बिजली आपूर्ति बनाए रखने के लिए इंडियन एनर्जी एक्सचेंज से 12 रुपये प्रति युनिट की दर से प्रतिदिन 10 करोड़ की बिजली खरीद रही है. इसके अलावे निजी पाॅवर कंपनियों से बिजली खरीद की जाती है जो एक दिन पहले डिमांड के अनुरूप आकलन कर बुक किया जाता है.
यह भी पढ़ें:राहुल गांधी पर झारखंड हाई कोर्ट आज सुनाएगा फैसला, अमित शाह के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी का है मामला
बहरहाल, मुख्यमंत्री के निर्देश पर राज्य में निर्बाध बिजली आपूर्ति का दावा विभाग द्वारा किया जा रहा हो, मगर हकीकत यह है कि गर्मी, जाड़ा और बरसात जैसे मौसम से भी बिजली विभाग को डर लगता है कि कहीं फॉल्ट ना हो जाए. यानी राज्य गठन के 23 वर्षों बाद भी विभाग फूल प्रूफ बिजली आपूर्ति व्यवस्था करने में सफल नहीं हो पाई है.